वन्यजीव पर्यटन ने पकड़ी रफ्तार, सरकार को राजस्व और स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार

कोरोना काल की बंदिशों के बाद मध्य प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन ने अब रफ्तार पकड़ ली है। पर्यटन बढ़ने से संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। मध्य प्रदेश में 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिससे शासन को 30 करोड़ से अधिक राजस्व व ग्रामीणों को रोजगार मिलता है।

Arun SinghArun Singh   27 Oct 2021 5:59 AM GMT

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वन्यजीव पर्यटन ने पकड़ी रफ्तार, सरकार को राजस्व और स्थानीय लोगों को मिल रहा रोजगार

पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगल में लंबी छलांग लगाता बाघ। फोटो अजीत सिंह 

पन्ना (मध्यप्रदेश)। कोरोना के मुश्किल भरे समय के बाद जंगलों में एक बार फिर पर्यटकों की भीड़ पहुंचने लगी है। खासकर ऐसे जगहों पर जहां टाइगर हैं वहां सबसे ज्यादा दर्शक पहुंच रहे हैं। पर्यटकों के आने से वन विभाग को राजस्व के अलावा वन क्षेत्र के आसपास स्थित गांव के लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलते हैं। वन्य जीव पर्यटन से जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है।

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व इन दिनों गुलजार है। पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा कहते हैं, "मध्य प्रदेश में हर साल 10 लाख से अधिक पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों का भ्रमण करते हैं, जिनसे प्रवेश शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपये से भी अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने वर्ष 2020-21 में लगभग 1.5 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया है जिसके अब बढ़ने की उम्मीद है।"

पन्ना टाइगर रिजर्व में इस वक्त 70 से अधिक बाघ हैं, जिनमें वयस्क बाघों की संख्या लगभग 46 व शावकों की संख्या 20 से अधिक है।

पर्यटन से अर्थव्यवस्था ऐसे होती है मजबूत

क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि प्रवेश शुल्क के रूप में पन्ना टाइगर रिजर्व को तकरीबन 1.67 करोड रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष प्राप्त होता है। जबकि ईको-टूरिज्म द्वारा हर साल लगभग 21 करोड़ की अर्थव्यवस्था उत्पन्न होती है। इसमें होटल किराए के अलावा उत्पन्न होने वाले 5 लाख से अधिक मानव दिवस शामिल है। पन्ना टाइगर रिजर्व की परिधि के कम से कम 8 गांव के लगभग 1800 लोग इको टूरिज्म से उत्पन्न पर्यटन व्यवसाय में कार्यरत हैं। इसके अलावा पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानीय 700 से अधिक लोग दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत हैं।

पन्ना टाइगर रिजर्व के दफ्तर के आंकड़ों के मुताबिक पीटीआर के कोर क्षेत्र (576.13 वर्ग किमी.) के 17 फ़ीसदी हिस्से में ही पर्यटकों को भ्रमण की इजाजत है। दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पर्यटक निश्चित समय सीमा पर सूर्योदय व सूर्यास्त के बीच अनुमति प्राप्त वाहनों से भ्रमण कर सकते हैं। जंगल के कोर जोन में प्रतिदिन अधिकतम 85 वाहनों को प्रवेश दिया जा सकता है। कोर जोन के अलावा अकोला व झिन्ना बफर भी पर्यटकों के लिए खोले गए हैं।

क्षेत्र संचालक बताते हैं कि बफर में पूरे वर्ष पर्यटन की अनुमति है। दोनों बफर जोन में नाइट सफारी भी रात 9:30 तक की जा सकती है। कोर जोन में वाहनों के प्रवेश की संख्या सीमित होने के कारण पर्यटकों का रुझान बफर क्षेत्र में बढ़ा है। अकोला बफर में बाघों की अच्छी खासी संख्या है, जिससे यहां अमूमन रोज ही पर्यटकों को बाघ के दर्शन हो जाते हैं।

उत्तम कुमार शर्मा, क्षेत्र संचालक, पन्ना टाइगर रिजर्व

शर्मा के मुताबिक भारत में वन्य जीव पर्यटन आमतौर पर टाइगर पर्यटन का पर्याय बन चुका है। जिन बाघ अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों के दर्शन अधिक होते हैं वहां पर्यटकों की संख्या भी अधिक होती है। टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या से ही काफी हद तक पर्यटकों का रुझान निर्धारित होता है। इस लिहाज से मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का बीता एक दशक उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से परिपूर्ण रहा है।"

पन्ना टाइगर रिजर्व में इस वक्त 70 से अधिक बाघ हैं, जिनमें वयस्क बाघों की संख्या लगभग 46 व शावकों की संख्या 20 से अधिक है। टाइगर की संख्या से पर्टयक की संख्या भी जुड़ी रहती है, जहां जितने बाघ, वहां उन्हें देखने की उम्मीद में दर्शक भी उमड़ते हैं। हालांकि एक वक्त ऐसा भी आया था जब पन्ना टाइगर विहीन हो गया था।

