पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन की संदिग्ध अवस्था में मौत, चारों शावक लापता, तलाश जारी

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में इस बाघिन का कुछ दिनों से इलाज चल रहा था। उसके एक पैर में सूजन थी। लगभग 6 वर्ष की इस बाघिन के चार नन्हे शावक भी हैं। बाघिन की मौत कैसे हुई? उसके चारों शावक कहां हैं? ये सवाल कई लोगों के मन में हैं।

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पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन की संदिग्ध अवस्था में मौत, चारों शावक लापता, तलाश जारी

पन्ना टाइगर रिज़र्व की युवा बाघिन पी-213 (32) का शव 15 मई को मिला।  फोटो - पीटीआर ऑफिस 

अरुण सिंह, पन्ना, मध्य प्रदेश

बाघों के लिए प्रसिद्ध बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन पी-213 (32) की शनिवार 15 मई को संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इस बाघिन के लगभग 6 से 8 माह के चार नन्हें शावक भी हैं, जो मां की असमय मौत होने से अनाथ हो गए हैं। रिजर्व पार्क और वन अधिकारियों को अब इन शावकों की चिंता हैं, क्योंकि उनका उसी दिन से सुराग नहीं है।

शनिवार (15 मई) की सुबह बाघिन का शव गहरीघाट परिक्षेत्र के कोनी बीट में मिला था। कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब पर्यटकों के पार्क भ्रमण पर रोक लगी हुई है, ऐसे समय रेडियो कॉलर युक्त इस युवा बाघिन की असमय मौत से पन्ना टाइगर रिज़र्व में हड़कंप मचा है। पोस्टमार्टम के बाद अंगों के जांच के लिए भेजा गया है।

पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया, "बाघिन के पैर में सूजन होने की जानकारी 12 मई को मिली थी, जिसका दूसरे दिन से ही उसका इलाज शुरू करा दिया गया था। 13 व 14 मई को उसे एंटीबायोटिक के 2 इंजेक्शन भी दिए गए, जिससे सूजन कम हुई और लंगड़ाना भी बंद हो गया था, लेकिन 15 मई को उसकी मौत हो गई। उसकी मौत कैसे और किस बीमारी के कारण हुई, अभी कुछ बता पाना संभव नहीं है। मौजूदा हालात को देखते हुए यह आशंका है कि कहीं किसी वायरस के संक्रमण को कारण तो ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट का इंतजार है।"

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बाघिन के शव का पोस्टमार्टम किया है, जिसमें ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं मिला, जिन्हें मौत की वजह माना जा सके। बाघिन के शरीर में कहीं किसी भी प्रकार की चोट के निशान भी नहीं पाए गए। क्षेत्र संचालक के मुताबिक आशंका है कि "बाघिन की मौत या तो किसी बीमारी के कारण या फिर जहरीले सांप आदि के काटने से भी हो सकती है। पहली नजर में बाघिन की मौत का कारण प्राकृतिक ही लगता है।"

टाइगर रिजर्व बाघिन की मौत पर गहमागहमी इसलिए भी है क्योंकि बाघिन पी- 213 (32) के शावक की एक वर्ष पूर्व 3 मई 2020 को संदिग्ध हालात में मौत हुई थी। तब शावक की उम्र लगभग 15 माह थी। शावक का शव क्षत-विक्षत हालत में कोनी नाला मिला था। बाघ की मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई इसके कारणों का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है। इससे पहले भी इस इलाके में दो रेडियो कॉलर वाली बाघिनों की मौत हो चुकी है।

बाघिन पी-213 (32) ने अपने पहले लिटर में 4 शावकों को जन्म दिया था। दूसरे लिटर में भी इसने चार शावक जन्मे, जो 6 से 8 माह के हैं और मां के साथ ही रहते थे। बाघिन की मौत होने पर अब इन नन्हे शावकों की जिंदगी असुरक्षित हो गई है।

जंगल में ही बाघिन का हुआ दाह संस्कार

पोस्टमार्टम के बाद बाघिन के शव का नियमानुसार दाह संस्कार किया गया है। इस मौके पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि सहित पन्ना टाइगर रिज़र्व के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया, "कोशिश की जा रही है कि जांच सैंपल की रिपोर्ट जल्द मिल सके। सैंपल की सभी प्रकार की जांच कराई जाएगी, जिससे मौत के कारणों की असल वजह का खुलासा हो सके। क्योंकि यदि किसी बीमारी से मौत हुई होगी तो उसे मद्देनजर जरूरी कदम उठाना होगा। इलाज के दौरान यह बाघिन सुस्त सी दिखती थी।"

