सिर्फ ससुराल नहीं पिता के घर भी कोई सताए तो घरेलू हिंसा है, जानिए कैसे मिलेगी मदद

ये ज़रूरी नहीं है कि घरेलू हिंसा सिर्फ ससुराल में ही हो, वकील अंचल गुप्ता बता रहीं हैं घरेलू हिंसा में क्या-क्या आता है और इसके लिए कौन से कानून बनाए गए हैं।

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कहीं आप अपनी बेटी की शादी बिना उसकी मर्जी के तो नहीं कर रहे हैं ? अगर हाँ तो सावधान हो जाइये आप पर घरेलू हिंसा का आरोप लग सकता है।

घरेलू हिंसा का मतलब सिर्फ ससुराल से प्रताड़ित किया जाना नहीं है, अपने पिता के घर में अगर किसी को परेशान किया जा रहा है तो भी वो इसकी शिकायत कर सकती है और इसे घरेलू हिंसा ही माना जाएगा।

कानूनी रूप से घरेलू हिंसा की परिधि

घरेलू हिंसा, जैसा की शब्द से ही साफ़ है घर में होने वाली हिंसा है। जब हम घर की बात करते हैं तो महिलाओं के लिए ज़्यादातर घर सिर्फ ससुराल को मान लिया जाता है जो सही नहीं हैं। घर वो है जहाँ आप रहते हैं।

आप अपने माँ बाप के साथ जहाँ रह रही हैं वो भी आपका घर है, ससुराल वालों के साथ रह रही हैं तो वो भी घर है, लिव इन पार्टनर के साथ हैं तो वो भी घर की परिभाषा मे आता है।

क्या है घरेलू हिंसा अधिनियम 2005

घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण देने के लिए 'घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 ' लाया गया है, जिसमें घरेलू हिंसा की परिभाषा को और विस्तृत किया गया है। वो कहता है, घरेलू हिंसा के मामलों में शिकायत करने वाली पीड़िता कौन है, और वो विपक्षी के साथ साझा गृहस्थी में और घरेलू नातेदारी में रह रही हो।


इस कानून के तहत घरेलू हिंसा के दायरे में कई प्रकार की हिंसा और दुर्व्यवहार आते हैं। किसी भी घरेलू संबंध या नातेदारी में किसी प्रकार का व्यवहार, आचरण या बर्ताव जिससे आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, या किसी अंग को कोई नुकसान पहुँचता है या मानसिक या शारीरिक हानि होती है, घरेलू हिंसा है।

शारीरिक दुरुपयोग - जैसे मार पीट करना, थप्पड़ मारना, दाँत काटना, ठोकर मारना, लात मारना

लैंगिक शोषण - बलात्कार अथवा बलपूर्वक बनाए गए शारीरिक सम्बंध, अश्लील साहित्य या सामग्री देखने के लिए मजबूर करना, अपमानित करने के लिए किया गया लैंगिक व्यवहार, और बालकों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार शामिल है।

मौखिक और भावनात्मक हिंसा - इसमें अपमानित करना, गालियाँ देना, चरित्र और आचरण पर आरोप लगाना, लड़का न होने पर प्रताड़ित करना, दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना, नौकरी न करने या छोड़ने के लिए मजबूर करना,अपने मन से विवाह न करने देना या किसी व्यक्ति विशेष से विवाह के लिए मजबूर करना, आत्महत्या की धमकी देना इसमें आता है।

आर्थिक हिंसा - इसमें आपको या आपके बच्चे को देखभाल के लिए धन और संसाधन न देना, आपको अपना रोज़गार न करने देना, या उसमें रुकावट डालना, आपकी आय, वेतन आपसे ले लेना, घर से बाहर निकाल देना इत्यादि भी घरेलू हिंसा है।

किसी भी तरह की हिंसा से आपको सुरक्षा मिल सकती है।

पार्टनर के खिलाफ कर सकते हैं शिकायत

लिव इन रिलेशनशिप को भी इसमें पहचाना गया है और लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए महिला अपने पार्टनर के खिलाफ़ शिकायत कर सकती है। क्योंकि जो पीड़ित महिला है, वो घरेलू नातेदारी में रह रही है और साझेदारी में गृहस्थी में रह रही है । एक और महत्वपूर्ण चीज इस कानून ने ये भी पहचाना है कि किसी भी महिला के लिए छत होना बहुत ज़रूरी है।

घर की कर सकती हैं माँग

इस अधिनियम के अन्तर्गत महिलाओं की छत की पूरी व्यवस्था की गयी है। उदाहरण के तौर पर जब हम ये कहते हैं कि, महिलाएँ किस तरह की राहत माँग सकती है तो वो निवास आदेश भी माँग सकती हैं। यानी वो कह सकती हैं कि जिस घर में रह रही थी वहाँ रहने दिया जाए।

महिलाएँ कहाँ-कहाँ कर सकती हैं शिकायत

घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएँ थाना, पुलिस चौकी, महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकती हैं। इसके साथ ही कुछ हेल्पलाइन नंबर भी है। 1090, 112 और वन स्टॉप सेंटर पर जा सकती हैं।

मिलेगी आर्थिक सहायता

बहुत सी महिलाएँ इसलिए भी शिकायत नहीं करती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि मुकदमे के लिए पैसे कहाँ से आएँगे। ऐसे में महिलाओं की मदद की भी व्यवस्था की गई है।

हर मुकदमे में पैसा नहीं लगता है

ऐसी व्यवस्था की गई है, कि जिला विधिकरण जो हर ज़िले में होता हैं महिला वहाँ जा सकती है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए संरक्षण अधिनियम 2005 का कानून है, जिसके तहत एक पैनल भी गठित किया गया है।

साल दर साल घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग को 2020-21 में महिलाओं से 26,513 घरेलू-हिंसा की शिकायतें मिलीं, जो 2019-20 में दर्ज 20,309 शिकायतों की तुलना में 25.09 प्रतिशत ज़्यादा है।

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