क्षेत्र संचालक बताते हैं, "वर्ष 2009 में पन्ना के जंगल से बाघ पूरी तरह खत्म हो गए। बाघ विहीन यहां का जंगल शोक गीत में तब्दील हो गया। जाहिर है इसका असर पर्यटन पर पड़ा, पर्यटकों ने भी पन्ना टाइगर रिजर्व से मुंह मोड़ लिया था। मार्च 2009 में बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने की कवायद शुरू होती है। बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पहली बाघिन पन्ना लाई गई। इसके बाद कान्हा टाइगर रिजर्व से दूसरी बाघिन व पेंच टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ लाया गया था।" टाइगर पार्क के अधिकारियों के मुताबिक 2009 के बाद पार्क प्रशासन ने पर्यटन के बजाए सिर्फ बाघ संरक्षण और उनकी वंश वृद्धि (जनसंख्या) पर जोर दिया। बाघ पुनर्स्थापना योजना के चलते पन्ना फिर बाघों से आबाद हुआ।

पन्ना टाइगर रिजर्व के प्रवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साथ में उनकी पत्नी साधना सिंह। (फाइल फोटो)

बाघों की संख्या और मनोरम दृश्यों ने दर्शकों को खींचा

पन्ना टाइगर रिजर्व की एक खूबी यह भी है कि यहां वन्य प्राणियों व बाघ के दर्शन के साथ-साथ पर्यटक खूबसूरत नजारों का भी लुत्फ उठाते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पांडव फॉल, केन घड़ियाल अभयारण्य और रनेह फाल जैसे दर्शनीय स्थल हैं। पर्यटक गाइड पुनीत शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया कि इको टूरिज्म के उद्देश्य से पन्ना टाइगर रिजर्व में91 गाइड व 58 जिप्सी पंजीकृत हैं। इनमें अधिकांश जिप्सी ड्राइवर व गाइड पीटीआर की परिधि में स्थित गांव के निवासी हैं। पुनीत के मुताबिक पर्यटन से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिलने से वे अब वन्य प्राणी संरक्षण में रुचि लेने लगे हैं। गांव के लोग एक तरफ से खुद अब जंगल और टाइगर की रक्षा के लिए काम काम करते हैं।

पन्ना टाइगर रिजर्व बन चुका है पन्ना की पहचान

बाघों से आबाद हो चुका पन्ना टाइगर रिजर्व अब पन्ना जिले की पहचान बन चुका है। स्थानीय विधायक व प्रदेश शासन के खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि देश के 51 टाइगर रिजर्व में यह इकलौता टाइगर रिजर्व है जिसे शहर के नाम से जाना जाता है। पन्नावासियों ने अब पन्ना टाइगर रिजर्व को अपना लिया है। हमें अब इसी से रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना होगा। हमें ये सोचना है कि यहां के लोगों को इससे रोजी –रोजगार कैसे मिले इस पर काम करने की जरुरत है।"

खनिज मंत्री बृजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि पन्ना ने शून्य से यहां तक का सफर तय किया है, जो अपने आप में एक मिसाल है। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में हर कहीं बाघ स्वच्छन्द विचरण कर रहे हैं। बाघों की मौजूदगी से पन्ना का आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने पन्ना- अमानगंज मार्ग पर स्थित रमपुरा गेट पर्यटन हेतु खोले जाने की जरुरत और स्थानीय लोगों को बुनियादी और मूलभूत सुविधाएं देने पर काम किए जाने पर जोर दिया।

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बफर क्षेत्र के जंगल में टाइगर को निकट से गुजरते हुए देखते पर्यटक।

बफर क्षेत्र में पर्यटन विकास की अच्छी संभावनाएं

टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पर्यटन हेतु एनटीसीए की गाइडलाइन है, जिसके तहत कोर क्षेत्र में अधिकतम 20 प्रतिशत क्षेत्र पर्यटन हेतु खोला जा सकता है। मध्य प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व (कान्हा, पेंच और बांधवगढ़) कोर क्षेत्र में पूरी क्षमता से चल रहे हैं, जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व अभी कोर क्षेत्र में अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंच पाया है। यहां बफर क्षेत्र में भी पर्यटन के विकास की अच्छी संभावनाएं मौजूद हैं। पर्यटक गाइडों के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर क्षेत्र में बाघों का घनत्व अधिक है। यही वजह है कि यहां कोर क्षेत्र से भी अधिक बाघ दर्शन की संभावना रहती है। झिन्ना बफर में जहां कई दर्शनीय स्थल हैं, वहीं यहां के जंगल में भालू व तेंदुओं की अच्छी संख्या पर्यटकों को आकर्षित करती है।

वॉच टावरों से रात में तारों को देखना, वॉकिंग ट्रेल, कर्मचारियों के साथ गश्त करना आदि कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जो बफर जोन में लागू होने की प्रक्रिया में है। इन गतिविधियों के शुरू होने पर निश्चित ही बफर क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेगा।

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