लिंगानुपात में सुधार के लिए उठाने होंगे कठोर कदम
Neetu Singh 4 April 2017 11:28 AM GMT
नीतू सिंह ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात में अब तक सुधार नहीं हो सका है। अभी भी अल्ट्रासाउंड तकनीक के जरिए लड़कियां पेट में ही मार दी जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या सबसे ज्यादा बढ़ी है।
गर्भवती महिला के पेट में पल रहा बच्चा सुरक्षित है या नहीं, इसके लिए वर्ष 1980 में अल्ट्रासाउंड तकनीक का इस्तेमाल शुरुआती दौर में चिकित्सीय उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया था। जिन उद्दश्यों के साथ यह तकनीक शुरू की गयी थी, उसका सही से इस्तेमाल न होने की वजह से लड़कियों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है। अगर नयी सरकार सख्ती से कार्रवाई करे तो आने वाले वर्षों में लिंगानुपात में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
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चिकित्सीय तकनीकों के बढ़ते हुए दुरुप्रयोग को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1994 में प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम बनाया गया जो 1996 को पूरे देश में लागू किया गया। वात्सल्य संस्था की प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम सिंह कहती हैं, “लगातार लड़कियों की कम हो रही संख्या इस बात को दर्शाती है कि लड़कियों को पेट में ही मार दिया जाता है, जबतक चिकित्सकीय तकनीक के गलत प्रयोग पर सख्त कार्रवाई नहीं की जायेगी, तब तक इस स्थिति में सुधार नहीं होगा।” वो आगे बताती हैं, “नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर भारत के वो राज्य जहां शिशु लिंगानुपात चयन में कठोर विधिक कार्रवाई की गई है, वहां के आंकड़ों में सुधार हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड शामिल नहीं है।
तो 2021 की जनगणना में देखने को मिलेंगे दुष्परिणाम
वात्सल्य संस्था की अंजनी सिंह का कहना है, “अल्ट्रासाउंड तकनीक से मुनाफा कमाने की क्षमता का न सिर्फ चिकित्सकों के द्वारा बल्कि गैरचिकित्सकों, तकनीशियनों, कम्पाउंडरों और यहाँ तक की गैर पेशेवर लोगों जो चिकित्सकीय पेशेवर से जुड़े हुये नहीं थे, इनके द्वारा भी किया गया।“ वो आगे बताते हैं, “यह तकनीक ग्रामीण जनसंख्या, लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, अगर इस पर नयी सरकार सख्ती से नकेल नहीं कसती है तो इसके दुष्परिणाम वर्ष 2021 की जनगणना में देखने को मिलेंगे।“
ग्रामीण क्षेत्रों में हुआ विस्तार
उत्तर प्रदेश में पिछले दशक की जनगणना के अनुसार (2001-2011) में शिशु लिंगानुपात में 14 अंकों की गिरावट आयी है। शहरी क्षेत्रों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में तीन गुना ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दशक में तकनीकों का विस्तार बड़ी तेजी से हुआ है और तकनीकों का पलायन शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है। नयी सरकार को घटते हुए लिंगानुपात पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे आने वाले समय में लड़कियों की संख्या पहले से बेहतर हो सके।
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