राजधानी में बंदरों-कुत्तों का आतंक

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राजधानी में बंदरों-कुत्तों का आतंकगाँव कनेक्शन

लखनऊ। राजधानी के विभिन्न इलाकों में लोग बंदरों के आतंक से परेशान हो चुके हैं। रोड पर सामान लेकर जाना उनके लिए खासा मुसीबत बन गया है क्योंकि बंदर उनके हाथों से झपट्टा मारकर सामान खींच लेते हैं और अगर आपने जरा सा उन्हें भगाने की कोशिश की तो वो काटने में जरा भी गुरेज नहीं करते।

ऐसा ही कुछ हुआ चौपटियां निवासी अनूप श्रीवास्तव के साथ। अनूप बताते हैं, “मैं शाम को बाहर सब्जी लेने जा रहा था। मैंने देखा कि एक बच्चे को बन्दर दौड़ा रहा है, इसलिए मैं मदद के लिए दौड़ा तो बंदरों ने मुझे ही काट लिया और सब्जी भी छीनकर भाग गए। नगर निगम में इसकी शिकायत भी की लेकिन नतीजा सिफर रहा।

हर दिन बन्दर और कुत्तों के काटने के 250 मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने बलरामपुर अस्पताल आते हैं। इनमें से सहादतगंज, अमीनाबाद, हाता सितारा बेगम, राजाबाजार और कैसरबाग के पीड़ित सबसे अधिक हैं। यहां की फार्मासिस्ट संगीता वर्मा का कहना है कि बन्दरों और कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि रोजाना यहां दो से ढाई सौ पीड़ित आते हैं। 

बलरामपुर के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. पीएस त्रिपाठी और डॉ. आरएन बताते हैं, “बन्दरों के काटने से पीड़ित की मौत भी हो सकती है, अगर वक्त पर इन्जेक्शन न लगवाए जाएं। चूंकि बन्दर हर वक्त उछल कूद करता रहता है इसलिए पता नहीं चलता है कि वह पागल है या नहीं। हालांकि पिछले दो वर्षों से कोई भी केस बन्दर काटने से मरने का नहीं आया है। 

रिपोर्टर - दरख्शां कदीर सिद्दीकी

 

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