भारत को अंडा उत्पादन तीन गुना करने की जरूरत : सरकार
गाँव कनेक्शन 14 Oct 2016 7:13 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। भारत में प्रति व्यक्ति अंडे की उपलब्धता वैश्विक औसत से कहीं कम होने के मद्देनजर कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को पोषण सुरक्षा हासिल करने के लिए 83 अरब अंडे के मौजूदा उत्पादन स्तर को तीन गुना बढ़ाने का आह्वान किया।
विश्व अंडा दिवस के मौके पर अपने संबोधन में सिंह ने कहा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत पॉल्टरी गतिविधियों को प्रोत्साहन दे रही है तथा गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) के परिवारों को वित्तीय सहायता दे रही है।
सिंह ने यहां ‘अंडों के जरिए पोषण एवं आय सुरक्षा' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, अंडा उत्पादन में दुनिया में हमारा छठा स्थान है, देश में मौजूदा समय में 83 अरब अंडों का उत्पादन होता है। भारत का अंडा उत्पादन वर्ष 2014-15 में 78.48 अरब अंडों का हुआ।
अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता करीब 63 प्रतिवर्ष की है जबकि राष्ट्रीय पोषण संस्थान के अनुसार यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति करीब 180 अंडों का होना चाहिए। हमें इस स्तर को हासिल करने के लिए अंडों का उत्पादन तिगुना करना होगा।राधा मोहन सिंह कृषि मंत्री
मंत्री ने कहा कि सरकार और उद्योग जगत को अंडों का उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा, उत्पादन तभी बढ़ेगा जब पॉल्टरी क्षेत्र में काम करने वालों का सही मूल्य प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि मुर्गीपालन करने वाले किसानों को बेहतर मूल्य और नीतिगत पहल के जरिए प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।
पोषण सुरक्षा हासिल करने के लिए सिंह ने अंडे के पोषण लाभ के बारे में जागरकता को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इसे स्कूलों, कॉलेजों, वृद्धाश्रमों और अनाथालयों में दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ‘नेशनल लाईवस्टॉक मिशन' के जरिए मूर्गीपालन को प्रोत्साहित कर रही है।
आज सुबह में कृषि मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और भारतीय कृषि शोध संस्थान (आईएआरआई) में अरहर के एक नए उन्नत किस्म, पूसा-16 को देखने गए।
एक सरकारी बयान में कहा गया है, अरहर की ये किस्म कटाई के लिए 120 दिनों का समय लेती है जबकि बाकी किस्मों को कटाई के लिए तैयार होने में 165 से 180 दिनों का समय लगता है. नई किस्म मशीन से कटाई करने के लिहाज से भी उपयुक्त है। इसमें कहा गया है, इस किस्म की कटाई के बाद सरसों, आलू, गेहूं इत्यादि जैसी फसलों को आसानी से खेत में बोया जा सकता है. इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल का है और इसमें 23.5 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है।
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