वैज्ञानिकों ने विकसित किया सफेद गिडार से निपटने का जैविक तरीका
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सफेद गिडार से निपटने का जैविक तरीका विकसित किया है, इसकी मदद से कम लागत में इन कीटों के नुकसान से बचा जा सकता है।
गाँव कनेक्शन 1 Jan 2024 8:42 AM GMT
अगर आप भी धान, मक्का, मडुवा या आलू अदरक जैसी सब्जियों में व्हाइट ग्रब के प्रकोप से परेशान हैं तो इस नए उपाय से फसल को कोई नुकसान नहीं होगा।
जी हाँ, वैज्ञानिकों ने व्हाइट ग्रब से निपटने का आसान तरीका खोज लिया है।
सफेद गिडार जिसे व्हाइट ग्रब के नाम से भी जाना जाता है, कई तरह के फ़सलों को नुकसान पहुँचाता है। यह कीट पौधों की जड़ों पर हमला करता है, जिससे पौधे सूख जाते हैं। इस वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) ने एक ख़ास जैविक तकनीक तैयार किया है। किसान कम लागत में इससे छुटकारा पा सकते हैं।
पूसा संस्थान के वैज्ञानिक डॉ शरद मोहन बताते हैं, "आईएआरआई ने एक सूत्रकृमि तकनीक विकसित की है, जो इन कीड़ों को मारने का आसान तरीका है; इसे किसान सूत्रकृमि यानी निमेटोड की सहायता से बना सकते हैं, इसे अपने घर में भी विकसित किया जा सकता है।"
वो आगे कहते हैं, "इसको विकसित करने के लिए एक कीड़े की जरूरत होती हैं, जिसको गैलेरिया मेलोनेला के नाम से जाना जाता हैं; यह कीट मधुमक्खी के छत्ते में पाया जाता है; सूत्रकृमि को जब इस कीड़े के ऊपर डालते हैं तो यह कीड़ा 24 घंटे के अंदर मर जाता है। इस एक कीड़े के अंदर अगर 2-5 सूत्रकृमि घुसे हैं और उस कीड़े को मारा हैं तो 10 दिन के अंदर ये सूत्रकृमि 3 लाख में तब्दील हो जाते हैं; मरने के बाद इस कीट को कैडेवर कहा जाता है।"
इन कीटों को किसान सीधे खेत में डाल सकते हैं, इसकी मदद से मिट्टी में पाए जाने वाले व्हाइट ग्रब के साथ दीमक से भी छुटकारा पाया जाता सकता है।
कैसे करते हैं इस्तेमाल?
यह कैडेवर कीट 3000-5000 प्रति एकड़ की दर से डाले जाते हैं। इन कीटों को खेत में डालने से पहले हल्की सिंचाई देनी चाहिए और कैडेवर को एक इंच की गहराई में डालना चाहिए। इसके अलावा इसका उपयोग पौधे के उम्र के हिसाब से भी कर सकते हैं,जैसे कि एक छोटे पेड़ में 10 कैडेवर की ज़रूरत होती है और बड़े पेड़ में 40-50 कैडेवर को डाले जाते हैं। इसको खेत में डालने का एक तरीका और भी हैं,पहले जहाँ इसको डालना हैं उस जगह पर एक स्टार बना लें। स्टार के जितने भी पाइंट हैं उनमें इन कैडेवर को गाड़ दे और हल्की सिंचाई कर दें।
सिर्फ 50-60 पैसे में एक कैडेवर बन जाता हैं। अगर आप एक एकड़ में 5 हज़ार कैडेवर डाल रहे हैं तो आपकी पूरी लागत केवल ढ़ाई हज़ार के करीब आएगी। इस तकनीक को किसान एक लघु उद्योग के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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