खेतों में वर्षाजल इकठ्ठा कर हो रही उन्नत खेती
गाँव कनेक्शन 9 Jun 2016 5:30 AM GMT

बुन्देलखंड। सरकारी नलकूप और नहरों में पानी की कमी के कारण किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है। ऐसे में कई किसान निजी बोरिंग करवाकर हज़ारों रुपए खर्च करते हैं या कुछ खेती छोड़ रहे हैं, पर बुन्देलखण्ड के किसान बृजपाल सिंह ने सूखे से निपटने के लिए एक खास तरकीब खोज निकाली है।
महोबा जिले के ग्राम बरबई के किसान बृजपाल सिंह (70 वर्ष) बताते हैं, ’’खेत की ज़मीन असिंंचित एवं ढालूदार होने के कारण ऊसर में तब्दील हो चुकी थी। ट्रेक्टर चलाने के शौक ने खेत पर पंहुचा दिया। ढालूदार ज़मीन को समतल करने का सबसे पहले मन बनाया और खेत को समतल करना शुरू किया।’’
वो आगे बताते हैं,“उस समय यूकिलिप्टस के पौधे वन विभाग देता था, तो मेड़ों पर यूकिलिप्टस लगा दिए, मैं जानता था कि इस पौध में पानी बहुत लगता है,फिर भी यह पौध भरपाई के लिए लगा दी। यह तकनीक उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास धन की व्यवस्था नहीं हैं, उन किसानों को वर्षा जल संचयन के लिए तालाब बनाकर खेती करने से बेहतर कोई उपाय नहीं है।
‘’मैंने खेत में 680 फिट गहरी बोरिंग करवाई उसके बावजूद पानी नहीं मिला। जब देखा कि वर्षा भी कम होने लगी है और खेतों को पानी के बिना गुजारा नहीं होगा, तो मैंने वर्ष 2004 में अपने खेतों में छोटे-छोटे तालाब बनवाए, जिससे वर्षाजल का संचय कर प्रभावी खेती कर सकूं।’’ बृजपाल बताते हैं।
किसान बृजपाल सिंह ने खेतों में वर्षा का पानी लाने के लिए पक्के इनलेट और आउटलेट बनवाए, जिससे वर्षा के समय खेत में भरपूर पानी मिल सके। तालाब बनवाने के पहले वर्ष उन्हें तालाब में पांच फिट पानी ही मिला।खेत में वर्षाजल एकठ्ठा होने पर बृजपाल बताते हैं, ‘’ पहली बार खेती में कम पानी मिला पर ख़ुशी की बात यह थी कि आसपास के खेतों में सिर्फ हमारे खेत में ही पानी था,जबकि बाकी खेत सूखे थे।”
शुरूआत में खेत में पानी की कमी को देखते हुए किसान बृजपाल ने कम पानी में पैदा होने वाली फसल (मसूर) बो दी। तालाब के पानी से एकबार पानी देकर मसूर की खेती की। वो बताते हैं कि मसूर की पैदावार उम्मीद से कहीं ज्यादा हुई और खेती के बाद भी तालाब में तीन फीट पानी मौजूद था। इससे जो किसान तालाब खुदवाने को लेकर मेरा मज़ाक बना रहे थे,वहीं किसान पैदावार देखकर हैरान थे।
खेतों में तालाब निर्माण करवाकर उन्नत खेती करने के बारे में बृजपाल सिंह बताते हैं, ‘’ किसान के पास अगर 5,000 रुपए हैं,तो वह 160 घन मीटर का तालाब खोद सकता है,लेकिन बोरिंग में ये सम्भव नहीं है। तालाब खुदवाने में आपके पास जितना धन है उसी के हिसाब से तालाब खुदवा सकते हैं।’’
रिपोर्टर - अनिल सिंदूर
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