विनोद खन्ना से विनोद भारती बनने का सफर
श्रृंखला पाण्डेय 27 April 2017 2:00 PM GMT

लखनऊ। अपने अभिनय के दम पर ही इंडस्ट्री में छाप छोड़ने वाले विनोद खन्ना ने 60 के दशक से लेकर आज तक बॉलीवुड में काम किया। लम्बे समय से कैंसर बीमारी से परेशान विनोद खन्ना का आज निधन हो गया । हाल ही में आई दबंग और वांटेड में उन्होंने सलमान खान के पिता की भूमिका को बखूबी निभाया था। विनोद खन्ना ने अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में काम किए और वो सभी फिल्में हिट रही।
उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत साल 1968 मे आई फिल्म “मन का मीत” से की, जिसमें उन्होंने एक खलनायक का किरदार निभाया था। इसके बाद कई फिल्मों में विलेन और साइड हीरो का किरदार निभाया। अस्सी के दशक में ही जब विनोद खन्ना को सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के सम्मुख उनके सिंहासन का दावेदार माना जा रहा था, ठीक ऐसे ही समय में उनकी मां का निधन हो गया और वो काफी परेशान रहने लगे। इसी बीच उनकी मुलाकात ओशो से हुई। वो अचानक उनसे इतने प्रभावित हुए कि फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहकर वो ओशो के चेले बन गए और उन्हें विनोद भारती नाम से जाना जाने लगा। संन्यास के वक्त वो शादीशुदा थे उनके दो बेटे राहुल और अक्षय भी थे, इस फैसले के बाद उन्होंने अपनी पत्नी गीतांजलि से तलाक ले लिया और अमेरिका जाकर ओशो के आश्रम में माली बनकर रहने लगे।
संन्यास के बाद इंसाफ फिल्म से दोबारा की शुरुआत
किसी की बंदिश में न रहने वाले स्वभाव के कारण जल्द ही उनका मोह ओशो से भंग हो गया और पांच साल बाद वर्ष 1987 में विनोद खन्ना ने अपनी फ़िल्मी पारी को एक बार फिर से फिल्म ‘इंसाफ’ से शुरू किया और सफलता का एक और अध्याय लिखा।
वर्ष 1997 से की राजनीतिक पारी की शुरुआत
वर्ष 1997 से विनोद जी ने समाज सेवा को अपना लक्ष्य मान राजनीति में प्रवेश किया था और भारतीय जनता पार्टी के निशान के साथ गुरदासपुर से चुनाव लड़कर लोकसभा सदस्य बने। बाद में केन्द्रीय मंत्री के तौर पर भी विनोद खन्ना ने कार्यभार भी संभाला। वर्तमान में भी वे लोकसभा में भाजपा के टिकट पर गुरदासपुर से चुनाव जीतकर संसद बने थे। वो अब तक चार बार सांसद रह चुके हैं।
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