कई भाषाएं होने पर भी हमारे स्वर एक: स्मृति ईरानी

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कई भाषाएं होने पर भी हमारे स्वर एक: स्मृति ईरानीgaoconnection

लखनऊ। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने पर समय-समय पर उठने वाले विवादों की ओर इशारा करते हुए बुधवार को कहा कि अपनी ही भाषा का मोल जब बाहर वाले करते हैं तो प्रशंसा पाते हैं, लेकिन कोई भारतीय नागरिक करता है तो उसे आलोचना सहनी पड़ती है। स्मृति यहां बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में ‘भारतवाणी’ वेब पोर्टल और ‘एप’ का शुभारंभ करने आयी थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘अस्सी के दशक में संस्कृत और आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस पर एक लेख छपा। वह लेख नासा (अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी) के रिक ब्रिग्स ने लिखा था। कोई भारतीय नागरिक यही काम करता तो उसे भगवा कहा जाता।’’  केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जब-जब भारतीय भाषा पर संवाद होता है, अकसर उस भाषा के भाषाविद को सहना पड़ता है। 

कहा जाता है कि उस भाषाविद जैसा सांप्रदायिक प्राणी तो धरती पर है ही नहीं। उसी भाषा का मोल बाहर वाले करते हैं तो प्रशंसा पाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि नब्बे के दशक में अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के गणित विभाग के एक सज्जन कांचीपुरम गये और वहां के मठ का पुस्तकालय देखा। वहां की पुस्तकों का अध्ययन किया और वापस अपने देश जाकर गणित विभाग के लिए लेख लिखा। 

उन्होंने कहा कि ज्यामितीय की सबसे पुरानी किताब भारत में है। यही लेख आईआईटी की शिक्षिका छापतीं तो क्या हश्र होता। स्मृति ने कहा कि भारतीय भाषाओं में (विभिन्न विषयों की) एक प्रतिशत से भी कम जानकारी उपलब्ध है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से आग्रह किया है कि दुनिया पर आर्थिक छाप छोड़नी है तो प्रौद्योगिकी से बैर नहीं करना चाहिए बल्कि प्रौद्योगिकी को जीवन में समाविष्ट करना चाहिए। प्रौद्योगिकी ही भाषा को संरक्षित करेगी।

स्मृति ने कहा कि ‘भारतवाणी’ के प्रयास से अनुसंधानकर्ताओं को लाभ होगा। प्रौद्योगिकी के साथ सांस्कृतिक विरासत भी राष्ट्र के सामने आएगी।कार्यक्रम के बाद असम के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली जीत तथा उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाये जाने से जुडे संवाददाताओं के सवालों को स्मृति टाल गयीं।

 

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