नवरात्र में दारोगाओं को मिली अच्छी खबर

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नवरात्र में दारोगाओं को मिली अच्छी खबर

इलाहाबाद। नवरात्र के शुरू होते ही दारोगा बनने की राह तक रहे युवकों को राहत की खबर मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सब इंस्पेक्टरों की भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है।

हाईकोर्ट ने सोमवार को 3784 चयनित दारोगा को ट्रेनिंग पर भेजने का लगाई रोक को हटा ली  है। हालांकि, इसमें क्षैतिज आरक्षण का लाभ लेकर चयनित हुए 315 दरोगा को इसका लाभ नहीं मिलेगा। हाईकोर्ट जस्टिस बी अमित स्थालेकर ने आशीष और कई अन्य याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाईं करते हुए यह फैसला सुनाया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत मिलने के बाद इस पर रोक लगाई थी। इस मामले में सरकार का पक्ष रखने के लिए खुद भर्ती बोर्ड के चेयरमैन वीके गुप्ता अदालत में हाजिर हुए और उन्होंने खुद ही बहस भी की, लेकिन अदालत उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई थी। दारोगा भर्ती में क्षैतिज आरक्षण गलत तरीके से लागू करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि महिलाओं, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाला आरक्षण सामान्य कोटे की सीटों पर दे दिया गया। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए पूर्व में चयनित सभी दारोगा की ट्रेनिंग पर रोक लगा दी थीजिसे सोमवार को हाइकोर्ट ने हटा ली। अदालत ने इस भर्ती से जुड़े सारे रिकॉर्ड के सभी पहलुओं को भी देखा। साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों को देखने के बाद भर्ती बोर्ड के चेयरमैन और सरकारी पक्ष के वकीलों की दलीलों पर सवाल उठाये गए।

दारोगा के चार हजार पदों पर होने वाली भर्ती के अंतिम नतीजों को इलाहाबाद हाईकोर्ट एक बार पहले भी रद्द कर चुका है। हाईकोर्ट के आदेश पर भर्ती बोर्ड ने 800 से ज्यादा लोगों को बाहर कर नई मेरिट लिस्ट जारी की थी। कई असफल अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया गया कि ओबीसी वर्ग के तमाम लोगों को भी मनमाने तरीके से जनरल कैटेगरी में नियुक्त कर लिया गया है।

फैसले से अभ्यर्थी काफी खुश हैं। मूलतः अंबेडकर नगर के अजय शुक्ला (25) जो अभी सीतापुर में सहायक अध्यापक की ट्रेनिंग कर रहे है। उन्होंने इलाहाबाद में  में रह कर की दारोगा भर्ती की तैयारी की थी। अजय बताते हैं, अदालत के इस फैसले से सामान्य वर्ग के छात्रों को लाभ मिलेगा। अब मैं सहायक अध्यापक की जगह दरोगा की नौकरी करूंगा।"

अभ्यर्थियों ने किया था परीक्षा में गलत व्यहार .

उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा की सीधी भर्ती के चार हजार से ज्यादा पदों के लिए विज्ञापन साल 2011 में निकाले गए थे। दो साल तक अदालत की रोक के बाद भर्ती की प्रक्रिया पिछले साल शुरू हुई। फिजिकल टेस्ट के बाद होने वाली लिखित परीक्षा की आंसर शीट में व्हाइटनर और ब्लेड का इस्तेमाल करने पर पाबंदी थी। इसके बावजूद तमाम अभ्यर्थियों ने व्हाइटनर और ब्लेड के इस्तेमाल किया।

 

सरकार ने किये थे नियम में बदलाव

यूपी सरकार ने बाद में नियम बदलकर व्हाइटनर और ब्लेड का इस्तेमाल करने वालों की कॉपियां भी जांची और उन्हें फाइनल लिस्ट में शामिल कर लिया। बाद में हाईकोर्ट ने नतीजों को रद्द कर दिया और व्हाइटनर व ब्लेड का इस्तेमाल करने वाले 800 से ज्यादा लोगों को बाहर कर नई मेरिट लिस्ट जारी करने को कहा था।

रिपोर्टर - आकाश द्विवेदी 

 

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