काश‍! देश का आम किसान भी इतना कमाता

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काश‍! देश का आम किसान भी इतना कमातागाँवकनेक्शन

लखनऊ। ऐसे लोग जो अपनी अधिक आय को खेती से दिखाकर बच जाते हैं, उन पर जल्द ही ‘केंद्रीय प्रत्यक्ष आयकर बोर्ड’ की गाज गिर सकती है।

बोर्ड ने अपने अधिकारियों को खेती से आय दिखाकर एक करोड‍़ से ज्यादा आयकर छूट की मांग करने वाले मामलों की सत्यता जांचने के आदेश दिए हैं। बोर्ड एक अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2013 के बीच के 1,080 मामलों की सत्यता जांचेगा। 

दरअसल देश में खेती से होने वाली आय पर कर नहीं लगाया जाता। इसका फायदा उठाते हुए पिछले कई वर्षों में बड़ी संख्या में करोड़पति किसानों का उदय हुआ है। पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है जिसमें खेती की आय को कालेधन को जायज़ बनाने के लिए इस्तेमाल होने का जि़क्र किया गया था। याचिका के बाद ही बोर्ड ने सारी कवायद शुरू की है।

“ऐसे मामलों की संख्या देश में काफी ज्यादा बढ़ी है जिनमें व्यक्ति या कोई कंपनी करोड़ों की राशि को खेती की आय दिखाकर आयकर में छूट मांगता है। ऐसे केस बहुत ज्यादा नहीं, बड़े किसानों और कंपनियों तक सीमित हैं सरकार चाहे तो असानी से इन्हें चिन्हित करके टैक्स के दायरे में ला सकती है,” आयकर पर सलाह देने वाले राष्ट्रीय स्तर के ऑनलाइन फोरम ‘द इंडियन टैक्स एडवाइज़र’ की नवीना डी. ने गाँव कनेक्शन से कहा।

राज्य सभा में केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2013-14 के लिए नवंबर 2014 तक कृषि आय दिखाकर कर में छूट के लिए चार लाख से ज्यादा अर्जियां आईं। इन मामलों में छूट की कु्ल राशि 9,338 करोड़ रूपए थी।

इन चार लाख अर्जियों में कृषि आय दिखाकर छूट मांगने वालों में केवल व्यक्ति शामिल नहीं थे बल्कि कृषि की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी शामिल थीं, जिन्हें आयकर में वही छूट मिलती है जो किसी किसान को मिलती है।

“गैरकृषकों द्वारा खेती की आय का प्रयोग ट्रैक्स से बचने और कालेधन को जायज़ बनाने के लिए एक औजार की तरह किया जा रहा है। इसके चलते देश को हर साल राजस्व में करोड़ों रुपए की हानि हो रही है,” टैक्स तंत्र की कमियों को खोजने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री के सलाहकार पारथोसारर्थी शोम की अध्यता में गठित टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन रिफोर्म कमेटी ने नवंबर 2014 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह बताया था।

 राज्य सभा में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में देश की बीज की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक कावेरी सीड्स ने 186.63 करोड़ की आयकर छूट मांगी और इसी वर्ष 215.36 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। अंतरराष्ट्रीय कंपनी मॉनसेंटो ने 94.40 करोड़ रूपए की छूट मांगी।

खेती से होने वाली आय को मिली छूट के नियम के दुरुपयोग का मामला लगातार राष्ट्रीय मुद्दा बनता रहा है। लेकिन किसी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

बजट के पहले फरवरी 2016 में जारी देश  के वित्तीय सर्वे की रिपोर्ट में भी यह सुझाव दिया गया है कि बहुत अधिक मुनाफा कमाने वाले खुद को कृषक बताने वाले लोगों को टैक्स के दायरे में लाने से अभी टैक्स भुगत रहे तीन करोड़ 90 लाख व्यक्तियों पर से दबाव कम पड़ेगा।  

टैक्स रिफॉर्म कमेटी ने सुझाया कि, “पांच लाख रुपए तक की कृषि आय वालों को छूट देकर बाकी सब पर टैक्स लगाया जाना चाहिए”। कमेटी के इस सुझाव से देश के 90 प्रतिशत सीमांत व छोटे किसान आयकर से बचे रहेंगे और सिर्फ दस प्रतिशत मंझोले व बड़े किसान ही आयकर के दायरे में आएंगे।

दरअसल भारत में खेती पर ट्रैक्स लगाना या न लगाना राज्यों का हक है। इसलिए कमेटी ने यह भी कहा कि सभी राज्यों को केंद्र को यह अनुमति देनी चाहिए कि वे खेती की आय पर तर्कसंगत आयकर लगाकर उसे वसूलें। वसूलने के बाद जमा राजस्व राज्यों को वापस भेजा जा सकता है।

इन कंपनियों ने ली करोड़ों की छूट

कंपनी                                         टैक्स में मांगी छूट

कावेरी सीड्स                                186.6 करोड़

मॉनसेंटो                                      94.4 करोड़

मैकल्योड रसेल                              94.4 करोड़

एमपी राज्य वन विकास निगम          62.6 करोड़

वंदना फार्म्स एंड रिसोर्ट                    61.1 करोड

(स्रोत- राज्य सभा, 2013-14 में कृषि आय के तहत मिली छूट)

 

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