हिंदुत्व जबरन धर्मपरिवर्तन की इजाजत नहीं देता: भागवत
गाँव कनेक्शन 3 Aug 2016 5:30 AM GMT

लंदन (भाषा)। RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदू परंपरा ऐसे धर्मपरिवर्तन की इजाजत नहीं देता, जिसमें किसी व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन होता हो। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हिंदुत्व कोई धर्म नहीं है, बल्कि एक परंपरा है जो सभी तरह की पहचान को स्वीकार करने और सम्मान करने की बात करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी दर्शन या धर्म पर विचार करने के बाद यदि किसी की खुद की इच्छा या आकांक्षा उसे बदलने की हो, तो हमारी परंपरा कहती है कि प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र रुप से फैसला कर सकता है कि उसकी आस्था क्या होनी चाहिए। लेकिन लोगों को प्रलोभन देना या कुछ अन्य तरीके का सहारा लेना व्यक्ति के अधिकारों में हस्तक्षेप होगा और उसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।''
सरसंघचालक ने ब्रिटेन आधारित धर्मार्थ संस्था हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS) की कल शाम लंदन में 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर ‘पहचान एवं एकीकरण' विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए यह कहा। भागवत ने यह भी कहा, ‘‘हिंदू एक संस्कृति है, ना कि धर्म।'' उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू एक परंपरा है जो सभी अन्य पहचानों को स्वीकार करने, उनका सम्मान करने और उनकी सराहना करने में यकीन रखता है।''
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पहचानों में कोई समस्या नहीं है, हम एक एकीकृत समाज की तरह और मानवीय एवं सार्वभौमिक रुप से रह सकते हैं। इसे हासिल किया गया है और आम आदमी ने इसे जिया है और इसे कहीं भी पाया जा सकता है जहां हिंदू रहते हैं। हिंदू धर्म कहता है कि विविधता को सराहा जाना होगा।'' भागवत ने प्राचीन काल में भी विविधता मौजूद होने और ‘विविधता में एकता' हिंदुत्व का केंद्रीय मंत्र होने के पक्ष में अथर्वेवद की सूक्तियों का हवाला दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने इतिहास के बावजूद, हमने किसी के साथ विदेशी जैसा बर्ताव नहीं करते, कभी कभी सिर्फ राजनीति इन सभी में व्यवधान डालती है। लेकिन ये पानी के बुलबुले की तरह रहे हैं और फिर हम सामान्य स्थिति की ओर लौट जाते हैं क्योंकि यह हमारे खून में है।''
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