आम के फलों की तुड़ाई के बाद क्यों ज़रूरी है रोग और कीड़ों से बचाव

आम की पैदावार के बाद ज्यादातर किसान बागों पर ध्यान नहीं देते हैं, जबकि यही दो-तीन महीने आगे की पैदावार के लिए सबसे ज़रूरी होते हैं। इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान आगे अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

Dr SK SinghDr SK Singh   16 Aug 2023 1:26 PM GMT

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फलों की तुड़ाई के बाद बागों का प्रबंधन कैसे किया जाए? ये एक ज़रूरी प्रश्न है। क्योंकि अभी किया हुआ बाग का प्रबंधन ही तय करेगा कि अगले साल पेड़ पर कितने फल लगेंगे और उनकी गुणवत्ता कैसी होगी।

आम की खेती की लाभप्रदता मुख्य रूप से समय पर बाग में किये जाने वाले विभिन्न कृषि कार्य पर निर्भर करती है। एक भी कृषि कार्य या गतिविधि में देरी से बागवान को भारी नुकसान होता है।

इसलिए इस समय यक्ष प्रश्न यह है कि फल की तुड़ाई के बाद से लेकर बौर आने तक क्या किया जाना चाहिए। इन सिफारिशों को अपनाने से निश्चित रूप से फल उत्पादकों को अपनी उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध रिटर्न में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।

फलों की तुड़ाई के बाद कटाई-छंटाई है ज़रूरी

फलों की तुड़ाई के बाद, खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए। रोगग्रस्त, सूखी टहनियों की कटाई छंटाई करें और संभव हो तो पेड़ का आकार छाते जैसा रखें। पिछले दो तीन सालों से देखा जा रहा है कि वातावरण में अत्यधिक नमी और असमय बारिश से आम के बागवान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, इसकी कई वजहों में से एक वजह है बागों में सूर्य की किरणें जमीन की सतह तक नहीं पहुँच पा रही है।


पेड़ की कुछ डालियों को काट कर इस तरह से बनाए की सूर्य की किरणें समान रूप से सभी टहनियों पर पड़े और बाग़ में जमीन तक पहुँचे। उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकांश किसान बागों की कटाई छंटाई नहीं करते हैं।

लगभग 30 से 35 डिग्री का तापक्रम और 80 प्रतिशत से अधिक नमी अधिकांश रोग और कीटों के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है। कटाई छंटाई करने से अधिक मंजर भी आते है और बाग से रोग और कीटों की जनसंख्या में भी भारी कमी आती है।

फल की तुड़ाई के बाद खाद और उर्वरकों का प्रयोग

फलों की तुड़ाई के बाद बागवानों के सामने यह सबसे बड़ा प्रश्न यह है की वयस्क आम के पेड़ में कितना खाद और उर्वरक डालना चाहिए और कैसे डालना चाहिए, खाद और उर्वरकों का निर्धारण कैसे किया जाए।

दस वर्ष या 10 वर्ष से बड़े आम के पेड़ों (वयस्क पेड़) के लिए 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 500 ग्राम पोटैशियम तत्व के रूप में प्रति पेड़ देना चाहिए। इसके लिए यदि हम लगभग 550 ग्राम डाई अमोनियम फास्फेट (DAP), 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति पेड़ देते हैं तो पोषक तत्व की मात्रा पूरी हो जाती है।

इसके साथ 20-25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद भी देना चाहिए। यह डोज 10 साल या 10 साल के ऊपर के पेड़ (वयस्क पेड़) के लिए है। अगर उपरोक्त खाद और उर्वरकों की मात्रा को जब हम 10 से भाग दे देते हैं और जो आता है वह एक साल के पेड़ के लिए है। एक साल के पेड़ के डोज में पेड़ की उम्र से गुणा करें, वही डोज पेड़ को देना चाहिए। इस तरह से खाद और उर्वरकों की मात्रा को निर्धारित किया जाता है।


वयस्क पेड़ को खाद और उर्वरक देने के लिए पेड़ के मुख्य तने से 1.5 से 2 मीटर दूरी पर 9 इंच चौड़ा और 9 इंच गहरा रिंग पेड़ के चारों तरफ खोद लेते हैं। इसके बाद आधी मिट्टी निकाल कर अलग करने के बाद उसमें सभी खाद और उर्वरक मिलाने के बाद उसे रिंग में भर देते हैं, इसके बाद बची हुई मिट्टी से रिंग को भर देते है, इसके बाद सिंचाई कर देते है।

10 साल से छोटे पेड़ की कैनोपी के अनुसार रिंग बनाते है। समय समय पर खरपतवारों को भी निकलते रहना चाहिए। यहाँ यह बता देना आवश्यक है कि किसी भी कीमत पर 15 सितंबर के बाद किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि कार्य या खाद और उर्वरक का प्रयोग न करें क्योंकि बाग फूल और फल बनाने की प्रक्रिया में चला जाता है, अगर इस समय कोई कृषि कार्य या खाद और उर्वरक का प्रयोग करेंगे तो यह क्रिया उलट जाएगी और बाग में फूल आने की बजाय इसमें नई नई पत्तियाँ निकल आएगी।

आम के रोग और कीड़ों को कैसे प्रबंधित करें?

