मध्य प्रदेश: गांव तक एंबुलेंस तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते, बीमार को खटिया पर ले जाना मजबूरी

मध्य प्रदेश का पन्ना जिला देश और दुनिया में बेशकीमती हीरों के लिए भले ही जाना जाता है लेकिन यहां के लोगों की जिंदगी में इन हीरों की चमक कहीं नजर नहीं आती। जिले की अधिसंख्य आबादी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस जिले के छोटे से गांव मढ़िया राव के लोगों की जिंदगी तो मुसीबतों का पर्याय बन चुकी है।

Arun SinghArun Singh   11 Jan 2022 11:31 AM GMT

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मध्य प्रदेश: गांव तक एंबुलेंस तो दूर दोपहिया वाहन भी नहीं पहुंच पाते, बीमार को खटिया पर ले जाना मजबूरी

मड़िया राव गांव के लखन लाल शर्मा पिछले हफ्ते मकान से गिर कर घायल हो गए थे, उन्हें चारपाई पर ले जाते ग्रामीण। फोटो- अरेंजमेंट

मढ़िया राव, पन्ना (मध्यप्रदेश)। बेमौसम बारिश, कड़ाके की ठंड और ओलों की बौछार से बेहाल हुए किसानों को जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों की बेरुखी के चलते कैसी-कैसी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं, मध्य प्रदेश के पन्ना जिले का मढिया राव गांव इसका जीता जागता उदाहरण है।

पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर अमानगंज तहसील के इस गांव तक आजादी के इतने वर्षों तक भी पहुंच मार्ग यानि सड़क नहीं पहुंच पाई है। गांव के लोग टूटे फूटे रास्ते और मेड़ों के सहारे वैसे तो बाइक से गांव पहुंचते रहते हैं लेकिन हल्की बारिश होने पर गांव तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में गांव का कोई व्यक्ति यदि बीमार होता है तो इलाज के लिए सड़क मार्ग तक खाट में ले जाने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रहता।

मड़िया गांव में रहने वाले लखन लाल शर्मा पिछले हफ्ते अपने निर्माणाधीन मकान से गिर गए। उनकी कमर में काफी छोट आई थी। पैदल वो चल नहीं सकते थे और गांव तक एंबुलेंस आ नहीं सकती थी। इसी गांव प्रमोद शर्मा बताते हैं, मकान से गिरने पर लखन शर्मा की कमर में अंदरुनी चोट आई थी, उनकी स्थिति गंभीर थी, बारिश के कारण इलाज के लिए उन्हें कहीं ले जाना भी संभव नहीं था, क्योंकि एंबुलेंस तो दूर गांव तक दो पहिया वाहन भी नहीं आ सकता।"

प्रमोद बताते हैं, "बारिश थमने पर शनिवार को उन्हें खाट पर लिटा कर गांव के लोग पैदल खेतों से होकर 4 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग तक ले गए। जहां से उन्हें अमानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया।"

मकान के ऊपर से गिरकर घायल हुए लखन लाल शर्मा के छोटे भाई राम प्रकाश शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारे गांव तक सड़क नहीं है, इसलिए एंबुलेंस नहीं आ पाती। बीमार मरीजों व गर्भवती महिलाओं ऐसे ही खाट के सहारे लोग सड़क तक पहुंचाते हैं।"

कलेक्टर को दिया ग्रामीणों का ज्ञापन, इससे पहले ग्रामीण नवंबर 2021 में भी सड़क को लेकर कलेक्टर से मिले थे।

सोशल मीडिया में तस्वीर आने के बाद मामले ने पकड़ा तूल

घायल व्यक्ति को खटिया से अस्पताल ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया में आने के बाद मढ़िया राव गांव चर्चा में है। इस गांव के लोगों ने समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने तथा सड़क निर्माण की मांग को लेकर सोमवार 10 जनवरी को कलेक्टर पन्ना के नाम अमानगंज तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी को ज्ञापन सौंपा है। मामले के संबंध में तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी ने कहा, "सड़क के काम की क्या स्थिति है इस संबंध में मैं जनपद पंचायत गुनौर के सीईओ से बात करके पता लगाती हूं। सड़क निर्माण का कार्य पूरा कराया जाएगा।"

400 की आबादी वाले गांव सड़क न होने के कई नुकसान

करीब 400 की आबादी वाला ये गांव जिजगांव ग्राम पंचायत का हिस्सा है। मढिया राव गांव में सड़क न पहुंचने का खामियाजा सिर्फ बीमार और गर्भवती महिलाएं नहीं भुगतती बल्कि पूरे गांव को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। बच्चे पढ़ नहीं पाते, लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है, युवाओं की शादियां नहीं हो पाती हैं।

