यूपी में कोरोना के 40,000 से अधिक एक्टिव मामले, फिर भी बी.एड. प्रवेश परीक्षा कराने पर अड़ा प्रशासन
इस परीक्षा में चार लाख 31 हजार से अधिक छात्रों को सम्मिलित होना है। छात्रों का कहना है कि एक तो कोरोना महामारी और लॉकडाउन-अनलॉक की इस स्थिति में इसमें शामिल होना ही बहुत मुश्किल है और अगर शामिल होते हैं तो कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा क्योंकि परीक्षा 6 घंटे लंबी है।
Daya Sagar 6 Aug 2020 1:39 PM GMT
लखनऊ। देश और प्रदेश में कोराना महामारी रोज नए-नए रिकॉर्ड बना रही है। पूरे देश में कोरोना मरीजों की संख्य़ा 18 लाख से ऊपर पहुंच गई है और अब रोज 50 हजार से अधिक नए मरीज सामने आ रहे हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भी कोरोना को लेकर हालत गंभीर हो चली है और यहां भी अब 4500 से अधिक मरीज रोज संक्रमित पाए जा रहे हैं, जबकि एक्टिव मरीजों की संख्या 40 हजार से अधिक है। ऐसे में 9 अगस्त को प्रस्तावित बी.एड. प्रवेश परीक्षा का छात्र विरोध कर रहे हैं, जिसमें 4 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को शामिल होना है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब एक तरह से स्वास्थ्य आपातकालीन समय चल रहा है, उस समय शासन द्वारा प्रवेश परीक्षा कराया जाना समझ से परे है। इस परीक्षा के लिए एक साथ 4 लाख से अधिक लोग प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले में और एक हिस्से से दूसरे हिस्से की यात्रा करेंगे, ऐसे में किसी एक के भी संक्रमित होने से सैकड़ों लोग संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इसलिए अभ्यर्थियों की मांग है कि इन परिस्थितियों में यह परीक्षा स्थगित की जाए और हालात थोड़ा और बेहतर होने पर ही परीक्षा की तिथि निर्धारित की जाए। कई अभ्यर्थी इस साल मेरिट के आधार पर ही एडमिशन लेने की मांग कर रहे हैं।
पंकज कुमार (बदला हुआ नाम) का घर भदोही में पड़ता है, लेकिन उनका परीक्षा केंद्र उनके घर से 700 किलोमीटर दूर गौतम बुद्ध नगर में दिया गया है। जबकि उन्होंने बी.एड. प्रवेश परीक्षा का फॉर्म भरते वक्त परीक्षा केंद्र के कॉलम में पहला च्वाइस वाराणसी और दूसरा च्वाइस प्रयागराज भरा था। अब पंकज को समझ ही नहीं आ रहा कि वह इतनी दूर परीक्षा देने कैसे जाएंगे, जबकि पूरे प्रदेश में अनलॉक के बावजूद अभी भी लॉकडाउन जैसे हालात हैं। खासकर शनिवार और रविवार के दिन सरकारी लॉकडाउन घोषित है और पूरे प्रदेश में लॉकडाउन की तमाम कठोर शर्तें लागू रहती हैं।
वह कहते हैं, "एक तो कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हम अभ्यर्थी मानसिक रूप से किसी भी परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं, ऊपर से 700 किलोमीटर दूर स्थित परीक्षा केंद्र पर कैसे पहुंचे, यह भी एक बहुत बड़ा सवाल है।" वह कहते हैं कि कहने को तो ट्रेनें भी चल रही हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत ही सीमित है और अधिकतर ट्रेनों में 50 से अधिक का वेटिंग है।
एक विकल्प बस का है लेकिन भदोही से नोएडा तक की यात्रा में उन्हें कम से कम दो बार बस बदलनी होगी। इसके अलावा सरकारी बस की यात्रा लंबी, बोझिल और थकाऊ होती हैं, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना होने पर कोरोना संक्रमण का भी पूरा खतरा है। ऐसे में उनके लिए इस परीक्षा में बैठना लगभग असंभव है और वह परीक्षा छोड़ने का मूड बना चुके हैं। हालांकि उनके करियर और उनके परिवार के आर्थिक स्थिति के हिसाब से यह परीक्षा उनके लिए बहुत जरूरी थी और वह जल्द ही बी.एड. कर कोई नौकरी लेना चाहते हैं। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में वह एक साल ड्रॉप करने का मन बना चुके हैं।
