कानून की नज़रों के सामने एक परिवार का सामाजिक बलात्कार

Swati ShuklaSwati Shukla   6 Nov 2015 5:30 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कानून की नज़रों के सामने एक परिवार का सामाजिक बलात्कार

बाराबंकी। जैसे ही इनके घर के दरवाजे खुलते हैं लोग घूरने लगते हैं। गाँव में जिसके घर की ओर जाएं दरवाजा बंद कर लेता है। तानों से बचने के लिए शौच के लिए रात में निकलती हैं। यह दर्द है दो बहनों का। 

बाराबंकी जिले के एक गाँव में नौ माह पहले तेरह वर्ष की नाबालिग के साथ हुए बलात्कार के बाद, पीड़िता की बहनों के साथ-साथ पूरा परिवार गाँव और समाज का तिरस्कार झेलने को मजबूर है।

उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में पीड़िता को राहत देते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। ''कोर्ट ने पीड़िता की नवजात बेटी को चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी को गोद लेने, पीड़िता की आगे की पढ़ाई मुफ्त करने, 13 लाख मुआवजा देने के साथ ही सरकारी नौकरी दिलवाने में भी उसकी सहायता करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। पीड़िता के वकील मोहसिन इकबाल ने बताया। चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी बच्चों के अधिकारों और पुनर्वास के लिए हर जिले में कार्य करती है।

''संतोष है कि हाईकोर्ट से बेटी को न्याय मिला लेकिन हमारी जान को खतरा है। आरोपी दबंग हैं और हमारी बेटियों को धमकाते हैं। कहते हैं कि हम दोबारा यही हाल तुम्हारी दूसरी बेटियों के साथ करेंगे।" बलात्कार पीड़िता के पिता बताते हैं। 

गाँव के लोगों के तानों और आरोपी परिवार की दबंगई से परेशान पीड़िता के पिता ने बेटियों की सुरक्षा के लिए शिकायत करने के साथ ही बाराबंकी के डीएम योगेश्वर राम मिश्रा को पत्र भी लिखा। लेकिन कार्रवाई का इंतज़ार है। 

पीड़िता की छोटी बहन ने बताया, ''जब हम लोग घर से निकलते हैं तो गाँव के लोग घूरते हुए कहते हैं- देखो यही उस लड़की की बहन है, जिसने गाँव का नाम खराब किया। कोई सही से बात भी नहीं करता। इस सब की वजह से मेरी पढ़ाई छुड़वा दी गई।"  

''एक बेटी की तो जिन्दगी खराब हो गई, अब दूसरी दो बेटियों से शादी कौन करेगा? जो देखो वो ताने दे रहा है। किस-किस को जवाब दें कि मेरी बेटी की कोई गलती नहीं, बस उसके साथ गलत हुआ, जिसकी सजा उसको मिल चुकी है। मेरी दो छोटी बेटियों को खतरा है।" पीड़िता के पिता ने कहा। 

बेटी के गर्भवती होने के बाद पिता ने गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में याचिका दी थी। लेकिन डॉक्टरों से पीड़िता के जान का बताते हुए गर्भपात से इनकार कर दिया था।

"यहां तक जब भी कोई रिश्तेदार हमारे घर आता है तो आरोपी के परिवार के लोग उसे धमकाते हैं। मुझे अपने परिवार की चिंता है। हमारी बिटिया इस समय बहुत तकलीफ में है, कोई मदद के लिए सामने नहीं आ रहा है। भाई लोगों ने भी साथ छोड़ दिया।" पीडि़ता की मां ने कहा।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.