जैविक खेती को बढ़ावा देने की ज़रूरत

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लखनऊ। छोटी जोत के किसान चरण सिंह (45 वर्ष) जैविक खेती अपनाने से डर रहे हैं। उन्हें लगता है कि जैविक उत्पादों का बाजार भारत के केवल बड़े-बड़े शहरों में ही है छोटे जगह में उसे कौन खरीदेगा। चरण सिंह जैसे कई किसान हैं जो सही जानकारी के अभाव में जैविक खेती को अपनाने से कतराते हैं। इसका एक मुख्य कारण जागरूकता और उनका ढांचागत सुविधाओं की कमी होना है।

लखनऊ से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित पल्लवी गाँव के किसान चरण सिंह का कहना है, “जैविक खेती जैसी बातें कागजों पर अच्छी लगती है। हम किसान अगर इतनी मेहनत करके खेती करते हैं और मुनाफा भी न हो तो फायदा क्या। जैविक खेती अगर हम कर भी ले तो जैविक उत्पादों को बेचने के लिए भारत के बड़े शहर जैसे दिल्ली, बंग्लौर में जाना पड़ता है जो साधारण किसानों के बस की बात नहीं है।”

प्रमाण पत्र की जटिल प्रक्रिया के कारण पीछे हट रहे किसान

किसानों की जैविक खेती में घटते रुझान की एक वजह प्रमाण पत्र की औपचारिकताओं से बचना भी है। यह प्रमाण पत्र उन्हीं किसानों को दिया जाता है जो लगातार तीन वर्षों तक जैविक खेती कर लेते हैं, जिसके बाद ही वह बाजार में अपने उत्पाद को प्रमाणिक जैविक उत्पाद के तौर पर बेच सकता है। 

जैविक उत्पादों को बेचने वाली कंपनी आर्गेनिक इंडिया के मार्केटिंग मैनेजर डॉ अमित कुमार बताते हैं, “किसानों को जैविक उत्पादो की घरेलू, अंतरराष्ट्रीय मार्केंटिग और निर्धारित मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है, जिसकी प्रक्रिया लंबी होती है जो किसानों को झंझट का काम लगता है। अगर इस प्रक्रिया का थोड़ा आसान कर दिया जाए तो जैविक खेती को प्रोत्साहन मिल सकता है।”

यही कारण है कि चरण सिंह जैसे किसानों का जैविक खेती के प्रति रूझान कम हो रहा है और इसमे में कमी आ रही है। जानकारी की कमी और योजनाओं के शुरू और बंद होने के बीच एक कारण जैविक खेती में लागत का ज्यादा लगना भी है। 

भले ही जैविक उत्पाद महंगें बिकते हों लेकिन उनके उत्पादन में लागत भी ज्यादा आती है, जो  छोटे किसानों के बस की बात नहीं होती।

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार का योगदान

ऐसा नहीं है कि सरकार जैविक खेती के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही लेकिन जानकारी और सुविधाओं की कमी के कारण ये किसानों तक पहुंच ही नहीं पाती। जैविक खेती के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, इस विषय पर कृषि रक्षा विभाग के उपनिदेशक कनीज फातिमा बताती हैं, ‘’उत्तर प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नौ आईपीएम प्रयोगशालाओं बनवाई हैं जहां जैविक कीटनाशक का उत्पादन होता है। 

 

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