सीएम द्वारा 'राज्य शिक्षक पुरस्कार' पाने वाले शिक्षकों से मिलिए

Daya SagarDaya Sagar   5 Sep 2019 11:14 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 49 शिक्षकों को 'राज्य शिक्षक पुरस्कार' से सम्मानित किया। यह सम्‍मान उन शिक्षको को मिला है, जिन्‍होंने शिक्षा के क्षेत्र में बढ़‍िया काम किया है। उन्‍हें सरकारी मदद नहीं मिलने के बाद भी अपने स्‍कूल के बच्‍चों को वो सुविधा दी, जो किसी और शिक्षक ने नहीं की। इस बार 49 पुरस्कृत शिक्षकों में 20 महिलाएं हैं।

इस कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया। शिक्षकों को 25-25 हजार रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने प्रेरणा एप का लोकार्पण भी किया। जिसकी मदद से विद्यार्थियों व शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर मिड-डे-मील पर नजर रखी जाएगी।

पुरस्कार मिलने के बाद शिक्षकों ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के हाथों सम्मानित होने के बाद शामली की प्राथमिक स्कूल की प्राध्यापिका सुहासिनी कहती हैं, "शिक्षक दिवस हमारे लिए बहुत मान सम्मान का दिन है। अब यहां सम्‍मान पाने के बाद हमारी जिम्मेदारियां दोगुनी हो गई हैं, अब हम लोगों को और मेहनत करनी होगी।"

सुहासिनी अपने किए गए कामों के बारें में बताती हैं कि हम अपने बच्चों को स्मार्ट क्लास की सुविधा देते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई में रोचकता बनी रहती है। हम स्‍कूल में बच्‍चों को वह माहौल देते हैं, जिससे बच्‍चा अपनी प्रतिभा को निखार सके। हमारे यहां के शिक्षक बच्‍चों से दोस्‍ताना व्‍यवहार बनाकर रखते हैं इससे बच्‍चे खुलकर अपनी बात कह लेते हैं। आज इसका बेहतर परिणाम सामने भी आ रहा है।

वहीं वाराणसी के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक रविंद्र कुमार सिंह राज्य शिक्षक का पुरस्कार पाने के बाद बहुत खुश हैं। अपनी खुशी को जाहिर करते हुए वो कहते हैं कि सरकार के ऐसे सम्मानित करने से शिक्षकों को अच्छा करने की प्रेरणा मिलती है। इससे प्रेरित होकर अन्‍य लोग भी अच्‍छा करने की कोशिश करते हैं।

वह बताते हैं कि मैंने अपने स्‍कूल को बेहतर बनाने के लिए समुदाय की मदद ली। उनकी मदद से ही स्कूल में लाइब्रेरी और डेस्क बेंच की व्यवस्था की है और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इसके लिए निरंतर प्रयास भी किया। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना ही अपना पहला लक्ष्य रखा। ये बच्‍चे ही हैं जो आगे चलकर हमारा भविष्‍य बनेंगे। इसलिए इनको बेहतर बनाने के लिए हम जो भी करें, वो कम है।

यह भी पढ़ें- दिव्यांग शिक्षक और खच्चर से स्कूल के 14 किलोमीटर दुर्गम रास्ते का सफर

राज्य शिक्षक का पुरस्‍कार उच्च माध्यमिक विद्यालय पीलीभीत के प्रध्यापक संतोष खरे को भी मिला है। सीएम योगी के हाथों सम्‍मानित होने के बाद उन्‍होंने बताया कि प्रकृति का नियम है यदि कोई बुरा काम करता है तो उसे दंड मिलता है और जो अच्‍छा करता है उसे पुरस्कार मिलता। वैसे ही हम अपने बच्‍चों को हमेशा अच्‍छा करने की सीख देते रहते हैं। इस तरह के उनकी उर्जा बढ़ती रहती है।

उन्‍होंने कहा कि मैंने विद्यालय में आईसीटी क्षेत्र में बहुत काम किया है। बिना किसी सरकारी विज्ञापन के सभी 285 बच्चों के लिए डेस्क और बेंच की व्यवस्था की है। हम लैपटॉप और प्रोजेक्टर का उपयोग कर बच्चों को नई-नई जानकारियां भी देते हैं। स्‍कूल के बच्‍चों के लिए कम्‍प्‍यूटर का ज्ञान होना बहुत ही आवश्‍यक है। अगर उन्‍हें आधुनिकता के दौड़ में बने रहना है तो टेक्‍निकल ज्ञान का होना बहुत ही आवश्‍यक‍ है। हमने बच्‍चों की पढ़ाई के साथ-साथ टेक्‍निकल ज्ञान को बढ़ावा दिया।

संतोष बताते हैं कि हमारे पास जो बच्चे आते हैं वह बेहद गरीब घर के होते हैं। ऐसे में मेरे ऊपर जिम्‍मेदारी बढ़ जाती है कि मैं उनकी पढ़ाई बेहतर कर सकूं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपने बच्चों को नहीं पढ़ाऊंगा तो कौन पढ़ाएगा। मैं तो अभिभावकों से कहता हूं कि स्कूल में आने के बाद यह बच्चा मेरा है और यहां से घर जाने तक इनकी सारी जिम्मेदारियां मेरी है।

यूपीएस कोटवा स्कूल लखीमपुर के प्रध्यापक पंकज कुमार वर्मा को भी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान करने पर राज्य शिक्षक पुरस्कार दिया गया है। उन्होंने बताया कि समुदाय के मदद से उन्होंने बच्चों के लिए डेस्क और बेंच की सुविधा के साथ-साथ स्कूल में इनवर्टर की भी व्यवस्था की है। क्योंकि गांव में बिजली नहीं होती, ऐसे में गर्मी की वजह से बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होती थी।

उन्‍होंने बताया कि स्‍कूल में बच्‍चों को चार कद आगे रखने के लिए कम्‍प्‍यूटर और इंटरनेट की व्‍यवस्‍था की गई है। हमारे यहां बच्‍चों को बस किताबी ज्ञान ही नहीं दिया जाता है बल्‍कि उन्‍हें वो आजादी दी जाती है कि उन्‍हें जो पसंद हो उसे पढ़कर आगे बढ़ें। बच्‍चों को किताबी ज्ञान के साथ ही प्रैक्‍टिकल पर भी पूरी तरह से फोकस किया जाता है। ऐसे में बच्‍चों की क्षमता का अंदाजा लग जाता है।

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.