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जब कत्थे और गुलकंद की महक छोड़कर मौसिक़ी के मंच से चल दिए उस्ताद राशिद ख़ान
जब मैं उनके पास पहुँचा तो उनसे आती कत्थे और गुलकंद की महक से भर उठा। बैंगनी रंग का कुर्ता और मुँह में बचा हुआ पान। साँवले रंग के चेहरे पर पसीने की हल्की बूंदें देखकर में कुछ क्षण यही सोचता रहा कि यह...
Navin Rangiyal 11 Jan 2024 12:12 PM GMT