कोनी नाले में जिस जगह पर बाघिन का शव मिला है, वहां ग्रामीणों की भी आवाजाही रहती है। कोनी सेहा के बारे में कहा जाता है कि यहां ग्रामीण और बाघ एक ही जगह का पानी पीते हैं। कोनी गांव यहां से मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे रिजर्व पार्क के अधिकारी भी किसी वायरल अटैस की आशंका से इनकार नहीं कर रहे।


अब शावकों की खोज और सुरक्षा बड़ी चुनौती

मौजूदा समय में इस बाघिन के नन्हे चार शावकों की सुरक्षा तथा उनका पालन पोषण अब पार्क प्रबंधन के सामने बड़ी चुनौती है। नन्हे शावकों के भविष्य की चिंता वन्यजीव प्रेमियों को भी है। बाघिन की मौत के बाद खबर लिखे जाने तक (17 मई 7 बजे तक) उनका सुराग नहीं लगा था। 100 से ज्यादा वनकर्मी व प्रशिक्षित हाथियों का दल इलाके के जंगल का चप्पा चप्पा छान रहा है।

कोनी बीट के इस इलाके का जंगल अत्यधिक जटिल और दुरूह है। यहां के जंगल में गहरे सेहा व जटिल पहाड़ी संरचनाएं हैं, जहां प्रशिक्षित हाथी भी नहीं पहुंच सकते। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि चारों शावक किसी सेहा व पहाड़ी की ओट में छुपे होंगे। यही वजह है कि सघन सर्चिंग के बावजूद अभी तक उनका सुराग नहीं मिल सका। जानकारों का यह भी कहना है कि बाघों के बच्चों में अत्यधिक अनुशासन होता है। बाघिन इन शावकों को जिस जगह पर छुपाकर गई होगी, शावक वहां तब तक बने रहेंगे जब तक उनकी मां नहीं आ जाती। बाघिन अपने शावकों को इस तरह का प्रशिक्षण शुरू से देती है, कई दिनों तक बच्चों से नहीं मिलती। आमतौर पर बाघ शावकों को प्रतिदिन दूध पिलाने के बजाय 3 से 5 दिन के अंतर में दूध पिलाती है।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि बाघिन की मौत के बाद अब हमारी प्राथमिकता चारो शावक हैं, जिनकी तलाश के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। शावकों की कॉलिंग सुनने की कोशिश के अलावा जल श्रोतों पर भी चौकस नजर रखी जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्दी ही शावकों को खोजने में सफलता मिलेगी।

शावकों को प्राकृतिक रूप से बचाने के लिए क्या योजना है? इस सवाल के जवाब में शर्मा ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता व चिंता उन्हें ढूंढ निकालने की है। इसके बाद दूसरा कदम रेस्क्यू करने व इसके बाद उनको कहां व कैसे रखना है इस पर निर्णय होगा। वन महकमे के उच्च अधिकारियों सहित एनटीसीए से भी मामले पर सतत मार्गदर्शन लिया जा रहा है।

बाघिन की मौत से उदास है उसका जीवनसाथी

बाघिन पी-213(32) की असमय मौत से जहां उसके चार नन्हें शावक अनाथ हो गए हैं, वहीं इस बाघिन का जीवन साथी नर बाघ पी-243 भी अत्यधिक उदास और तनाव में है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि नर बाघ पी-243 इलाके में असहज देखा गया है।

मां की मौत होने पर क्या नर बाघ पिता की भूमिका निभाते हुए अनाथ शावकों की परवरिश कर सकता है? इस सवाल के जवाब में क्षेत्र संचालक शर्मा ने कहा कि इसकी संभावना बहुत ही कम है। एक दो बार वह अपना किला शावकों के साथ शेयर कर सकता है, लेकिन दूसरी कोई बाघिन मिलने पर वह उसके साथ जोड़ा बनाकर चलता बनेगा। जबकि अभी कम से कम एक वर्ष होने तक शावकों को परवरिश की जरूरत पड़ेगी।

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