मध्य प्रदेश: अब तिलहन के बीज के लिए किसानों को नहीं पड़ेगा भटकना, चंबल में बन रहा जैविक बीज फार्म
स्थानीय किसान भूमि सुधार से प्रेरित होकर अपने खेतों में भी भूमि सुधार कर नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति से बीज उत्पादन कर खेती में कम लागत से उच्च आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। कृषकों को यहां बीज उत्पादन की नवीनतम तकनीक सीखने को मिलेगी। एनएससी के विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय व प्रदेश के किसानों को ट्रेनिंग के जरिये नवीनतम बीज उत्पादन तकनीक सिखाई जाएगी।
गाँव कनेक्शन 26 Sep 2022 11:21 AM GMT
मध्य प्रदेश के किसानों को अब तिलहन के बीजों के लिए भटकना नहीं होगा, क्योंकि मुरैना में राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के जैविक बीज फार्म की शुरुआत हो रही है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 25 सितंबर को मुरैना में राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के जैविक बीज फार्म का शिलान्यास किया। इसके शुरु होने पर मध्य प्रदेश के किसानों को तिलहन के नए जैविक बीज उपलब्ध होंगे। इस फार्म से किसान आधुनिक पद्धतियों से अवगत होंगे, उन्हें उच्च उपज देने वाले बीज मिलेंगे, उनका सामाजिक-आर्थिक स्तर सुधरेगा।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने बताया, "केंद्र सरकार ने मुरैना (म.प्र.) में जैविक बीजों के उत्पादन के लिए बीहड़ क्षेत्र में भूमि सुधार करके फार्म स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्रालय को मुरैना के 4 गाँवों (गडोरा, जाखौना, रिठौरा खुर्द, गोरखा) में 885.34 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है।"
आज मुरैना में राष्ट्रीय बीज निगम के जैविक बीज फार्म का शिलान्यास किया।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 25, 2022
इसके प्रारंभ होने पर मध्यप्रदेश के किसानों को तिलहन के नए जैविक व उच्च उपज देने वाले बीज उपलब्ध हो सकेंगे और किसान आधुनिक पद्धतियों से अवगत होंगे और उनका सामाजिक-आर्थिक स्तर सुधरेगा। pic.twitter.com/9DOcxNgqdX
यह भूमि चंबल का बीहड़ क्षेत्र है और क्षेत्र में रेवाइंस होने से कृषि कार्य नहीं हो पा रहा था, क्योंकि एनएससी किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है व 15 लाख क्विंटल गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज उत्पादित कर किसानों को उपलब्ध करा रहा है, इसलिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मुरैना में जैविक बीजों के उत्पादन के लिए फार्म विकसित करने की जिम्मेदारी एनएसपी को सौंपी है।
मुरैना में रेवाइंस क्षेत्र में बीज उत्पादन से भूमि में सुधार होगा व भूमि उपजाऊ होगी। स्थानीय किसान भूमि सुधार से प्रेरित होकर अपने खेतों में भी भूमि सुधार कर नवीनतम वैज्ञानिक पद्धति से बीज उत्पादन कर खेती में कम लागत से उच्च आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। कृषकों को यहां बीज उत्पादन की नवीनतम तकनीक सीखने को मिलेगी। एनएससी के विशेषज्ञों द्वारा स्थानीय व प्रदेश के किसानों को ट्रेनिंग के जरिये नवीनतम बीज उत्पादन तकनीक सिखाई जाएगी। मुरैना के स्थानीय श्रमिकों को फार्म में भूमि सुधार और बीज उत्पादन से रोजगार प्राप्त होगा। मुरैना फार्म से किसानों को नवीनतम एवं आनुवंशिक व भौतिक रूप से शुद्ध जैविक तिलहन बीज प्राप्त होने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा, जिससे न केवल प्रदेश के कृषकों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार होगा, बल्कि कृषकों को पोषण सुरक्षा भी प्राप्त होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में चौतरफा काम होने से भारत की साख दुनियाभर में बढ़ी है, हमारा देश वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से कार्य कर रहे हैं। पीएम का नारा है "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान", मुरैना का बीज फार्म किसानों की प्रगति के लिए विज्ञान व अनुसंधान का पूरा उपयोग करेगा। बीज कृषि का आधार व प्रमुख आदान है।
उन्होंने कहा कि खेती के लिए अच्छे बीजों की उपलब्धता से उत्पादन-उत्पादकता में वृद्धि व किसानों के लिए उच्च आय के अलावा एग्री इको-सिस्टम व अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से लाभ होता है। केंद्र सरकार, राज्यों में बीज उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही विविध योजनाओं द्वारा बीज वितरण में सहायता करती है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने फसलों के गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन व गुणन बढ़ाने के लिए 2014-15 से बीज व रोपण सामग्री उपमिशन लागू किया है, ताकि किसानों को पर्याप्त बीज मिलें। बीज संबंधी विभिन्न गतिविधियों के जरिये राज्यों व सार्वजनिक क्षेत्र के बीज संगठनों को, बीज गुणवत्ता नियंत्रण को मजबूत किया जा रहा है। बीते 8 साल में व्यावसायिक खेती के लिए 304 किस्में अधिसूचित की गई हैं।
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