तंबाकू किसान बोले-हम पर दूसरी फसल उगाने का आदेश न थोपें
Ashish Deep 11 Nov 2016 7:36 PM GMT

ग्रेटर नोएडा (आईएएनएस)| भारत समेत दक्षिण एशियाई देश चाहते हैं कि तंबाकू किसान कोई और फसल उगाएं। ऐसा प्रस्ताव वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन टुबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के सम्मेलन में आया है। लेकिन तंबाकू किसानों ने इसका खुला विरोध किया है। उनका कहना है कि दूसरी फसल तंबाकू की जगह नहीं ले सकती क्योंकि इससे अच्छी कमाई होती है।
अंतर्राष्ट्रीय तंबाकू उत्पादक संघ (आईटीजीए) के अध्यक्ष डेनियल ग्रीन ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को किसान विरोधी करार देते हुए कहा कि इस फैसले से विश्व के तीन करोड़ तंबाकू उत्पादकों की आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा।
डेनियल ग्रीन अमेरिकी हैं और तंबाकू उत्पादक हैं। उन्होंने कहा कि तंबाकू किसानों की राय के बिना लिया गया इस तरह का फैसला इन किसानों की कमाई और इनके परिवारों की आजीविका को गहरी चोट पहुंचाएगा।
ग्रीन ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, "दुर्भाग्य से यह एक ऐसा मुद्दा है जो बहुत जटिल है। विश्व के हर हिस्से में तंबाकू उत्पादक एक जैसे नहीं हैं। अलग-अलग क्षेत्र हैं और इनमें अलग-अलग फसलों को परखने की जरूरत होगी, तभी यह सफल होगा। हमें तो यह भी नहीं पता है कि वे कौन सी खास फसल का प्रस्ताव रख रहे हैं।"
किसानों को खुद फैसला लेने दे सरकार
आईटीजीए विश्व में तंबाकू उत्पादकों का सबसे बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा कि तंबाकू किसान और फसलें भी उगाते हैं और वही जानते हैं कि उनके लिए क्या सही होगा और क्या गलत। इसलिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) के लिए यह जरूरी है कि वह तंबाकू उत्पाद से जुड़े मुद्दों पर नीतिगत फैसला तंबाकू उत्पादकों की राय के बिना न लें।
लेकिन, तंबाकू नियंत्रण पर विश्व के सबसे बड़े सम्मेलन वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) में तंबाकू किसानों के भाग लेने पर रोक लगा दी गई है। ग्रेटर नोएडा में छह दिवसीय इस सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा और श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने 7 नवंबर को किया। इसमें 185 देशों के 1500 प्रतिनिधिमंडल शिरकत कर रहे हैं।
भारत ने गुरुवार को अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ मिलकर क्षेत्र में तंबाकू उत्पादकों के लिए वैकल्पिक फसल प्रणाली का प्रस्ताव रखा। अगर इसे कन्वेंशन में शामिल सभी सदस्य राष्ट्र मंजूरी दे देते हैं तो फिर सरकारों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा कि वे तंबाकू उत्पादकों के लिए वैकल्पिक फसल सुझाएं। ग्रीन ने कहा कि तंबाकू की खेती की जगह वैकल्पिक फसल की खेती पर कोई शोध नहीं हुआ है। इस शोध के कोष के मुद्दे पर भी कोई अध्ययन नहीं हुआ है। ऐसे में वे ये कैसे तय कर सकते हैं कि तंबाकू उत्पादकों के लिए क्या सही है और क्या बुरा?
कोई अन्य फसल तंबाकू जैसी कमाई नहीं करती
इस पूरे प्रयास को विश्व के तंबाकू उत्पादकों के लिए तगड़ा झटका बताते हुए ग्रीन ने कहा कि कोई भी अन्य फसल तंबाकू जैसी कमाई नहीं करती। कई छोटे किसान जमीन के छोटे टुकड़े पर ही इसे उगाकर अपना परिवार चला लेते हैं। क्या किसी अन्य फसल के साथ भी यह संभव हो पाएगा। ग्रीन ने कहा कि हम लोग लंबे समय से एफसीटीसी से आग्रह कर रहे हैं कि तंबाकू उत्पादकों की समस्याओं को सुना जाए। लेकिन, सामान्य शिष्टाचार के तहत बात करने के बजाए हमें वे लोग अपराधी करार देने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हम भी तंबाकू के इस्तेमाल से होने वाले हानिकारक प्रभाव को जानते हैं और हम इसके नियमन के पक्ष में भी हैं लेकिन यह नियमन तार्किक और विज्ञान सम्मत होना चाहिए।
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