भारत में नृर्तकों के लिए रोजगार का एक छुपा बाजार है जिसे तलाशने की जरुरत है : गीता चंद्रन
Sanjay Srivastava 29 April 2017 11:55 AM GMT

नई दिल्ली (भाषा)। विश्व नृत्य दिवस के मौके पर लोकप्रिय भरतनाट्यम नृत्यांगना गीता चंद्रन ने कहा है कि भारत में शास्त्रीय नृत्य पेशेवरों की बढ़ती संख्या के बावजूद देश में अब भी इस कला में पेशे की तलाश शेष है।
विश्व नृत्य दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि नृर्तकों के लिए रोजगार का एक छुपा हुआ बाजार है जिसे तलाशने और उपयोग करने की जरुरत है। विश्व नृत्य दिवस सालाना तौर पर 29 अप्रैल को मनाया जाता है।
पद्मश्री से अलंकृत नृत्यांगना ने कहा कि हमने नृत्य पेशेवरों की संख्या में बढ़ोतरी की है जबकि हमारे पास नृत्य में पेशा नहीं है, प्रगति या मूल्यांकन का कोई ढांचा नहीं है, भारत में नृत्य सामंती आधार पर होता है कि कौन आपको जानता है और आप कितना खर्च कर सकते हैं, यह एक भयानक स्थिति है।''
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गीता चंद्रन ने कहा कि कुछ साल पहले एनसीईआरटी ने शास्त्रीय नृत्य के लिए नए पाठ्यक्रम बनाने का काम शुरू किया लेकिन हमें इतने बड़े स्तर पर शिक्षकों को तलाशने में परेशानी हुई।
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