नुकीले तारों से पशु हो रहे चोटिल

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नुकीले तारों से पशु हो रहे  चोटिल

बैरी दरियाव (कानपुर देहात)। छुट्टा जानवरों से तंग आकर गाँवों के हज़ारों किसानों ने खेतों के चारों ओर कटीले तार लगा दिए हैं| इन नुकीले तारों की वजह से फसल बचे या न बचे पर हजारों बेजुबान पशु और लोग जरूर चोटिल हो रहे हैं।

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मैथा ब्लॉक से छह किलोमीटर उत्तर दिशा में बैरी दरियाव गाँव हैं| यहां के सैकड़ों बीघा खेत में कटीले तार लगाए जाते हैं | इन तारों से इस गाँव के अब तक हज़ारों जानवर जख्मी हो चुके हैं और अभी तक 100 से ज़्यादा लोग जख्मी हो गए हैं| अगर इन कटीले तारों से कोई भी जानवर ज़ख्मी हो जाता है, तो उसके जख्मों को भरने में तीन से चार महीने लग जाते हैं| इस दौरान लगातार उनकी दवाई चलती रहती है| 

बैरी दरियाव गाँव में रहने वाले किशन (28 वर्ष) बताते हैं, “छह महीने पहले हमारी दो गायें लड़ते-लड़ते कटीले तारों में फंस गईं जिससे वो गम्भीर रूप से घायल हो गई|” एक सप्ताह लगातार डॉक्टर को बुलाया गया रोज की फीस देनी पड़ती थी | पूरे छह महीने से मैं खुद सूती कपड़े से उनकी पट्टी करता हूं| अभी भी वो पूरी तरह से थी नहीं हुई है।” 

कानपुर देहात के देवीपुर गाँव के किसान रामबाबू (44 वर्ष ) का कहना है कि हम पुराने कपड़ों की पतली रस्सी बना लेते हैं कटीले तार नहीं लगाते और फसल के चारो तरफ लगा देते हैं। इससे हमारी फसल को जानवर नहीं चर पाते हैं और किसी को चोट भी नहीं लगती। 

बैरी दरियाव गाँव की विमला शर्मा (47 वर्ष) बताती हैं, “दो दिन पहले खुले में शौच के लिए जा रहे थे तार को फांदकर खेत में जाने की कोशिश की, जिससे तार हमारे पैरों में लग गया और खून निकलने लगा | हम चाहते हैं कि बाजार में इन कटीले तारों की बिक्री पर रोक लगा दी जाए, जिससे किसान इसे खरीद न सकें और लोग सुरक्षित रह सकें।” 

स्वयं छात्र पत्रकार

उमा शर्मा 

प्रखर प्रतिभा इन्टर कालेज,बैरी दरियाव

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क 

 

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