भारत में गहरे ट्यूबवेल की संख्या सात वर्षों में लगभग 11 लाख बढ़ी   

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भारत में गहरे ट्यूबवेल की संख्या सात वर्षों में लगभग 11 लाख बढ़ी   ट्यूबवेलों की संख्या में बढ़ोत्तरी।

नई दिल्ली (भाषा)। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की पांचवीं लघु सिंचाई गणना के अनुसार देश में वर्ष 2006-07 और 2013-14 के बीच गहरे ट्यूबवेलों की संख्या में लगभग 11 लाख की बढोत्तरी देखी गई है और यह संख्या 14 लाख 60 हजार से बढ़कर 26 लाख तक पहुंच गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक करोड़ 26.8 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई करने वाले ज्यादातर गहरे ट्यूबवेल पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में स्थित हैं और ये मुख्य रुप से किसानों के निजी स्वामित्व वाले हैं।

यह गणना 2013-14 संदर्भ वर्ष के रुप में की गई और इसकी रिपोर्ट हाल में जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि इन ट्यूबवेल का सबसे बड़ा 40 प्रतिशत हिस्सा 70-90 मीटर की गहराई वाला है जबकि 26 प्रतिशत 90-110 मीटर क्षेत्र में है।

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रिपोर्ट के अनुसार ट्यूबवेल के पाइप भूमिगत डाले जाते हैं। गहरे ट्यूबवेल 70 मीटर से अधिक की गहराई वाले हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, देश के 661 जिलों में 26 लाख ट्यूबवेल हैं और इनसे एक करोड़ 26.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। गहरे ट्यूबवेल की संख्या 1987 में एक लाख से बढ़कर 2000-01 में पांच लाख तक बढ़ी थी। वर्ष 2006-07 में यह संख्या 14 लाख 50 हजार थी जो 2013-14 में बढ़ कर 26 लाख हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 98.5 प्रतिशत गहरे ट्यूबवेल निजी स्वामित्व वाले है। इनमें से 81 प्रतिशत निजी मालिक व्यक्तिगत किसान हैं जबकि 19 प्रतिशत किसानों के समूह हैं।

रिपोर्ट के अनुसार गहरे ट्यूबवेल का स्वामित्व रखने वाले किसानों की सामाजिक स्थिति के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के पास 38.6 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के पास 6.7 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के पास 4.5 प्रतिशत हैं। लगभग 50.2 प्रतिशत अन्य के पास हैं।

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