एमपी के छोटे कारोबारियों ने बजट को सराहा, बोले - जीएसटी की कमियां जल्द दूर होनी चाहिए

Divendra SinghDivendra Singh   2 Feb 2019 7:47 AM GMT

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एमपी के छोटे कारोबारियों ने बजट को सराहा, बोले - जीएसटी की कमियां जल्द दूर होनी चाहिए

इंदौर। अंतरिम बजट का मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र ने स्वागत किया, जबकि कारोबारियों ने अपनी मांग दोहरायी कि सरकार को जीएसटी परिषद के जरिए नयी कर प्रणाली की कमियों को दूर कराने की कोशिश तेज करनी चाहिए।

औद्योगिक संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश (एआईएमपी) के अध्यक्ष आलोक दवे ने कहा कि बजट में एमएसएमई क्षेत्र का ध्यान रखा गया है। बजट से छोटे उद्योगों के विकास की नयी दिशा तय होगी।

दवे ने ऑनलाइन मंच-"सरकारी ई-बाजार"(जीईएम) के जरिये छोटे उद्योगों से सार्वजनिक खरीद को लेकर सरकारी कदमों की सराहना भी की।

वित्त मंत्री गोयल ने अपने बजट भाषण में कहा, "सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को जीईएम के माध्यम से उनके उत्पाद बेचने का अवसर मिला है। 17,500 करोड़ रुपये का लेन-देन हो गया है जिसके परिणामस्वरूप जीईएम के जरिये खरीद से औसतन 25 से 28 प्रतिशत बचत हुई है।"

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कारोबारियों के प्रमुख संगठन अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, "सरकार ने आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए लोक लुभावन बजट पेश किया है और सभी तबकों को कोई न कोई तोहफा देने की कोशिश की है।"

खंडेलवाल ने आगे कहा, "जीएसटी प्रणाली की अलग-अलग कमियों के चलते कारोबारियों को अब भी दिक्कत हो रही हैं। सरकार को चाहिये कि वह आगामी चुनावों से पहले जीएसटी परिषद के जरिये इन कमियों को दूर कराने के प्रयास तेज करें।"

इस बीच, बजट पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की पश्चिमी क्षेत्र की इकाई की ओर से यहां आयोजित चर्चा में अधिकतर वक्ताओं ने बजट को "संतुलित" करार दिया।

इंदौर के भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर सिद्धार्थ कुमार रस्तोगी ने कार्यक्रम के दौरान कहा, "बजट के जरिये सरकार ने छोटे किसानों, गरीब तबके के लोगों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हित में सकारात्मक कदम उठाये हैं।"

उन्होंने कहा, "चुनावी साल की सचाई के बावजूद बजट में सामाजिक कल्याण की जिम्मेरियों और राजकोषीय अनुशासन को साधने की कोशिश की गयी है बजट में किये गये वादों को निभाने के लिये सरकार को कम से कम आठ प्रतिशत की जीडीपी विकास दर सुनश्चिति करनी होगी।"

इनपुट - भाषा

  

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