‘जबलपुर को स्वच्छता में टॉप रैंकिंग में लाना हमारी प्राथमिकता’ 

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   5 Feb 2018 8:59 PM GMT

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‘जबलपुर को स्वच्छता में टॉप रैंकिंग में लाना हमारी प्राथमिकता’ मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले की मुख्य कार्यपालनअधिकारी हर्षिका सिंह।

जबलपुर। “स्वच्छता सर्वेक्षण में जिले को टॉप रैंकिंग पर ले जाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ जनसहयोग भी बहुत जरूरी है और संस्कारधानी को स्वच्छता में टॉप रैंकिंग में लाना हमारी प्राथमिकता। यही कारण है कि निर्मल भारत अभियान में देश में सबसे ज्यादा गाँव संस्कारधानी यानी जबलपुर में घोषित हुए थे।“ ये कहना है मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले की मुख्य कार्यपालन अधिकारी/अपर जिलाधिकारी हर्षिका सिंह का।

हर्षिका सिंह ‘गाँव कनेक्शन’ से बातचीत में आगे बताती हैं, “हमारे जबलपुर को संस्कारधानी भी कहा जाता है, यहां ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या करीब 13 लाख है, सात ब्लॉक हैं, यहां हम लोग ब्लॉक को जनपद बोलते हैं और खण्ड विकास अधिकारी को मुख्य कार्यपालन अधिकारी कहा जाता है, जिला स्तर पर स्वच्छ भारत मिशन की पूरी टीम है, इतना ही नहीं, सरपंचों को हर दो माह में नियमित रूप से विकास संबंधी योजनाओं, शासनादेशों और तकनीकी जानकारी ब्लॉक स्तर से दी जाती है।“

49 हजार शौचालय का निर्माण कार्य पूरा

वह आगे बताती हैं, “करीब 400 गाँवों में हम शौचालय का लक्ष्य पूरा कर चुके हैं और 7 ब्लॉक में कुल मिलाकर 49 हजार शौचालय का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, किन्तु अभी तक इन गाँवों को ओडीएफ घोषित नहीं किया गया, क्योंकि अब तक एपीएल श्रेणी के लोग पूर्ण रूप से शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं।“ आगे बताया, “पुराने बने शौचालय की हालत खराब हैं, ऐसे में नए शौचालय बनाने के साथ पुराने शौचालय को उपयोग लायक बनाने पर भी काम किया जा रहा है, जब तक गाँव वास्तव में खुले में शौच मुक्त न हो, मैं मानती हूं कि उन्हें ओडीएफ घोषित नहीं किया जाना चाहिए।“

त्योहारों के साथ जोड़कर मानसिकता बदलने का प्रयास

जागरूकता अभियान को त्योहारों और जन आस्थाओं के साथ जोड़ने का अनूठा प्रयास जबलपुर में जारी है। स्वच्छ भारत मिशन को लेकर जबलपुर में चलाए जा रहे जनजागरूकता अभियान के तरीके पूछने पर अपर जिलाधिकारी हर्षिका सिंह बताती हैं, “हमारे मध्य प्रदेश में लोगों के लिए नर्मदा सिर्फ नदी नहीं, बल्कि पूजनीय है और जनमानस के आस्थाओं का केंद्र है। नदी के तराई क्षेत्रों में तेजी से शौचालय निर्माण सरकारी मदद के अलावा सक्षम लोगों को प्रोत्साहित करके भी बनवाये जा रहे हैं, साथ ही खुले में शौच की प्रथा को खत्म करने के लिए होली, दिवाली और अन्य त्योहारों के साथ जोड़कर लोगों की मानसिकता बदलने का प्रयास किया जा रहा है।“ उन्होंने बताया कि ट्रिगरिंग कार्यक्रम के अलावा स्कूल, कॉलेज और अन्य जागरूक लोगों व संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है।

शौचालय निर्माण राशि नहीं, प्रोत्साहन राशि

हर्षिका सिंह आगे बताती हैं, “हमारे यहां हितग्राही स्वयं शौचालय बना रहे हैं, जियो टैगिंग और फोटो अपलोड होने के बाद हम हितग्राही को प्रोत्साहन राशि दे रहे है और टैगिंग की वजह से एक ही शौचालय की फ़ोटो कई बार लगाकर भुगतान की शिकायत इससे बिल्कुल खत्म ही गई है।“ आगे बताया, “दूसरा तरीका हम ये अपना रहे हैं कि हितग्राही सरपंच और पंचायत को लिखित रूप से शौचालय बनाने के लिए निवेदन करता है। सरपंच की देखरेख में शौचालय बनने के बाद हितग्राही प्रोत्साहन राशि उन्हें दे देता है।“

वानर सेना मॉडल जबलपुर की देन

हर्षिका सिंह ने बताया, “खुले में शौच को रोकने के लिए गाँवों में वानर सेना कांसेप्ट जबलपुर से ही शुरू हुआ है और ये अब अन्य राज्यों में भी है, साथ ही जनजागरण के लिए अभी कुछ दिन पूर्व स्वच्छ पतंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।“ आगे बताया, “निशक्तजनों के साथ-साथ कर्मकार मंडल की मदद से श्रमिकों और मनरेगा मजदूरों को शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, साथ ही जिन लोगों को पीएम आवास दिया जा रहा है, उन हितग्राहियों को भी शौचालय बनाने में मदद दी जाएगी।“

एक नम्बर पायदान पर ले जाना चुनौतीपूर्ण

हर्षिका सिंह आगे बताती हैं, “जबलपुर को देश का नंबर एक पायदान पर ले जाने के लिए अभी बहुत प्रयास करने होंगे। वर्ष 2017 के क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया सर्वे में जबलपुर 4000 में से 2800 नंबर लेकर प्रदेश में दूसरे स्थान तक पहुंचा, जबकि 4000 में से 2900 अंक प्राप्त करके खरगोन मध्य प्रदेश में पहले स्थान पर रहा।“

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