पशुओं के खून और पेशाब की जांच कराना है मुश्किल

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पशुओं के खून और पेशाब की जांच कराना है मुश्किलदिति बाजपेई, गाँव कनेक्शन, खून की जांच

बाराबंकी। कभी-कभी पशुओं में घातक बीमारियों को जानने के लिए उनके खून की और पेशाब की जांच होती है पर उसकी जांच की रिपोर्ट पाने के लिए पशुपालकों को बहुत समय तक इंतजार करना पड़ता है। इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी होता है। 

पिछले वर्ष यशवंत कुमार (30 वर्ष) की एक भैंस ने बच्चा दिया था, जिसके बाद उसको खूनी पेशाब शुरू हो गई थी। जब तक जांच की रिपोर्ट आती तब तक उनके पशु की मृत्यु हो गई। यशवंत बताते हैं, ''हमारे जिले में पेशाब की जांच के लिए कोई सुविधा नहीं है जांच के लिए हमने सैंपल को फैजाबाद भेजा था पर रिपोर्ट को आने में काफी समय लग गया।" यशवंत बाराबंकी जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में निंदूरा ब्लॉक के बिसैन गाँव में रहते है। उनके पास दस भैंसें हैं। 

 वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में कुल दस पशु रोग निदान प्रयोगशाला है। इन प्रयोगशाला में प्रोटोजुआ जनित बीमारी (सर्रा, बबेसिओसिस) और आन्तरिक परजीवी (पेट के कीड़े, जुएं, चिचड़ी) जैसी बीमारियों का पता लगाने के लिए खून व पेशाब की जांच कराई जाती है। खून की जांच के लिए तीन रुपए और पेशाब की जांच के लिए दस रुपए का खर्चा आता है। 

बिसैन के रामदयाल (43 वर्ष) बताते हैं,''गाँव में कई ऐसे लोग है जिन्होंने पशुओं के खून की जांच प्राइवेट में कराई है क्योंकि वहां 24 घंटे में रिपोर्ट असानी से मिल जाती है।" पशुओं की जांच कराने के लिए कई पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है। निदूरा ब्लॉक के डिंगरी गाँव के सुरेश सिंह बताते हैं, ''हमको जो पता ही नहीं है कि किस बीमारी में पशुओं की जांच कराई जाती है। डॉक्टर अगर बोलते हैं तो वो खुद ही जांच के लिए भेज देते हैं।"

पशु रोग नियंंत्रण और प्रक्षेत्र के निदेशक डॉ. एपी सिंह बताते हैं, ''अभी जो प्रयोगशाला है वो दस मंडलों में है जिससे लोगों को जांच में कराने में दिक्कत आती है और रोग को पहचानने में भी काफी देरी हो जाती है। इसी समस्या को देखते हुए हर जिले में प्रयोगशाला का निर्माण किया जाएगा ताकि बीमारी का सही पता लगाकर उनका इलाज किया जा सकेगा। इससें पशुपालकों को काफी आसानी होगी। जैसे ही बजट आएगा प्रयोगशाला बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।" प्रयोगशाला में आने वाले सैंपलों के बारे में सिंह बताते हैं,''पूरे साल में लगभग खून और पेशाब की जांच मिलाकर 600 से 700 सैंपल आते है, जिनकी जांच कराई जाती है।"

हाल ही पशुपालकों को पशुओं की जांच के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े, इसके लिए 65 जिलों में पशुओं की जांच के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित होने जा रही हैं, जिसके लिए कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीण कुमार ने पशुधन विकास विभाग के 26.86 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन प्रयोगशालाओं को पशु अस्पतालों में खोला जाएगा। प्रत्येक प्रयोगशाला पर 41.33 लाख रुपए की लागत आएगी। 

 

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