पर्यावरण को जहरीला कर रही आतिशबाजी
गाँव कनेक्शन 5 Nov 2015 5:30 AM GMT
एटा। दीपावली आने से पहले ही पटाखों की आवाज सुनाई देने लगती है। खुशियां मनाने के लिए पटाखों को फोड़ा तो जाता है लेकिन इन पटाखों से होने वाला प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसके कारण पर्यावरण लगातार कमजोर होता जा रहा है।
बदलते दौर में समाज का एक बड़ा तबका त्योहार पर पटाखों को फोडऩे में ही खासी दिलचस्पी लेता है। स्थिति यह है कि त्योहार पर ध्वनि व वायु प्रदूषण में तेजी से इजाफा होता है। इसका पर्यावरण के अलावा जनस्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण की बात की जाए तो पटाखों की आवाज आकाश छूती नजर आती है। स्थिति यह है कि हर साल नए-नए तेज आवाज के बम और पटाखे ध्वनि प्रदूषण में इजाफा करते हैं। अधिकांश पटाखे 125 से 200 डेसिवल की आवाज में आ रहे हैं, जबकि मानक 80 डेसिवल है। 80 डेसिवल का एक्सपोजर साधारण आदमी सिर्फ आठ घंटे ही बर्दाश्त कर सकता है। इससे अधिक समय तक इस एक्सपोजर में रहने पर कानों की श्रवण शक्ति प्रभावित होती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण की भी स्थिति यह है कि सल्फर डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड के अलावा संस्पेडेड पार्टीकल्स ऑफ मैटर की मात्रा भी कई गुना बढ़ती है जो पर्यावरण के लिए घातक है।
कुछ इस तरह बढ़ रहा है ध्वनि प्रदूषण
वर्ष प्रदूषण की इकाई
2012 70 से 76 डेसिवल
2013 75 से 87 डेसिवल
2014 80 से 92 डेसिवल
वायु प्रदूषण की स्थिति (माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर)
वर्ष पीएम एसओ एनओ
2013 87 36 41
2014 93 38 44
(आंकड़े अलीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए हैं।)
120 माइक्रोग्राम है मानक
रसायन विज्ञान के प्रवक्ता अश्वनी कुमार जैन बताते हैं, ''सस्पेंडेड पार्टीकल्स, सल्फर डाइ ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड की वातावरण में उपलब्धता 120 माइक्रोग्राम होनी चाहिए। इससे अधिक की स्थिति प्रदूषण और इसके विपरीत असर को स्पष्ट करती है।"
स्वास्थ्य को है खतरा
अधिकांश पटाखे 115 डेसिवल से अधिक आवाज में आ रहे हैं। इसके लिए कानों पर पैड लगाना बहुत जरूरी है। इस तेज आवाज से कान का पर्दा फट सकता है। कान की नस फट सकती है और इसका कोई इलाज नहीं है। इसके साथ ही आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं अस्थमा, ब्रेन हेमरेज और त्वचा संबंधी बीमारियां पैदा करता है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राजीव कुलश्रेष्ठ बताते है, ''पर्यावरण में वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। इससे स्वास्थ्य को खतरा है। पटाखों की आवाज से बहरेपन की समस्या हो सकती है। वहीं धुएं से एलर्जी और अस्थमा की समस्या हो सकती है। इसलिए इससे परहेज किया जाए।"
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