इसी समय रोग और कीटों के प्रबंधन का भी उपाय किया जाना चाहिए। शूट गाल कीट तराई क्षेत्रों में या जहाँ नमी ज्यादा होती है, एक विकट समस्या है। इस कीट के नियंत्रण के लिए जुलाई –अगस्त का महीना बहुत महत्वपूर्ण है। अगस्त के मध्य में मोनोक्रोटोफॉस /डाइमेथोएट (1 मिलीलीटर दवा /2 लीटर पानी ) का छिड़काव करें।

बाग में मकड़ी के जाले को साफ करना चाहिए और प्रभावित हिस्से को काटकर जला देना चाहिए। अधिक वर्षा और नमी ज्यादा होने की वजह से लाल जंग रोग (रेड रस्ट ) और एन्थ्रेक्नोज रोग ज्यादा देखने को मिलता है इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम /लीटर पानी) का छिड़काव करें।

सितंबर के महीने में मोनोक्रोटोफोस/डाइमेथोएट (1 मिली लीटर दवा / 2 लीटर पानी) का दोबारा छिड़काव करें, अगर शूट गाल कीट बनाने वाले कीट पेड़ पर देखा जाता है तो लाल जंग और एन्थ्रेक्नोज के नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3ग्राम /लीटर पानी) का 2-3 छिड़काव करना चाहिए। अक्टूबर के महीने के दौरान डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं।

इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि जहाँ तक टहनी सुख गई है, उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम /लीटर पानी) का छिड़काव करें और 10 से 15 दिन के बीच पर एक छिड़काव दोबारा करें। आम के पेड़ में गमोसिस भी एक बड़ी समस्या है इसके नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएँ या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कॉपर सल्फेट मुख्य तने पर लगाएँ।



गुम्मा व्याधि का संक्रमण होने पर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में एनएए (200 पी पी एम) (2 ग्राम/10 लीटर) या (90 मिली./200 लीटर) का छिड़काव करें। अक्टूबर-नवंबर महीने के दौरान डाई-बैक लक्षण आम हैं। इसलिए, 5-10 सेंटीमीटर हरे भाग में मृत लकड़ियों की छंटाई की सलाह दी जाती है और आम के पेड़ों को मरने से बचाने के लिए 15 दिनों के अंतराल पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम /लीटर पानी) का दो बार छिड़काव किया जाता है।

अगर गमोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएँ। दिसम्बर माह में बाग की हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें।

इस महीने के अंत तक मिली बग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैंडिंग की व्यवस्था करें, 25-30 सेमी की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सेमी की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए। इस शीट को दोनों छोर पर बाँधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मीली बग कीट को रोकने के लिए निचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए।

मिली बग कीट के नियंत्रण के लिए बेसिन में कार्बोसल्फान (100 मिली / 100 लीटर पानी) या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स (250 ग्राम / पेड़ ) का छिड़काव/बुरकाव करना चाहिए। दिसम्बर माह में छाल खाने वाले और मुख्य तने में छेद (ट्रंक बोरिंग) कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पहले छेदों को पहचानें और उस क्षेत्र को साफ करें और इन छेदों में डायक्लोरवोस या मोनोक्रोटोफॉस (1 मिलीलीटर दवा /2 लीटर पानी) लगाएं। कीटनाशक डालने के बाद इन छिद्रों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद (प्लग) कर देना चाहिए। दिसम्बर में बागों की हल्की जुताई करनी चाहिए, बागों में बहुत हल्का पानी देना चाहिए जिससे मिज कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट एवं जाले वाले कीट की अवस्थाए नष्ट हो जाएँ। कुछ तो गुड़ाई करते समय ही मर जाती हैं, कुछ परजीवी और परभक्षी कीड़ों या दूसरे जीवों का शिकार हो जाती हैं। कुछ जमीन से ऊपर आने पर अधिक सर्दी या ताप की वजह से मर जाती है ।

जनवरी माह में कभी कभी बौर जल्दी निकल आते है, यथासम्भव तोड़ देना चाहिए। इससे गुम्मा रोग का प्रकोप कम हो जाता है। बौर निकलने के समय पुष्प मिज कीट का प्रकोप दिखते ही क्विनालफास (1 मि.ली./लीटर) या डामेथोएट (1.5 मि.ली./लीटर) पानी में घोल कर छिड़काव किया जाना चाहिए।

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह, सह निदेशक, अनुसंधान, विभागाध्यक्ष,पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना , डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर बिहार

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