बुंदेलखंड का पारंपरिक राई लोक नृत्य, जिसमें सरसों के दाने की तरह झूमकर नृत्य करती हैं महिलाएं

बुंदेली राई बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है। राई का मतलब सरसों होता है। जिस तरीके से किसी थाली में रखे सरसों के दाने घूमते हैं, उसी तरह नर्तक भी नगड़िया, ढोलक, झीका और रामतूला जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाचते हैं। यह पारंपरिक लोक नृत्य लुप्ति के कगार पर था लेकिन झांसी प्रशासन ने इस संस्कृति को पुनर्जीवित करने के साथ ही गायकों और नर्तकियों का सपोर्ट कर रहे हैं।

Shivani GuptaShivani Gupta   7 July 2022 10:51 AM GMT

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झांसी, उत्तर प्रदेश। चमकीले गुलाबी, पीले, हरे और नीले रंग की पारंपरिक बुंदेली पोशाक पहने हुए, झांसी की महिलाएं तबला, हारमोनियम, नगड़िया, मंजीरा, रामतूला और लोकगीतों की थाप पर थिरकती हैं और मुस्कुरा कर शरमाते हुऐ अपने साथी की तरफ देखती हैं।

बुंदेली राई के नाम से जाना जाने वाले इस नृत्य को गाँवों में खुशी का जश्न मनाने के लिए महिलाएं और पुरुष करते हैं।

बुंदेली राई बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है। राई का मतलब सरसों होता है। जिस तरीके से तश्तरी में रखे सरसों के दाने घूमते हैं, उसी तरह नर्तक भी नगाड़िया, ढोलक, झीका और रामतूला के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाचते हैं।

जिला प्रशासन ने लोक नर्तकों, संगीतकारों और लोक गायकों को रोजगार के अवसर देने के लिए कदम उठाए हैं। सभी फोटो: यश सचदेव

झांसी की एक सामाजिक कार्यकर्ता नीति शास्त्री ने गाँव कनेक्शन को बताया, "जब आप सरसों के दाने को जमीन पर डालते हैं तो घूमता है और चक्कर लगाने के बाद ही रुकता है। कुछ इसी तरह, बुंदेलखंड की गोरी (महिला) अपने नव गज लहंगे, पारंपरिक आभूषण जैसे बेंडा, टिकुली, करधनी, पेनजना पहने हुए गाँव के गोरे (ग्रामीण पुरूष) के साथ नृत्य करती हैं।"

बुंदेलखंड के इलाके में लगभग 140 तरह के पारंपरिक लोक नृत्यों में से एक राई लोक नृत्य अच्छी फसल, शादी और राजाओं के युद्ध से सफल वापस आने किया जाता है। इसके बोल कुछ इस तरह से हैं।

गोरी नैना ने मार

गोरी नैना ने मार

भरके दुनाली चाहे मार दे

गोरी नैनन के तीर

गोरी नैनन के तीर

घूंघट ना दयो रे, मर जिन गैलारे

गीत के बोल के बारे में बताते हुए, पारंपरिक लोक गायक हरविंद नीरज कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया: "इस गीत में, एक पुरुष एक महिला से अनुरोध करता है कि वह उसकी तरफ नजरों का तीर ना फेंके, क्योंकि इससे कष्टदायी दर्द होगा। वह उसे इसके बजाय एक गोली चलाने के लिए कहता है।"

बुंदेली राई के नाम से जाना जाने वाले इस नृत्य को गाँवों में खुशी का जश्न मनाने के लिए महिलाएं और पुरुष करते हैं।

उन्होंने हंसते हुए कहा, "एक गोली से बचना आसान है, लेकिन एक महिला की नज़र के तीरों से आसान नहीं।"

मरती हुई संस्कृति को बचाने की एक मुहिम

हॉलीवुड और बॉलीवुड के प्रभाव की वजह से, पारंपरिक लोक नर्तक रोजी रोटी कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने लोक नर्तकों, संगीतकारों और लोक गायकों को रोजगार के अवसर देने के लिए कदम उठाए हैं।

शास्त्री बताती हैं, "दुर्भाग्य से ऐसा आया जब तबला, नगड़िया, मंजीरा सहित सभी संगीत वाद्ययंत्र घर के किसी कोने में रख दिए गए, क्योंकि इन कलाकारों के पास आजीविका के अवसर नहीं थे। उन लोगों ने लोक गायन छोड़ दिया और मजदूरी का काम करना शुरू कर दिया।"


स्थिति तब और खराब हो गई जब सांस्कृतिक कार्यक्रमों के न होने के कारण कलाकार COVID19 महामारी के बीच आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। झांसी डिवीजन के आयुक्त अजय शंकर पांडे ने गाँव कनेक्शन को बताया, "महामारी के दौरान, इन कलाकारों की हालत खराब हो गई और कोई काम नहीं था। हम उन्हें बराबर प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना चाहते थे और साथ ही हमारे बुंदेलखंड की कला और संस्कृति को पुनर्जीवित करना चाहते थे।"

