दोगुनी कमाई के दौर का सच: एक किसान एक महीने में सिर्फ 800 रुपए कमाता है
Bhasker Tripathi 3 Oct 2016 3:27 PM GMT
लख़नऊ। एक किसान प्रति एकड़ खेत से प्रति महीने मात्र 800 रुपए की कमा पाता है। ऐसे समय में जब केंद्र सरकार किसान की आय दो गुनी करने के प्रयास में है, यह आंकड़ा बताता है कि दो गुनी हो भी गई तो भी किसानों को इस आय में गुजर-बसर मुश्किल है।
खेती के हिसाब से देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक हरियाणा के दस ज़िलों में एक सर्वे किया गया, जिसमें सामने आया है एक किसान विपरीत मौसमी परिस्थितियों का सामना करते हुए प्रति एकड़ प्रति फसल 4,799 रुपए तक कमा पता है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने रबी 2015-16 के दौरान अपने कृषि अर्थशास्त्रियों को प्रदेश के दस ज़िलों में किसानों के पास सर्वे करने भेज दिया।
इन अर्थशास्त्रियों ने सर्वे में गेहूं की छह महीने की फसल को चुना। गेहूं के बीज की बुवाई से लेकर, खेती की बीच की सारी लागत के साथ ही मंडी में फसल बिकने तक का खर्चा शामिल किया।
इतना ही नहीं अर्थशास्त्रियों ने फसल उत्पादन में लगने वाली लागत का छह महीने का ब्याज व ज़मीन का किराया भी इसमें शामिल किया। हालांकि एक किसान का पूरा परिवार खेतों में श्रम करता है लेकिन मेहनत के रूप में परिवार को छोड़कर केवल किसान की ही लेबर को जोड़ा गया है। खाद, रसायन, बीज, देशी खाद, रिस्क फैक्टर, ट्रांसपोर्टेशन, बायो प्रोडक्ट, निराई-गुड़ाई व कटाई के खर्च को भी सर्वे में शामिल किया गया है।
सर्वे में 10 ज़िलों के 382 किसानों को शामिल किया गया। सर्वे के अनुसार एक एकड़ में गेहूं पैदा करने वाले किसान को फसल के दौरान औसत 4,799 रुपए की बचत होती है। सर्वे में शामिल हुए किसानों के पास 1,873 एकड़ ज़मीन थी।
गेहूं की फसल छह महीनों की होती है, तो यदि औसत बचत को प्रति महीने के हिसाब से देखें तो एक किसान ने औसत प्रति महीने गेहूं की फसल से केवल 799 रुपए कमाए।
रिपोर्ट में कृषि अर्थशास्त्रियों ने बताया कि प्रदेश में किसानों को प्रति एकड़ ज़मीन पर गेहूं की फसल पैदा करने के लिए 29 हज़ार, 691 रुपए खर्च करना पड़ता है। छह माह तक परिवार समेत मेहनत करने के बाद किसानों को फसल व उसके बायो प्रोडक्ट समेत 34 हज़ार, 490 रुपए की आमदनी होती है। अर्थशास्त्रियों ने यह सर्वे रेडम सेंपल के आधार पर किया है।
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