उन्राव: रेप के आरोपी को जमानत तो पीड़िता के सुरक्षा का इंतजाम क्यों नहीं ?

Neetu SinghNeetu Singh   5 Dec 2019 9:30 AM GMT

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उन्राव: रेप के आरोपी को जमानत तो पीड़िता के सुरक्षा का इंतजाम क्यों नहीं ?घटनास्थल जहां पीड़िता को जिंदा जलाया गया।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को पांच लोगों ने जिंदा जला दिया। पिता की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। पीड़िता की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है उसका इलाज लखनऊ में हो रहा है।

पीड़िता ने मार्च 2019 में दो लोगों के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने जिंदा जलाने के मामले में जिन पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है उसमें एक आरोपी वह भी है जिसके खिलाफ पीड़िता ने रेप का मामला दर्ज करवाया था जो एक हफ्ते पहले ही जमानत पर छूटा था।

ऐसे में अब सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर ऐसे संगीन मामलों में रेप के आरोपी को कुछ समय बाद जमानत मिल जाती है तो पीड़िता की सुरक्षा को लेकर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता ? उन्नाव की ये पहली घटना नहीं है जिसमें पीड़िता को जला दिया गया हो बल्कि पिछले एक सप्ताह से देश में ऐसी कई रेप की घटनाएं सामने आयीं जिसे पढ़कर सभी के रोंगटे खड़े हो गये। चाहें वो हैदराबाद में वेटनरी डॉ की गैंगरेप के बाद जलाकर निर्मम हत्या का मामला हो या फिर झारखंड में छात्रा के साथ 12 लोगों के सामूहिक दुष्कर्म का हो।



अभी इन घटनाओं की चर्चा थमी भी नहीं थी तब तक आज सुबह यानि पांच दिसंबर को मुकदमे की तारीख पर जा रही गैंगरेप पीड़िता को जलाने की खबर चर्चा में आ गयी। पीड़िता अभी लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती है जिसकी स्थिति गम्भीर बनी हुई है।

लखनऊ आशा ज्योति केंद्र की प्रमुख अर्चना सिंह इस मामले पर कहती हैं, "ऐसे संगीन मामलों में तीन-चार साल तक कोई जमानत का प्रावधान नहीं होना चाहिए जबतक कि सभी आरोपी गिरफ्तार न हो जाएं। अब ये नया ट्रेंड बढ़ गया है कि रेप के बाद पीड़िता को जला दो। मेरे हिसाब से इस हफ्ते का ये आठवाँ बड़ा मामला है क्योंकि आरोपियों को लगता है कि हमें बेल तो मिल ही जायेगी।"

पुलिस को दिये अपने बयान में पीड़िता ने बताया है कि गुरुवार सुबह चार बजे वह रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बैसवारा बिहार रेलवे स्टेशन जा रही थी तभी गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, किशोर शुभम, शिवम, उमेश ने घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया। वह चक्कर आने से गिरी तो पेट्रोल डालकर आग लगा दी। शोर मचाने पर भीड़ को आता देख वह भाग निकले।

घटनास्थल की निरीक्षण करते पुलिसकर्मी।

सिविल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने पीड़िता की स्थिति के बारे में बताते हैं, "सुबह लगभग साढ़े दस बजे जो उन्नाव से पीड़िता आयी है वो 23 साल की है और 90 फीसदी तक जली हुई है। डॉ प्रदीप तिवारी प्लास्टिक सर्जन हैं जो बर्न के इंचार्ज भी हैं उनकी देखरेख में पीड़िता का इलाज चल रहा है।"

उन्होंने आगे बताया, "जब वो सुबह आयी थी तब उसे बहुत दर्द था। फिलहाल कुछ आराम है लेकिन 90 फीसदी जलना बहुत ज्यादा होता है, आगे अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।"

वहीं इस मामले में लखनऊ जोन के एडीजी एसएन सावंत कहते हैं, "उन्नाव घटना की पीड़िता को लखनऊ सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया है। यहाँ आने से पहले ही उसकी इलाज का पूरा इंतजाम कर लिया गया था। जो बयान दिए गये हैं उस पर कार्यवाही की जा रही है।"

