टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में तितलियों का भी है अद्भुत संसार, प्रदूषण का इंडिकेटर होती हैं तितलियां

भोपाल के निकट रातापानी वन्य प्राणी अभ्यारण्य में अभी हाल ही में आयोजित तीन दिवसीय सर्वे में 103 प्रजाति की तितलियों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें कई अति दुर्लभ प्रजातियां हैं। सर्वे में 14 राज्यों के 88 विशेषज्ञों ने भागीदारी निभाई।

Arun SinghArun Singh   15 Sep 2021 5:49 AM GMT

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टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में तितलियों का भी है अद्भुत संसार, प्रदूषण का इंडिकेटर होती हैं तितलियां

रातापानी वन्य प्राणी अभ्यारण्य में 103 प्रजाति की तितलियों को किया गया सूचीबद्ध। सभी फोटो, प्रदीप त्रिपाठी

दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों और जैव विविधता से भरे मध्य प्रदेश के जंगलों में रंग बिरंगी तितलियों का भी खूबसूरत संसार है। इन तितलियों को उड़ते और फूलों पर मंडराते देख हर किसी का पसंद आता है। मन को खुशी मिलती है। राज्य के रातापानी वन्य प्राणी अभयारण्य में देश के 88 विशेषज्ञों की टीम ने जंगल में पैदल गस्त करके 103 प्रजाति की तितलियों का खजाना खोजा है। इन तितलियों को उनकी प्रजातियों के अनुरूप सूचीबद्ध भी किया गया है। तितलियों की खोज के इस तीन दिवसीय अभियान में कई नए तथ्य भी सामने आए हैं। ये सर्वे 10 से 12 सितंबर के बीच चला है।

रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य के अधीक्षक प्रदीप त्रिपाठी ने गांव कनेक्शन को बताया, "विशेषज्ञों की टीम ने 21 कैंप के 80 स्थलों पर पैदल भ्रमण करते हुए अत्यंत दुर्लभ प्रजाति की तितलियों का खजाना खोजा है। इन तितलियों में पचमढ़ी बुश ब्राउन, एंगल्ड पायरेट, ब्लैक राजा, नवाब कामन ट्री ब्राउन तथा ट्राई-कलर्ड पाइड प्लेट तितली शामिल हैं। इस सर्वेक्षण में वाइल्ड वारियर्स और तिंसा फाउंडेशन की विशेष भागीदारी रही है।"

त्रिपाठी ने बताया कि इस सर्वेक्षण अभियान की खूबी यह भी रही कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियां कॉमन पाईरट, ग्राम ब्लू ,कोमन गल तथा डेनेट एगफ्लाई भी पाई गई हैं। सर्वे में वन विभाग से तितली विशेषज्ञ रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक एन. एस. डुंगरियाल, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के. रमन ने भी भाग लिया।

रातापानी वन्य प्राणी अभ्यारण्य में मिली तितली, फोटो साभार- प्रदीप त्रिपाठी, अधीक्षक रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य

प्रदूषण का इंडिकेटर होती हैं तितलियां

प्रदूषण के प्रति तितलियां बेहद संवेदनशील होती हैं। भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी अनिल नागर ने गांव कनेक्शन को बताया, "जिन क्षेत्रों में तितलियों की उपलब्धता कम होती है, उससे यह पता चलता है यहां प्रदूषण का स्तर अधिक है। तितलियों की प्रचुर संख्या में मौजूदगी प्रदूषण मुक्त वातावरण का संकेत है।"

नागर बताते हैं कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में जब वे फील्ड डायरेक्टर के पद पर थे, उस समय वर्ष 2017 में वहां पर तितलियों का सर्वे कराया था। पचमढ़ी में 126 प्रजाति की तितलियां सूचीबद्ध की गई थीं। इस सर्वे अभियान में 90 विशेषज्ञ शामिल हुए थे।

