लहसुन किसान बोले- इस बार दिवाली अच्छी हो जाएगी

Arvind ShuklaArvind Shukla   17 Oct 2019 5:32 AM GMT

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अरविंद शुक्ला/वीरेंद्र सिंह/पुष्पेंद्र वैद्य

लखनऊ/बाराबंकी/नीमच। मध्य प्रदेश में नीमच के माचड़ गांव के रहने वाले किसान कन्हैया के मुताबिक उनकी दिवाली इस बार अच्छी मनेगी। क्योंकि लहसुन का रेट अच्छा मिल रहा है। कन्हैया कहते हैं, "पिछले साल 1000 रुपए में लहसुन बिका था इस बार 18000 तक में जा रहा है। भाव अच्छा है तो दीवाली धूमधाम से मनाएंगे। किसान भले ही खुश हैं लेकिन त्योहारी सीजन में उपभोक्ता थोड़े मासूय हैं, शहर के फुटकर बाजारों में लहसुन 250 से 300 रुपए किलो तक बिक रहा है।"

कन्हैया जिस इलाके में रहने वाले हैं उसके आसपास मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों के कई जिलों में लहसुन प्याज की बंपर खेती होती है। पिछले कई वर्षों से लगातार घाटा झेल रहे लहसुन किसानों को इस बार अच्छे रेट मिल रहे हैं। भारत की अलग अलग मंडियों में 8 हजार रुपए से लेकर 22 हजार रुपए प्रति कुंतल का लहसुन बिक चुका है। नीमच में पिछले 15 दिनों से लहसुन 18000 रुपए प्रति कुंतल के आसपास है।

जबकि फुटकर बाजार की बात करें तो दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और लहसुन समेत कई बड़े शहरों में लहसुन 250 से लेकर 300 रुपए किलो तक बिक रहा है। भारत में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में लहसुन की बड़े पैमाने पर खेती होती है। लहसुन कारोबियों का मानना है अक्टूबर में लहसुन की बुवाई भी होती है और ये त्योहारी सीजन है इसलिए आने वाले दिनों में भी रेट इसी के आसपास रहेंगे।


मध्य प्रदेश की नीमच और मंदसौर की पिपलिया मंडी, देश की सबसे बडी लहसुन मंडियां हैं। नीमच में लहसुन और प्याज के बड़े कारोबारी नरेंद्र निलवाया लहसुन का रेट और आगे की संभावनाओं पर कहते हैं, आज भी नीमच से 15 हजार कट्टा (50 किलो) माल बाहर गया है। थोक का रेट 8 से 18000 के बीच है। आगे दिवाली और भाईदूज समेत कई त्योहारी हैं तो भाव ऐसे रहने की उम्मीद है।

लहसुन की बढ़ी कीमतों के पीछे कई फैक्टर बताए जा रहे हैं। जिनमें बारिश, बाढ़ और चीन-अमेरिका ट्रेड वार शामिल हैं। भारत दुनिया में लहसुन उगाने वाले बड़े देशों में शामिल है लेकिन सबसे ज्यादा उत्पादन और निर्यात चीन करता है। चीन ही अमेरिका को सबसे ज्यादा लहसुन निर्यात करता है। पिछले एक साल में अमेरिका में लहुसन की कीमतों में 53 फीसदी (वालमार्ट रेट) की बढ़ोतरी देखी गई है। अमेरिका और चीन में छिड़े व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) की बीच अमेरिका के प्रसिद्ध न्यूज पोर्टल नेशनल पब्लिक रेडियो ने वालमार्ट में बिकने वाले 80 उत्पादों के रेट पर अगस्त 2018 और अगस्त 2019 के बीच नजर रखी। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान लहसुन की कीमतें 53 फीसदी बढ़ी हैं। अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर निर्यात ड्यूटी बढ़ाई जिसके चलते कई उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं, लहसुन भी उनमें से एक है।

हालांकि नीमच के ट्रेडर नरेंद्र निलवाया कीमतें बढ़ने में ट्रेड वार का ज्यादा हाथ नहीं मानते, वो कहते हैं, हमारे यहां का ज्यादातर लहसुन दक्षिण भारत में जाता है। कीमतें बढ़ने का कारण ये है कि पिछले कई वर्षों से किसानों को लगातार घाटा हो रहा था तो लोगों ने कम बुवाई शायद कम की, दूसरा कई राज्यों में बाढ़ के चलते सब्जियां खराब हुईं और अक्टूबर में लहसुन बुवाई का भी सीजन है तो मांग वैसे भी बढ़ जाती है।

वैसे भी वजह क्या रही इससे किसानों को ज्यादा फर्क नहीं, किसानों का कहना पिछले कई वर्षों की लहसुन में मंदी और खरीफ के सीजन में ज्यादा बारिश के कई फसलों के चौपट होने के बाद लहसुन के अच्छे रेट से कुछ राहत मिल रहा है।


मध्य प्रदेश में नीचम, मंदसौर, इंदौर, राजस्थान में मंदसौर से सटे प्रतापगढ़, निंबाहेडा, कोटा समेत कई जिलों और उत्तर प्रदेश में बाराबंकी, सीतापुर, फैजाबाद समेत एक दर्जन से ज्यादा जिलों में लहसुन खूब उगाया जाता है। बाराबंकी की रामनगर मंडी में लहसुन का अच्छा कारोबार होता है। बाराबंकी के बेलहरा कस्बे में रहने वाले किसान रामदुलारे मौर्य भी कई वर्षों से लहुसन में घाटा झेल रहे थे, इस बार वो भी काफी खुश हैं। राम दुलारे कहते हैं, हमने पिछले दिनों में 20000 में लहसुन बेचा, अभी कई कुंतल माल रखा है। यही भाव रहा तो अच्छा मुनाफा होगा। रामदुलारे के पास 2 एकड़ लहसुन था। खर्च की बात करें तो लहुसन में प्रति एकड़ करीब 50 हजार का खर्च आता है और एक एकड़ में किसानों के मुताबिक 20-25 कुंतल का उत्पादन मिलता है।

रामदुलारे के पड़ोसी रमेश चंद्र मौर्य कहते हैं फिलहाल ये किसानों के लिए राहत की ख़बर है चलो किसी फसल में तो मुनाफा हुआ। बाराबंकी से 900 किलोमीटर दूर नीमच के जितेंद्र राठौर भी खुश हैं क्योंकि उनके पास अभी 50 कुंतल लहसुन रखा है जिसे वो दीवाली तक थोड़ा थोड़ा करके बेचना चाहते हैं, मेरे पास कई एकड़ लहसुन था लेकिन ज्यादातर एक महीने पहले जब भाव 8000 में था तब बेचना शुरु कर दिया था, उसके बाद से बढ़े भाव के हिसाब से बेच रहे हैं। इस सीजन में आगे रेट बढ़ने की उम्मीद है। जितेंद्र कहते हैं बस शुक्र मनाइए की सरकार विदेश से कहीं लहसुन न मंगवा ले।

उनका इशारा कीमतों पर काबू करने के लिए सरकार के आयात के फैसले से थी। किसानों का आरोप रहा है कि जब भी देश में किसी चीज की किसानों को अच्छी कीमत मिलने लगती है, सरकार विदेश से वो सामान मंगा लेती है।

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