कुछ ऐसी ही स्थिति प्रयागराज के प्रशांत शर्मा और देवेंद्र शुक्ला की है, जिनका परीक्षा केंद्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों कासगंज और कन्नौज में दिया गया है। दरअसल कई दूसरी परीक्षाओं (यूपीएससी, यूपीपीएससी) में कोविड की स्थिति को देखते हुए परीक्षा केंद्र बदलने का विकल्प आया था लेकिन यूपी बीएड की परीक्षा के लिए ऐसा कोई विकल्प नहीं आया। हां, कोविड के हालातों को देखते हुए इसे 16 जिलों की बजाय प्रदेश के 73 जिलों में विस्तारित करने का फैसला किया गया।
यूपी बी.एड. प्रवेश परीक्षा की समन्वयक और लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापक प्रोफेसर अमिता बाजपेई कहती हैं कि परीक्षार्थियों को कोविड के समय अधिक दिक्कत ना हो, इसलिए शासन ने इसे 16 जिलों की बजाय अब प्रदेश के 75 में से 73 जिलों में कराने का फैसला लिया है। परीक्षा केंद्रों के सवाल पर उन्होंने कहा कि अधिकतर अभ्यर्थियों को उनका पहली च्वाइस, नहीं हो सका है तो दूसरी या तीसरी च्वाइस देने की कोशिश की गई है। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि सभी के लिए ऐसा संभव नहीं था, इसलिए कुछ अभ्यर्थी ऐसे हो सकते हैं जिनको उनके च्वाइस का परीक्षा केंद्र ना मिला हो।
उन्होंने कहा कि कोविड को देखते हुए संपूर्ण परीक्षा केंद्र को सैनेटाइज किया जाएगा और इसके लिए अलग से प्रत्येक केंद्र को 10 हजार रूपये बजट देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए ही सीट प्लान निर्धारित की जाएंगी, ऐसा उन्होंने कहा। वहीं परीक्षार्थियों को सैनेटाइजर, पानी का बॉटल और रूमाल जैसे मूलभूत चीजें लाने की सलाह दी गई है। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि बी.एड. परीक्षा को देखते हुए इस सप्ताह की शनिवार और रविवार की लॉकडाउन में छूट दिया जाए और ढाबे, होटल, ट्रांसपोर्ट सुविधाओं को चलाया जाए ताकि परीक्षार्थी आसानी से परीक्षा केंद्र पहुंच सकें। आप अमिता बाजपेई की बातों को यहां सुन सकते हैं।
हालांकि कई परीथार्थी अमित बाजपेयी की बातों से संतुष्ट नहीं दिखें। उनके अनुसार, उन्हें ना सिर्फ कोरोना का डर है, बल्कि इस महामारी के समय में वह अपने घर से 300-700 किलोमीटर दूर कैसे जाएंगे, कहां रूकेंगे, क्या खाएंगे, इसकी भी चिंता है। मनीष सिंह नाम के एक अभ्यर्थी कहते हैं, "मैम जितनी आसानी से बता रही हैं कि डरने की जरूरत नहीं है, सबकी सुविधा का ख्याल रखा गया है। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। मेरे जानने में ऐसे कई छात्र हैं, जिनका सेंटर इटावा, ललितपुर, कन्नौज मिला है जबकि उनकी सेंटर प्राथमिकता प्रयागराज और नजदीकी जिले थे।"
"प्रयागराज से ललितपुर की दूरी लगभग 440 किलोमीटर से अधिक है। ठीक इसी तरह कन्नौज-इटावा भी 400 से अधिक किलोमीटर दूर हैं। ऐसे में आप बताएं कि अभ्यर्थी इस महामारी के समय में कहां रूकेंगे, कहां खाना खाएंगे? अगर 100-150 किलोमीटर की दूरी हो तो एक बार सोचा भी जा सकता था। जब लाखों बच्चें परीक्षा देने किसी तरह बस, आटो, टैक्सी पर लटक कर जाएंगे, ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेन्सिंग कैसे मेनटेन हो पाएगा, इसका जवाब कौन देगा। इसलिए सरकार से अनुरोध है कि वह अपनी इस आदेश पर पुनः विचार करें और जल्दबाजी से बचें," अमित आगे कहते हैं। कई अभ्यर्थियों ने कर्नाटक में हुए कर्नाटक कॉमन एंट्रेस टेस्ट (KCET) का भी हवाला दिया, जिसमें लगभग 60 अभ्यर्थी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।
