जन्मदिन विशेष: हिन्दी सिनेमा की पहली 'ड्रीम गर्ल' थीं देविका रानी  

Divendra SinghDivendra Singh   30 March 2019 7:21 AM GMT

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जन्मदिन विशेष: हिन्दी सिनेमा की पहली ड्रीम गर्ल थीं देविका रानी  हिन्दी सिनेमा की ड्रीम गर्ल थीं देविका रानी।

हिन्दी सिनेमा में ड्रीम गर्ल के नाम से हेमा मालिनी को जाना जाता है, लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि ड्रीम गर्ल का खिताब उनसे बहुत पहले किसी अभिनेत्री को मिल गया था, वो थीं देविका रानी। देविका अपने दस वर्षों के करियर में हिन्दी सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक ले गईं।

देविका रानी का जन्म आज ही के दिन 30 मार्च, 1908 को विशाखापटनम में हुआ था। वो प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से थीं, उसका असर उनके अभिनय पर भी पड़ा। देविका ने अपने दस वर्ष के अभिनय के कैरियर में सिर्फ 15 फिल्मों में काम किया, लेकिन वो हिन्दी सिनेमा के रजत पटल पर अमर हो गईं।

पढ़ाई पूरी करने के बाद देविका रानी ने जब अभिनय की तरफ रुख किया तो घर वालों के विरोध का सामना करना पड़ा। क्योंकि उन दिनों संभ्रान्त परिवार की लड़कियों को फिल्मों में काम नहीं करने दिया जाता था। इंग्लैंड में कुछ वर्ष रहकर उन्होंने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में अभिनय की पढ़ाई की।

इस बीच उनकी मुलाकात सुप्रसिद्ध निर्माता हिमांशु राय से हुई। हिमांशु मैथ्यू अर्नाल्ड की कविता लाइट ऑफ एशिया के आधार पर इसी नाम से एक फिल्म बनाकर अपनी पहचान बना चुके थे।

कर्म फिल्म से की अभिनय की शुरुआत

हिमांशु राय ने जब वर्ष 1933 में फिल्म कर्म का निर्माण किया तो उन्होंने नायक की भूमिका खुद निभाई और अभिनेत्री के रूप में देविका को चुना। इस फिल्म में देविका के फरार्टेदार अंग्रेजी संवाद अदायगी को देखकर लोग हैरान से रह गए और उनके व्यक्तिव को देखकर दर्शक इस कदर सम्मोहित हुए कि उनकी गिनती बोलती फिल्मों की श्रेष्ठतम नायिकाओं में होने लगी।

फिल्म अछूत कन्या से मिली ड्रीम गर्ल की उपाधि

साल 1936 में आई फिल्म अछूत कन्या से देविका ने एक नए आयाम तक पहुंच गईं। फिल्म अछूत कन्या में अपने अभिनय से देविका ने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया। फिल्म में अशोक कुमार एक ब्राह्मण युवक के किरदार मे थे, जिन्हें एक अछूत लड़की से प्यार हो जाता है। सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म काफी पसंद की गई और इस फिल्म के बाद देविका फिल्म इंडस्ट्री में ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर हो गई।

हिमांशु राय और देविका रानी ने की थी बांबे टॉकीज की स्थापना

हिमांशु राय से शादी के बाद देविका मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद हिमांशु और देविका ने मिलकर बांबे टॉकीज की स्थापना की और फिल्म जवानी की हवा का निर्माण किया। वर्ष 1935 में प्रदर्शित देविका रानी अभिनीत यह फिल्म सफल रही। बाद में देविका ने बांबे टॉकीज के बैनर तले बनी कई फिल्मों में अभिनय किया। इन फिल्मों में से एक फिल्म थी अछूत कन्या।

देवका रानी ने दिया था दिलीप कुमार नाम

दिलीप कुमार पुणे की एक कैंटीन में काम करते थे, यहीं देविका रानी की पहली नज़र उन पर पड़ी और उन्होंने दिलीप कुमार को अभिनेता बना दिया। देविका रानी ने ही 'युसूफ़ ख़ान' की जगह उनका नया नाम दिलीप कुमार रखा। दिलीप कुमार को लेकर साल 1944 में देविका रानी ने फिल्म ज्वार भाटा बनायी। फिल्म सफल तो नहीं हो पायी, लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ज्वार भाटा अमूल्य धरोहर के रूप में आज भी याद की जाती है।

फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला जिन्हें पद्यश्री मिला

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ देविका रानी।

फिल्म इंडस्ट्री में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1969 में जब दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की तो इसकी सर्वप्रथम विजेता देविका रानी बनी। इसके अलावा देविका फिल्म इंडस्ट्री की प्रथम महिला बनी जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। अपने दिलकश अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली देविका रानी 9 मार्च 1994 को इस दुनिया को अलविदा कह गईं।

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