इस मामले में पीड़िता के भाई से जब गांव कनेक्शन ने बात की तो उन्होंने बताया, "सुबह घर से अकेले वो निकली थी हम उसे ट्रेन पर बैठाने जाने वाले थे लेकिन हम शौच के लिए निकल गये, बस 10 मिनट का फासला रहा हमारे बीच। स्टेशन घर से दस कदम की ही दूरी पर है तबतक खबर मिली कि एक लड़की को जला दिया गया, हम जबतक वहां पहुंचे तबतक उसे अस्पताल भेज दिया गया था।"

अगर एक आरोपी बाहर था तो दूसरे को जमानत क्यों?

उन्नाव के सामूहिक दुष्कर्म मामले में एक सवाल पुलिस पर ये भी उठ रहा है कि पीड़िता ने जिन दो आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की थी उसमें अबतक सिर्फ एक ही आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। दूसरे आरोपी को पुलिस अभी तक क्यों नहीं गिरफ्तार कर पाई थी? गिरफ्तार हुआ एक आरोपी भी पिछले सप्ताह जमानत पर छूट आया था। इन दोनों आरोपियों, इन दोनों के पिता और गांव के एक और व्यक्ति को शामिल करके घटना को अंजाम दिया गया।

जब लखनऊ की वकील अंचल गुप्ता से इस केस पर बात की गयी तो वो कहती हैं, "पाक्सो और गैंगरेप जैसे मामलों में लोवर कोर्ट से बेल नहीं होती है। बेल के लिए आरोपी को उच्च न्यायालय जाना पड़ता है लेकिन अगर कोर्ट की तरफ से इतना हो जाए कि पीड़िता द्वारा केवियट (जो एक पेज का होता है जिसमें लिखा होता है कि अगर बेल के लिए आरोपी कोई भी अपील करता है तो सबसे पहले पीड़िता को इसकी सूचना दी जाए इसके बाद कोई कार्यवाही हो) जमा हो जाये जिससे पीड़िता न्यायालय में अपनी बात रख सकती है कि आरोपी के बाहर आने से उसे क्या मुश्किलें हो सकती हैं।"

उन्होंने आगे बताया, "ऐसे में पीड़िता के बिना अनुमति के आरोपी को बेल नहीं मिलेगी। पीड़िता उच्च न्यायालय में अपनी सुरक्षा की भी मांग कर सकती है। दूसरा अगर बेल पर आरोपी छूट रहा है तो ये भी ध्यान देना जरूरी है कि पीड़िता का बयान कोर्ट में हुआ या नहीं, अगर नहीं तो आरोपी को बेल न दी जाए।"

हमारे देश का ये दुर्भाग्य है कि कुछ एक ही मामले ऐसे होते हैं जो चर्चा में आते हैं लेकिन ऐसे न जाने कितने मामले हैं जिसमें रेप के बाद पीड़िता और उसका परिवार डर की वजह से खुद को चाहरदीवारी में कैद करने को मजबूर हो जाता है या फिर अपना घर छोड़कर बाहर सुरक्षित जगहों पर चला जाता है। एक पीड़ित परिवार को घटना के बाद न्याय पाने के लिए थाने, कोर्ट, कचहरी के अनगिनत चक्कर काटने पड़ते हैं इसके बावजूद सालोंसाल उन्हें न्याय नहीं मिलता है।

गांव कनेक्शन ने इन रेप पीड़िताओं की मुश्किलों को समझने के लिए एक महीने पहले एक विशेष सीरीज शुरू की है जिसका नाम है 'बलात्कार के बाद'। इस विशेष सीरीज में हम उन रेप पीड़िताओं से मिल रहे हैं जिनके मामले में अभी तक क्या चल रहा है, पीड़िता को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और गाँव कनेक्शन कैसे उनकी मदद कर सकता है।

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