तितलियों की तिलस्मी दुनिया पर रुचि रखने वाले वन अधिकारी नागर कहते हैं, " प्रत्येक टाइगर रिजर्व में बायोडायवर्सिटी सर्वे कराया जाना चाहिए। इससे वन्य प्राणियों की दुर्लभ प्रजातियों की मौजूदगी के बारे में पता चलता है। खाद्य श्रंखला में तितलियां भी एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। यदि श्रंखला की कोई भी कड़ी टूटती है तो उसका प्रभाव पूरी श्रृंखला पर पड़ता है। इस लिहाज से तितलियों का भी उतना ही महत्व है जितना टाइगर का है।"

वो आगे कहते हैं, "अध्ययन से यह पता चला है कि जीवन चक्र के दौरान तितलियों का लार्वा वनस्पतियों का तेजी के साथ भक्षण करता है और अनियंत्रित वृद्धि को रोकता है। यही लार्वा विभिन्न प्रकार के पक्षियों, मकड़ी, मेंटिस एवं वास्प प्रजाति के छोटे जंतुओं का भोजन बनता है। इस प्रकार से भोजन श्रंखला की एक कड़ी के रूप में तितलियों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता।"

तितलियों का सर्वे करते विशेषज्ञ

लंबा सफर तय कर लेती हैं तितलियां

परिंदों की तरह तितलियां भी लंबी दूरी तय करने की क्षमता रखती हैं, इस तथ्य के बारे में कम लोगों को ही पता होगा।

वन्य जीवों व पर्यावरण के जानकार कबीर संजय बताते हैं, "तितलियां शराबियों की तरह लड़खड़ाते हुए उड़ती हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि लड़खड़ाते हुए पंखों से उड़ती हुई वह हजारों मील दूर तक की यात्रा कर लेती हैं। आप बताते हैं कि अपने माइग्रेशन पैटर्न को लेकर मोनार्क तितलियां दुनियाभर में प्रसिद्ध रही हैं। वे मेक्सिको से लेकर कनाडा तक का सफर करती हैं।" तितलियां इतनी लंबी यात्रा कैसे कर पाती हैं ? इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि वे आकाश में मौजूद विंड करंट के साथ-साथ तैरती हुई हजारों किलोमीटर दूर पहुंच जाती हैं।

परागण में निभाती हैं महत्वपूर्ण भूमिका

एक फूल से दूसरे फूल पर मडराने वाली तितलियां सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं होती बल्कि मानव जीवन के लिए भी अत्यधिक उपयोगी होती हैं। तितलियां परागण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया को संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका

निभाती हैं। यदि तितलियां न हों तो कई प्रजातियों की वनस्पतियों में फल ही नहीं बन पाएंगे परिणाम स्वरूप पुनरुत्पादन प्रभावित होगा। पूर्व वन अधिकारी अनिल नागर जिन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व में विगत डेढ़ दशक पूर्व डिप्टी डायरेक्टर के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दी हैं, वे बताते हैं कि वन्यजीवों की श्रंखला में टाइगर भले ही सर्वोपरि हो लेकिन

इस श्रंखला की महत्वपूर्ण कड़ी तितलियां भी हैं। तितलियों की कई प्रजातियां ऐसी हैं जिनके खूबसूरत पंखों का रंग व धारियां टाइगर से मेल खाती हैं। यही वजह है कि ऐसी तितलियों का नाम भी टाइगर से जोड़ कर रखा गया है।

नागर के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व में उन्होंने स्वयं 70 से भी अधिक प्रजाति की तितलियों को सूचीबद्ध किया था। रातापानी की तरह यदि यहां भी सर्वे कराया जाए तो सौ से भी अधिक प्रजाति की तितलियों के सूचीबद्ध होने की पूरी संभावना है।

नागर के मुताबिक उन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व में प्लेन टाइगर, स्ट्राइब्ड टाइगर, ब्लू टाइगर, ग्लासी टाइगर सहित कैबेस व्हाइट, स्पॉट स्वार्ड टेल, कामन रोज, लाइम बटरफ्लाई, कामन जेजेबल, जेबर ब्लू , ब्लू पेन्जी, लाइन पेन्जी, कामन लेपर्ड, पेंटेड लेडी व बैरोनेट आदि प्रजाति की तितलियों को प्रचुर संख्या में देखा है।

सितंबर का महीना तितलियों के ब्रीडिंग का समय होता है, यही वजह है कि इस समय वे सबसे ज्यादा दिखती हैं।

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