अमिताभ नहीं दिलीप कुमार के लिए लिखा गया था बागबान का किरदार

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अमिताभ नहीं दिलीप कुमार के लिए लिखा गया था बागबान का किरदारफिल्म बागबान का एक दृश्य।

मथुरा (भाषा)। जानी-मानी कथा-पटकथा एवं संवाद लेखिका डॉ. अचला नागर का कहना है कि वर्ष 2003 में सर्वाधिक पसंद की गई हिन्दी फिल्मों में से एक ‘बागबान’ के मुख्य किरदार को 20 साल पहले अभिनेता दिलीप कुमार के लिए लिखा गया था, जिन्होंने अपनी उम्र की अभिनेत्री न होने का हवाला देते हुए फिल्म में काम करने से मना कर दिया था। बाद में वह भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई और यह भावना प्रधान फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। ‘बागबान' की कथा-पटकथा व संवाद डॉ. अचला नागर ने ही लिखे थे। इस फिल्म में युवा पीढ़ी द्वारा बुजुर्गों की उपेक्षा किए जाने की समस्या को उकेरा गया था।

मथुरा में अचला नागर द्वारा स्थापित रंगकर्मी संस्था ‘स्वास्तिक रंगमण्डल' की स्थापना के 40 वर्ष पूरे होने के अवसर पर शहर आईं अचला ने बताया कि ‘बागबान' के निर्माता बीआर चोपड़ा ने 20 वर्ष पहले इस किरदार के लिए अपने प्रिय कलाकार दिलीप कुमार को चुना था। तब दिलीप कुमार ने फिल्म के लिए उनके ही कद की (यानी बराबर की उम्र और नामवर) अभिनेत्री न होने का हवाला देते हुए कहा था कि अब न तो नरगिस रहीं, और न ही मीनाकुमारी। राखी भी अब काम नहीं करतीं तो ऐसे में और किसी के साथ जोड़ी कहां बन पाएगी।

हमउम्र अभिनेत्री न मिलने की वजह से छोड़ी थी फिल्म

उन्होंने बताया कि तब यह फिल्म बनाने का विचार परवान नहीं चढ़ पाया। लंबे अरसे बाद उनके निर्देशक पुत्र रवि चोपड़ा ने जब इस फिल्म की कथा-पटकथा व संवाद लेखिका डॉ. अचला नागर (76 वर्ष) से पुन: संपर्क किया तो उन्होंने फिल्म की कहानी में समय के साथ जरूरी हो चुके बदलावों को जोड़ते हुए परिवर्तन किया।

अचला के अनुसार, जब फिल्म बनकर रिलीज के लिए तैयार थी तब इसके निर्माता और कॉन्सेप्ट डेवलपर बीआर चोपड़ा ने फिल्म देखकर कहा, ‘बहुत अच्छी बनी है लेकिन इसमें कहीं कुछ छूट रहा है।’ उनकी इस टिप्पणी ने सभी को मायूस कर दिया। तब उन्होंने अचला नागर को बुलाकर कहा कि उनकी (चोपड़ा की) हर फिल्म कोई संदेश जरूर देती है और इस फिल्म में वह नहीं है। तब अचला ने कहा कि इसके द्वारा बुजुर्गों की उपेक्षा की जो सच्चाई दिखाने की बात आपने कही थी, वही पूरी कहानी का आधार है। अमिताभ बच्चन ने कहा कि अभी डबिंग बाकी है। मैं अपने संवाद कुछ और गुस्से से बोलूंगा तो वजन आ जाएगा और आपको जो कमी लग रही है वह दूर हो जाएगी’ लेकिन बीआर चोपड़ा संतुष्ट नहीं हुए। काफी माथापच्ची के बाद अचला नागर ने सुझाया वह संवाद, जिसने पूरी फिल्म का सार व्यक्त कर दिया और वह संदेश भी गया, जोकि बीआर चोपड़ा असल में चाहते थे, परंतु व्यक्त नहीं कर पा रहे थे।

क्लाइमेक्स में बदलाव के बाद माने बीआर चोपड़ा

दरअसल, जब फिल्म का नायक राज मल्होत्रा अपने सम्मान में बुलाए गए कार्यक्रम में मंच से उतरकर बाहर जाता है तो उसके बेटे-बहू उसकी कामयाबी में साझीदार बनने के लिए आगे बढ़कर उनसे संवाद स्थापित करना चाहते हैं और उसी समय मीडिया वाले राज मल्होत्रा से पूछते हैं, ‘मल्होत्रा साहब, अगर बागबान आपके परिवार की कहानी होती तो आप क्या करते।' इस पर राज मल्होत्रा के रूप में अमिताभ बच्चन अपने बेटों की ओर बिना देखे बड़ी तल्खी से जवाब देते हैं, ‘जो औलाद अपने माता-पिता को सम्मान नहीं दे सकती, सहारा नहीं दे सकती, प्रेम नहीं कर सकती, उन्हें मैं सजा देता, उन्हें कभी माफ नहीं करता, उनसे रिश्ता तोड़ लेता।’ क्लाईमेक्स में किए गए इस बदलाव को बीआर चोपड़ा सहित सभी ने सराहा और जब तीन अक्टूबर 2003 को यह फिल्म रिलीज हुई तो दर्शकों ने भी पहले शो से ही इस दृश्य पर मुहर लगाते हुए फिल्म को हाथों-हाथ लिया।

करीब डेढ़ दर्जन फिल्मों की पटकथा लिख चुकी हैं अचला

साहित्य, संस्कृति, कला और फिल्म जगत का जाना माना नाम अचला नागर ने वर्ष 1982 से अब तक 35 वर्ष में करीब डेढ दर्जन से अधिक फिल्मों की कथा पटकथा एवं संवाद लेखन किया है। वर्ष 1982 में बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘निकाह' की कहानी लिखने वाली अचला ने तीन फिल्मों में अभिनय भी किया है। ‘निकाह' फिल्म अचला की लिखी कहानी ‘तोहफा' पर आधारित है। आकाशवाणी की नौकरी के लिए मुंबई पहुंचीं और विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन करने वाली अचला नागर की यह कहानी फिल्मी पत्रिका ‘माधुरी' में प्रकाशित हुई थी और यह निर्माता निर्देशक बीआर चोपड़ा को इतनी अधिक पसंद आई कि वे उस पर फिल्म बनाने के लिए तैयार हो गए। इसी पहली फिल्म के लिए उन्हें ‘फिल्म फेयर'' अवार्ड से नवाजा गया।

      

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