हो पूरी जानकारी तो असाध्य नहीं टीबी की बीमारी

दिति बाजपेईदिति बाजपेई   2 April 2016 5:30 AM GMT

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लखनऊ। रामलखन तिवारी (38 वर्ष) पिछले तीन हफ्ते से टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से पीडि़त हैं, जानकारी के अभाव में उन्हें इस बीमारी के बारे नहीं पता था अब रामलखन लखनऊ के सिविल अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं।

लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 19 किलोमीटर दूर चिनहट के निवासी रामलखन कपड़ों में प्रेस करने का काम करते हैं। रामलखन बताते हैं, “मुझे काफी समय से खांसी के साथ-साथ बलगम आ रहा था, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि यह बीमारी हो जाएगी।”

रामलखन के परिवार में उनकी पत्नी के साथ तीन बेटियां भी हैं। रामलखन के बेड के पास बैठी उनकी पत्नी रेखा बताती हैं, “अगर पहले पता होता तो इनका इलाज करा देते। डॉक्टरों ने बोला कि अब इनको टीबी वाले अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।”

टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से लोगों को जागरूक करने के लिए दुनियाभर में 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। फिर भी लोग इस बीमारी को लेकर जागरूक नहीं हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में टीबी मरीजों की संख्या एक करोड़ 20 लाख है। हर साल 88 लाख लोग टीबी से पीडि़त होते हैं। वहीं दो लाख 75 हजार टीबी पीडि़तों की मृत्यु हो जाती है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में टीबी के मरीजों की संख्या करीब डेढ़ लाख है जिनमें से प्रतिदिन लगभग 900 लोगों की मृत्यु हो जाती है। टीबी की बीमारी से मरने वाले 95 फीसदी लोग विकासशील देशों से हैं और हर तीन मिनट में दो लोग टीबी से दम तोड़ते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टीबी की जानलेवा किस्म एमडीआर-टीबी के मामले में, भारत दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है।

क्षय रोग के बारे में गाँव कनेक्शन को जानकारी देते हुए डॉ. सुशील चतुर्वेदी ने बताया, “क्षय रोग एक गम्भीर समस्या है। गाँव में क्षय रोगियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ रही है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जानकारी के अभाव में टीबी के लक्षणों को ध्यान नहीं देते है। सरकार पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण(डॉट्स) जैसे कई कार्यक्रम चला रही है।” वो आगे बताते हैं, “ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाए इस बीमारी पर ज्यादा ध्यान नहीं देती है और टीबी का शिकार होती है। इसको रोकने के लिए सरकार द्वारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें आशा बहुओं को तीन दिन क्षय रोग के बारे में जानकारी एवं प्रशिक्षण जाता है, आशा बहू गाँव की महिलाअेां में यह लक्षण देख उन्हें अस्पताल लाती है, इसके लिए उन्हें एक मरीज पर 1,000 रुपये दिये जाते हैं।”

ग्रामीण युवाओं में टीबी फैलने का मुख्य कारण बताते हुए डॉ. सुशील चतुर्वेदी कहते हैं, “गाँवों में ज्यादातर बुनकरों और कारीगार एक ही कमरे में काम करते हैं, अगर किसी भी एक व्यक्ति को टीबी हुआ हो तो वो सबको फैला सकता है क्योंकि क्षय रोग संक्रमण द्वारा फैलता है। एक मरीज करीब 24 व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।”

दिति बाजपेई/स्वाती शुक्ला

 

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