उन्होंने आगे बताया, "हमने झांसी मंडल में 61 ऐसे कलाकारों की पहचान की है, जो विभिन्न कलाओं में काफी अच्छे हैं, लेकिन उन्हें नौकरी का कोई मौका नहीं मिल रहा है।"

अटल कला मंच

यह उस समय की बात है जब जिला प्रशासन ने झांसी के अटल एकता पार्क में अटल कला मंच की स्थापना की थी। हर दिन एक कलाकार मंच पर बुंदेलखंड की संस्कृति का प्रदर्शन करता है और प्रशासन उसे प्रोत्साहन प्रदान करता है।

कमिश्नर ने बताया, "यह कलाकारों की रोजी रोटी का जरिया बना हुआ है और लोगों को उनकी कला और संस्कृति से अवगत कराता है। साउंड, लाइट, माइक और मंच - सब कुछ निःशुल्क है। हम चाहते हैं कि युवा पीढ़ी और जिन्होंने इसे छोड़ दिया है वे अपनी पारंपरिक संस्कृति को दोबारा अपनाएं।"

झांसी के अलावा, 200 से अधिक ऐसे लोक समूहों को वर्ष की शुरूआत से (अप्रैल तक) उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के उरई, जालौन, ललितपुर जिलों और झांसी जिले के गरौठा, गुरसराय और तेहरोली में पुनर्जीवित किया गया है।

लोक गायक नीरज ने बताया, "पहले यहां गायकों और नर्तकियों की हालत अच्छी नहीं थी। लेकिन हमारे कमिश्नर के लगातार प्रयासों के लिए धन्यवाद, जिन्होंने एक समिति गठित की जिसमें नीति शास्त्री जी, और दूसरे लोग हैं, हमें यह मंच प्रदान किया गया है और नियमित रूप से प्रोत्साहन मिलता है।"

लोक गायक ने बताया कि सात कलाकारों का एक ग्रूप सरकारी कार्यक्रम में 5 हजार रुपये तक कमाता है और एक महीने में, वे 10-20 कार्यक्रमों में प्रदर्शन करते हैं।

बुंदेलखंड के लोक नर्तक और गायक इस क्षेत्र में हो रहे सरकारी कार्यक्रमों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रदर्शन करते रहे हैं।

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता नीति शास्त्री ने सरकार को इन लोक नर्तकों और गायकों के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण केंद्र आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "कलाकार न सिर्फ प्रदर्शन करते हैं बल्कि अपने वित्तीय सशक्तिकरण का भी ख्याल रखते हैं। और वे बच्चों को प्रशिक्षित भी करते हैं ताकि संस्कृति युवा पीढ़ी तक पहुंचे।"

बुंदेलखंड से दुबई तक

वर्षों से, बुंदेलखंड के लोक नर्तक और गायक इस क्षेत्र में हो रहे सरकारी कार्यक्रमों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रदर्शन करते रहे हैं।

पिछले साल दिसंबर के महिने में लोक नृत्यांगना राधा प्रजापति के नेतृत्व में एक ग्रूप को दुबई एक्सपो में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया था। झांसी में पारंपरिक लोक कलाकारों को विदेशों में अपने सांस्कृतिक नृत्य का प्रदर्शन करने का यह पहला मौका था। जब पीएम मोदी इसी महीने जुलाई के मध्य में 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने के लिए जालौन जाएंगे तो लोक नृत्य भी केंद्र में होगा। लोक नर्तक बुंदेली राय नृत्य करेंगे।

पिछले दिसंबर में लोक नृत्यांगना राधा प्रजापति और उनके ग्रुप को भी दुबई एक्सपो में बुलाया गया था। फोटो: अरेंजमेंट

राधा प्रजापति जो बचपन से ही अपना करियर बुंदेलखंड की लोक संस्कृति को समर्पित कर दिया, उन्होंने ने गांव कनेक्शन को बताया, "कला तो कला है। हमारी पहचान हमारी संस्कृति से है। मैं प्रसिद्ध नहीं होना चाहता, लेकिन मैं चाहता हूं कि मेरी राई इतनी लोकप्रिय हो कि जैसे लोग कथक और हिप हॉप सीखते हैं, वैसे ही लोग राई भी सीखें।"

यदि आप झांसी घूमने जाते हैं, तो मुमकिन है कि आप अटल एकता पार्क में राई के जीवंत नृत्य और बुंदेलखंड की लोक संस्कृति को देखेंगे। अपनी शाम को झांसी की राई के पारंपरिक लोक नृत्य के साथ मजेदार बनाएं।

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