दिवालिया होकर नहीं बचेंगे अमीर

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नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक नए कानून के लिए अपनी हामी भर दी है जिसमें कंपनियों या फिर व्यक्तियों के दिवालापन से जुड़े मामलों का निपटान 180 दिन के भीतर करने का प्रबंध है। सोमवार को जारी एक अधिसूचना के मुताबिक दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 के लिए राष्ट्रप्रति प्रणब मुखर्जी ने सिफारिश कर दी है। दिवालापन ऐसे मामलों से जुड़ा है जहां कोई यूनिट या व्यक्ति बकाए का भुगतान नहीं कर पाता है।

इस कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपने दिवालिया होने या फिर चुकाने का काम धोखाधड़ी या दुर्भावना की मंशा से शुरू करता है तो उसके खिलाफ किसी अथॉरिटी की ओर से कम से कम एक लाख रुपए और ज्यादा से ज्यादा एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस संबंध में एक विधेयक राज्यसभा ने 11 मई को पास किया था जिसे लोकसभा 5 मार्च को ही मंजूरी दे चुकी थी। वित्त मंत्रालय ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून को आर्थिक सुधारों की कड़ी में एक बड़ा कदम बताया है। 

इस कानून के जरिये रोजगार को बढ़ावा मिलेगा, कर्ज मिलना सुधरेगा और कंपनियों की वित्तीय समस्याओं का समय पर हल किया जा सकेगा। इस कानून के मुताबिक उधार लेने वाली कंपनियों के बारे में जानकारी देने के लिए सूचना एजेंसियां बनाई जाएंगी। ये एजेंसियां बताएंगी कि कर्ज लेने वाली कंपनी या व्यक्ति ने कितना कर्ज लिया है। सरकार को उम्मीद है कि इस नए कानून के अमल में आने से विश्व बैंक की कारोबार आसानी सूची में भारत की हालत और बेहतर होगी। कानून में संपत्तियों को छुपाने और कार्पोरेट दिवालियापन के तहत किए जाने वाले अपराधों के मामले में जुर्माने का प्रबंध साफ किया गया है।

 

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