https://t.co/Xu8iSjUBYo
— पाण्डेय खुशबू (बावरी ख़्वाहिश) 🇮🇳 (@0124Khush) July 31, 2020
Here is the view of KCET exams conducted no social distancing nothing.... Students' and their families' lives at risk 🙄🙄😥😥@PMOIndia @CMOfficeUP @nsui @nsui_prayagraj @UPGovt @MhfwGoUP#NoExamsInCovid19 #NoExamsInCovid #postponeupbedentrance pic.twitter.com/D8x9WVzsoK
इस संबंध में हाईकोर्ट में अधिवक्ता और समाजसेवी विमलेश निगम ने बी.एड. प्रवेश परीक्षा समिति सहित प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर परीक्षा रद्द करने या अभ्यर्थियों को नजदीकी परीक्षा केंद्र को एलॉट करने की मांग की है। गांव कनेक्शन से फोन पर बातचीत में विमलेश कहते हैं कि यह सिर्फ 4 लाख 31 हजार 904 परीक्षार्थियों का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश का मामला है। इन परीक्षार्थियों में लगभग 50 फीसदी महिला परीक्षार्थी हैं, जिनके साथ कोई ना कोई उनके परिवार का पुरूष भी उन्हें परीक्षा दिलाने ले जाएगा। इसके बाद ये अभ्यर्थी लौटकर अपने घर को ही आएंगे। ऐसी परिस्थिति में अगर एक परीक्षा केंद्र पर कोई एक संक्रमित होगा, तो संक्रमण चेन से सैकड़ों लोगों तक संक्रमण का खतरा पहुंच सकता है।
वह आगे कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि यह परीक्षा एक या दो घंटे का है। दो पालियों की यह परीक्षा कुल 6 घंटे में होनी है, इसके अलावा एक घंटे का ब्रेक भी दिया जाएगा। इस 7 घंटे के दौरान दूसरे शहरों से आए अभ्यर्थी कहां खाएंगे-पीएंगे, इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। अगर आस-पास कुछ दुकानें भी होंगी तो वहां भी भीड़ बढ़ेगा और सोशल डिस्टेंसिंग खत्म होगा। इसके अलावा इन 6 घंटों के दौरान अगर कोई एक भी व्यक्ति ऐसा हुआ जो संक्रमित हैं, तो पहले वह अपने कमरे के सभी लोगों को संक्रमित कर सकता है, इसके बाद यह संक्रमण यात्रा के दौरान अन्य लोगों में और फिर घर आने के बाद परिवार में भी फैलने का खतरा है। इसलिए आदर्श स्थिति यह है कि सरकार इस परीक्षा को कुछ समय के लिए टाल दें।"
विमलेश ने यह पत्र एक सप्ताह पूर्व लिखा था, जिसका उनके पास कोई जवाब नहीं आया है। शासन भी इस परीक्षा को कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध दिख रही है, इसलिए उसने बी.एड. प्रवेश पत्र वालों को लॉकडाउन के दौरान एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आने-जाने की छूट दे दी है। इस दौरान उनके लिए आवागमन के सरकारी और निजी साधन भी उपलब्ध रहेंगे, जैसा कि लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने मीडिया को बताया।
गांव कनेक्शन ने इस संबंध में यूपी बी.एड. प्रवेश परीक्षा की समन्वयक और प्रोफेसर अमिता बाजपेई से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन पूरी घंटी जाने के बाद भी उनसे संपर्क स्थापित नहीं हो सका।
यह भी पढ़ें- चार लाख रूपये सालाना फीस के खिलाफ उत्तराखंड के मेडिकल छात्रों का विरोध
More Stories