'अगर कोई घड़ियाल के बच्चों को नुकसान पहुँचाने की सोचता भी है तो हमें गुस्सा आ जाता है'

उत्तर प्रदेश की तराई में बसे बहराइच में है कतर्नियाघाट वन्य अभयारण्य, जो बाघों के लिए मशहूर है; लेकिन एक और भी चीज है जो इसे ख़ास बनाती है, वो हैं यहाँ के घड़ियाल।

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छोटे-छोटे बच्चों के क्रेच आपने देखे होंगे, जहाँ ये बच्चे शरारत करते हैं, रोते हैं और हँसते हैं, लेकिन क्या कभी आपने घड़ियाल के बच्चों का क्रेच देखा है।

अगर नहीं तो चलिए आपको लिए चलते हैं उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्थित कतर्नियाघाट वन्य अभयारण्य; यहाँ पर है घड़ियाल के बच्चों का शानदार ठिकाना, जहाँ पर इनकी पूरी देखभाल होती है।

कतर्नियाघाट वन्य अभयारण्य में इन बच्चों को संभालने वाले केयर टेकर गुलाम रसूल गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मार्च के समय घड़ियाल अंडे देते हैं और जब उनका अंडे देने का समय पूरा हो जाता हैं, जब हम उनके अंडों को सुरक्षित तरीके से निगरानी में रखते हैं; जून के आखिर में इन अंडों से बच्चों के निकलने का समय हो जाता है।"


लेकिन अंडों से बच्चे निकलने की प्रक्रिया में एक बात का ख़ास ध्यान रखना होता है। इस पर गुलाम रसूल कहते हैं, "अंडे से बच्चे निकलने के बाद जो पुरानी मादा होती है वो बच्चों को खुद ही ज़मीन खोदकर ले जाती है, लेकिन कुछ नई मादा होती हैं वो ऐसा नहीं कर पाती हैं; इसलिए हम लोग इन्हें खोदकर निकालते हैं और फिर इन्हें क्रेच में लेकर आते हैं, नहीं तो बारिश के समय बच्चे नदी में बह जाते हैं।"

बांग्लादेश, भारत और नेपाल का मूल निवासी घड़ियाल एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति है। भूटान, म्यांमार और पाकिस्तान से घड़ियाल विलुप्त हो गए हैं। भारत में घड़ियालों के संरक्षण पर काम हो रहा है, उनमें से एक कतर्नियाघाट भी है।


घड़ियालों के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू के बारे में गुलाम कहते हैं, "साल 2019 की बात है, बाढ़ कि वजह से एक नेस्ट पानी में गिर गया था उस में 25 अंडे थे; उस दिन मैं ड्यूटी पर था, करीब 15-20 फीट पानी था हमने रेस्क्यू ऑपरेशन किया।" "अक्सर माना जाता है कि अगर अंडे पानी में गिए जाएँ तो 24 घंटे के अंदर बच्चों की मौत हो जाती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, हमने सभी 25 बच्चों को बचा लिया था।"

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में पर्यटकों के लिए जंगल में घूमने के लिए कुछ सख्त कानून लागू किये गए हैं। इन लोगों के लिए ये घड़ियाल अपने बच्चों की तरह ही प्यारे हैं। कतर्नियाघाट में केयरटेकर के तौर पर काम करने वाले लक्ष्मण को घड़ियाल के बच्चों से बहुत लगाव है, वो कहते हैं, "अगर कोई घड़ियाल के बच्चों को नुकसान पहुँचाने कि सोचता भी है तो हमें तुरंत गुस्सा आ जाता है।"

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