गैप प्रमाणीकरण से मलिहाबाद के आम को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

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गैप प्रमाणीकरण से मलिहाबाद के आम को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। आम के लिए मशहूर मलिहाबाद के किसानों को दूसरे कई आम उत्पादक राज्यों के मुकाबले आम का सही दाम नहीं मिल पाता है, क्योंकि गैप (Good Agricultural Practices) प्रमाणीकरण न होने से यहां के बागवान पीछे रह जाते हैं। ऐसे में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान किसानों की मदद करेगा।

आईसीएआर-सीआईएस रहमानखेड़ा, लखनऊ ने अपने 36वें स्थापना दिवस समारोह में "आम में आदर्श कृषि क्रियाओं के अनुपालन और फल उत्पादक संगठन" से प्राप्त लाभ के द्वारा उत्पादकों, किसानों, उधमियों, बैंकर्स एवं उद्यान अधिकारी ने भाग लिया।

भविष्य में आने वाली चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए बागवानों को इन मुद्दों की कसौटी पर खरा उतरने की आवश्यकता है। विदेशों से आने वाले निर्यातक भी गैप प्रमाणीकरण की आवश्यकता पर जोर देते हैं, लेकिन अपने देश में भी अच्छा मूल्य प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के प्रमाणीकरण की आवश्यकता पड़ेगी। क्योंकि आम का बाजार अभी असंगठित है और किसान से खरीदार तक कई लोगों के सम्मिलित होने के कारण बहुत से मुख्य बिंदु जो भविष्य में आवश्यक प्रतीत होते हैं भुला दिए जाते हैं। देश में ग्राहकों की अच्छी क्रय शक्ति होने के कारण प्रमाणित आमों को खरीदने के लिए वे कई गुना दाम देने में नहीं हिचकते हैं।


नाबार्ड की सहायता से किसान आम उत्पादक संगठन विकसित करने की आवश्यकता है। संस्थान इसके लिए प्रयासरत है, क्योंकि शिक्षित किसानों और बेरोजगार ग्रामीण युवाओं की नई पीढ़ी के पास उद्यमी बनने और बागवानी को व्यवसाय उद्यम के रूप में अपनाने का विशेष अवसर है। एक किसान केवल नई कृषि तकनीक अपनाने से ही उद्यमी नहीं बन जाता है, बल्कि यह तभी संभव होगा जब वह कृषि व्यवसाय का स्वंसंचालक बनता है।

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नाबार्ड के राजेश कुमार यादव ने बताया, "किसान आम उत्पादक संगठन (एफपीओ) उद्यमियों को लाभ में वृद्धि करके भूमिका निभा सकता है। एफपीओ के माध्यम से बिचौलियों की संख्या कम करके उत्पादन की लगत कम की सकती है और सीधे उपभोक्ताओं या कंपनी को बेच आम बेचे जा सकते हैं। एफपीओ को तकनीकी के लिए संस्थान द्वारा समर्थित किया जा सकता है।"

निर्यातकों ने गैप प्रमाणीकरण को आवश्यक शर्त के रूप में लागू करना प्रारंभ कर दिया है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उन्हें वह सभी सूचनाएं देनी आवश्यक हैं और आम व्यवसाई आज तक इन पर ध्यान नहीं दे पाएं। संस्थान से व्यापारियों और बड़े किसानों ने इस प्रकार के प्रमाणीकरण के लिए सहायता के लिए विचार विमर्श करते हैं, क्योंकि वे अपने आम को अधिक मूल्य पर बेचने के लिए इसका उपयोग करना चाहते हैं।


अच्छी क्वालिटी के साथ-साथ प्रमाणीकरण आम का अच्छा दाम दिलाने में सहायक हैं, विदेशों में ग्राहक को फल से संबंधित सारी जानकारी खरीदते समय उपलब्ध हो जाती है। उसे यह भी पता लग सकता है कि फल किस बाग से है और आम उत्पादन करने के लिए प्रयोग की गई सभी तकनीकी और रसायनों का विवरण होता है। धीरे धीरे यह प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग बन गई है और मलिहाबाद के किसानों को गुणवत्ता युक्त उत्पादन के साथ-साथ के प्रमाणीकरण की भी आवश्यकता पड़ेगी।

ICAR-CISH ने आम के लिए गुड एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेज (गैप) दिशा-निर्देश विकसित की गई हैं और आम मालिहाबाद बागों के प्रमाणन में मदद करने का प्रस्ताव किया है। गैप प्रमाणीकरण ज्यादातर निर्यातकों द्वारा प्रेरित किया जाता है, लेकिन आम उपभोक्ताओं और खुदरा विक्रेताओं को भी इस मुद्दे पर दिलचस्पी होगी और अंततः उत्पादक को लाभ होगा। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में, गैप प्रमाणन और ट्रेसबिलिटी आवश्यकताएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रमाणन कार्यक्रम उपभोक्ता के लाभ के लिए भी है| कार्बाइड और गैरवाजिब रसायनों के उपयोग से मुक्त होने के कारण प्रमाणित आम को अधिक मांग होगी। किसान आम के ब्रांडिंग भी कर सकते हैं, जिसके के लिए फार्मर्स मैंगो प्रोड्यूसर कंपनी बड़े पैमाने पर मदद कर सकती है। निश्चित रूप से, फलों की कीमत में मांग और वृद्धि गैप आवश्यकताओं के पालन के लिए लागत की भरपाई करेगी।

गैप प्रमाणन यदि ठीक से कार्यान्वित किया जाता है, तो यह खरीदारों को आकर्षित करता है और आयातकों को गुणवत्ता सिद्ध करने के लिए काम आसान हो जाता है। आम के बागों की आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए, गैप निर्यात के लिए आवश्यक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आयामों को पूरा करने में मदद कर सकता है। कई बार आयातक आयात करने के लिए तैयार होते हैं, लेकिन हम आयात देश की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्ता वाले आमों की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए, गैप प्रमाणीकरण न केवल विपणन में मदद करेगा, बल्कि किसानों को कार्बाइड और कीटनाशक मुक्त आमों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा क्योंकि कीटनाशक अवशेषों के साथ आम गैप आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है।

गैप प्रमाणन में आम की खेती, फलों की गुणवत्ता, किसानों के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता से संबंधित तीन प्रमुख मुद्दों को शामिल किया जाएगा। गैप प्रमाणीकरण केवल किसानों को प्रेरित करके उनके सहयोग से ही सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है| संसथान द्वारा प्रयास होगा की स्थानीय किसान स्थायी पर्यावरण और स्वास्थ्य के मुद्दों के माध्यम से अंतर्निहित एवं अन्य लाभों को समझ सकें। प्रमाणन से न केवल गुणवत्ता और अन्य मुद्दों में मदद मिल सकती है, बल्कि आम के पेड़ों की पैदावार में भी निश्चित रूप से सुधार होगा। वर्तमान समय की समस्याएं जो कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारन हैं उनकी संख्या भी कम हो जाएगी।

डॉ. शैलेंद्र राजन (निदेशक)

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान

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