बीज शोधन से 80 फीसदी कम हो जाती है फसल में रोग लगने की संभावना

Jitendra TiwariJitendra Tiwari   25 Jun 2017 2:21 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बीज शोधन से 80 फीसदी कम हो जाती है फसल में रोग लगने की संभावनाबीज शोधन

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। खरीफ सीजन में किसान धान, मक्का, अरहर व मूंगफली के बीज को शोधन कर कीट व रोग से होने वाले नुकसान से निजात पा सकते हैं। ऐसा करने से फसल में अस्सी फीसदी रोग लगने की संभावना कम हो जाती है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ फसल के उपज को बढ़ाया जा सकता है।

किसानों को बीज शोधन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। बीज शोधन की प्रक्रिया को अपनाने में किसानों को मामूली धनराशि खर्च करनी होती है। एक अनुमान के अनुसार किसानों को एक हेक्टेयर धान की रोपाई के लिए बीज शोधन की प्रक्रिया में महज 25 रुपये खर्च करने होते हैं।

ये भी पढ़ें : सोनभद्र के किसान करेंगे कम पानी में हल्दी की खेती

दरअसल खरीफ के सीजन के मद्देनजर कृषि रक्षा विभाग की ओर से किसानों को बीज शोधन की प्रक्रिया को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। विभाग की ओर से सभी ब्लॉकों पर स्थिति कृषि रक्षा इकाइयों पर किसानों को परामर्श के साथ-साथ जरूरी दवाइयां मुहैया भी कराई जा रही है। इसके पीछे मकसद साफ है कि किसानों को कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल हो सके।

क्या है बीज शोधन व प्रक्रिया

खरीफ सीजन के मद्देनजर धान, मक्का, मूंगफली, अरहर इत्यादि फसलों के बुआई से पूर्व बीज शोधन किसानों के लिए रामबाण साबित होता है। ढाई ग्राम थीरम या दो ग्राम कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी प्रति किलोग्राम धान बीज के हिसाब से प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अरहर और मूगफली में ढाई ग्राम थीरम या एक ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्रा हेक्टेयर बीज की दर से प्रयोग करना चाहिए।

बीज शोधन की प्रक्रिया को अपनाने में किसानों को मामूली धनराशि खर्च करनी होती है।

वहीं मक्का के बीज को ढाई ग्राम थीरम या दो ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करना होता है। विभाग की ओर से जैविक विधि द्वारा सभी फसलों के लिए बीज शोधन के लिए चार ग्राम ट्राइकोडरमा एक ग्राम बावस्टिन प्रति किग्रा से शोधित कर बुआई करनी चाहिए। धान में जीवाणु झुलसा के लिए किसानों को ढाई किग्रा. बीज को 4 ग्राम स्टेउप्टोसाइक्लीन के घोल में रात भर भिगों दें और उसे छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। इससे फसल को काफी मजबूती मिलेगी।

ये भी पढ़ें : इस विधि से बिना मिट्टी के खेती कर सकेंगे किसान

जिला कृषि रक्षा अधिकारी संजय यादव बताते हैं, ‘गोरखपुर।किसानों को चाहिए की कीट व रोग से फसल सुरक्षा के लिए बीज शोधन अवश्य करें, क्योंकि बीज शोधन एक सरल प्रभावी एवं सस्ता उपाय है, इससे अधिकतर बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। किसानों को इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर किसानों को परामर्श व जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध है।”

ये भी पढ़ें : यूपी में अब बड़े स्तर पर होगी बासमती धान की खेती

कितने जागरूक हैं किसान

ब्रह्मपुर ब्लॉक के भैसहीं नरेश निवासी पृथ्वी ददददददददददउउउ नाथ सिंह (उम्र 58 वर्ष) ने बताया, “ बीज शोधन की प्रक्रिया करने अपनाने से फसलों में रोग लगाने की संभावना काफी कम हो जाती है। हम लोग कई वर्षों से इसे करते आ रहे हैं, जागरूकता का अभाव होने के चलते लोग बहुत से किसान इसे अपना नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें आगे चलकर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”

वहीं ब्रह्मपुर ब्लॉक के अमडीहा निवासी बच्चा लाल मौर्य (उम्र 70 वर्ष) ने बताया, “धान, मक्का, अरहर व मूंगफली का बीज शोधन करने से काफी लाभ मिल रहा है। इससे फसल की उपज बढऩे के साथ-साथ किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है। बताया कि बीज शोधन किसानों के लिए रामबाण है। ”


        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.