पांचवीं के बाद नहीं पढ़ पाती लड़कियां

मढिया राव निवासी 48 वर्षीय शिक्षक सामंत सिंह राव ने गांव कनेक्शन को बताते हैं, "गांव में सिर्फ पांचवीं तक सरकारी स्कूल (प्राथमिक शाला) है। पांचवीं के बाद गांव के बच्चों को पड़ोसी गांव कमताना पढ़ने के लिए जाना पड़ता है, जो 2 किलोमीटर दूर है। लेकिन इस दूरी को तय करना बच्चों के लिए आसान नहीं है। लड़के तो किसी तरह आगे पढ़ भी जाते हैं लेकिन गांव की ज्यादातक लड़कियों की पढ़ाई पांचवीं के बाद छूट जाती है।"

सामंत सिंह के मुताबिक कच्चे रास्ते पर बारिश के दिनों में कीचड़ तो होता ही है साथ ही बच्चों को एक बरसाती नाला कडवानी भी पार करना पड़ता है।वो आगे कहते हैं, "बारिश में सांप और बिच्छू भी खूब निकलते हैं, जिनसे हमेशा खतरा बना रहता है। 4 साल पहले नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले मनीष को सांप ने डस लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से गांव के बच्चे व उनके परिजन और भी डरने लगे हैं।"

गांव के युवाओं की नहीं हो पाती शादी

महज दो-तीन किलोमीटर की सड़क न बन पाने से इस गांव का सामाजिक तानाबाना भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। गांव के लड़कों की शादी तक नहीं हो पाती, जिससे उन्हें एकाकी जीवन जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। सामंत सिंह राव बताते हैं, "लड़की वाले आते हैं और नजदीकी कस्बे अमानगंज से ही वापस लौट जाते हैं। वे कहते हैं कि जिस गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है वहां हम अपनी लड़की की शादी नहीं कर सकते।" सामंत सिंह राव के मुताबिक गांव में 30 वर्ष से अधिक आयु के 15-20 लड़के होंगे युवक हैं, जिनकी शादी नहीं हुई। सड़क न बन पाने का असर सिर्फ गांव के लड़कों की ही जिंदगी पर पड़ रहा हो ऐसा नहीं है, लड़कियों की शादी में भी दिक्कत आती है। लोग ऐसे दुर्गम इलाके से रिश्ता नहीं जोड़ना चाहते।

सड़क पास हुई लेकिन ठेकेदार मिट्टी डालकर भाग गया- ग्रामीण

सेवानिवृत्त फौजी व क्षेत्र के समाजसेवी मंगल सिंह राजावत ने गांव कनेक्शन को बताया कि विगत कई वर्षों से मढ़िया राव गांव तक सड़क निर्माण की मांग की जा रही है। कई बार कलेक्टर पन्ना को आवेदन भी दिया गया लेकिन आज तक सड़क नहीं बन सकी।

राजावत बताते हैं कि पूर्व में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से सड़क स्वीकृत हुई थी लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ कुछ दूरी तक मिट्टी डलवाई और अधूरा काम छोड़कर चला गया। उसने काम क्यों छोड़ा इसकी भी खोज खबर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नहीं ली गई, जिससे हालात जस के तस बने हुए हैं। गांव कनेक्शन ने इस संबंध में जिजगांव ग्राम पंचायत के सरपंच को फोन किया,जो कई बार मिलने के बाद उनके बेटे प्रेम नारायण शर्मा ने उठाया प्रधान उनकी मां हैं लेकिन प्रधान प्रतिनिधि ने नाते कामकाज वही देखते हैँ। प्रेम नारायण सड़क के बारे में बताते हैं, "साल 2018-19 में मुख्यमंत्री सड़क योजना से ये 3 किलोमीटर मार्ग स्वीकृत हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने केवल मिट्टी डलवाई और बंद कर दिया। इसमें पंचायत का रोल नहीं था।"

कुछ इस तरह खेतों के बीच होकर सड़क तक पहुंचते हैं ग्रामीण।

ग्रामीण चुनाव का भी कर चुके हैं बहिष्कार

मढिया राव गांव के लोग साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सड़क न होने पर वोट का बहिष्कार कर अपनी मांग रख चुके हैं। मढ़िया राव गांव के रामकृपाल शर्मा ने बताया, "चुनाव के समय जब ग्रामवासियों ने मतदान का बहिष्कार किया तो अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि सड़क का निर्माण कराया जाएगा लेकिन वोट पड़ने के बाद फिर किसी ने भी सुध नहीं ली।"

ग्रामीणों के मुताबिक चुनाव और चुनाव के पहले उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। सड़क बनवाना दूर यहां कोई प्रतिनिधि दौरा करने तक नहीं आता है। प्रमोद शर्मा कहते हैं, "हमारे यहां पिछले कई वर्षों में एक बार सिर्फ तत्कालीन भाजपा विधायक राजेश वर्मा आए थे, वे भी एक बच्चे की सर्प काटने से हुई मौत की वजह से चेक देने के लिए, फिर इसके बाद कोई नहीं आया।"

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