'हमें कुछ नहीं चाहिए बस गाँव से ये शराब का ठेका हट जाए'

नशे की लत से हर साल खत्म होती लाखों जिंदगियों को बचाने के लिए गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस) के साझा प्रयास से उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में 10 से 23 अक्टूबर के बीच नशा मुक्ति कार्यक्रम किये जाएंगे।

Neetu SinghNeetu Singh   10 Oct 2019 1:42 PM GMT

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हमें कुछ नहीं चाहिए बस गाँव से ये शराब का ठेका हट जाए

लखनऊ। नशा मुक्ति कार्यक्रम के दौरान भीड़ में बैठी रेखा देवी अपने देवर की मौत की पीड़ा को सबके सामने बयाँ करने से खुद को रोक नहीं पाईं। वो माइक पकड़ कर बोलीं, "हमारे देवर बहुत शराब पीते थे उनको सबने बहुत समझाया पर किसी की सुनी नहीं। दस दिन पहले वो नहीं रहे। उनके बीबी बच्चों को अब कौन देखेगा।"

ये दृश्य लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर बक्शी का तालाब ब्लॉक के कपासी गाँव में उस भीड़ का था जहाँ पर गाँव कनेक्शन फाउंडेशन और राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल डिफेंस) के साझा प्रयास से 10 अक्टूबर को नशा मुक्ति कार्यक्रम किया गया। नशे की लत से हर साल खत्म होती लाखों जिंदगियों को बचाने के लिए ये जागरूकता कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में 10 से 23 अक्टूबर के बीच किये जाएंगे। रेखा देवी उस गाँव की पहली महिला नहीं थीं जिनकी ये तकलीफ हो बल्कि उस गाँव में रहने वाले 75 फीसदी परिवारों की यही समस्या थी। पिछले चार वर्षों में इस गाँव में 8-10 लोगों की मौत नशे की वजह से हो गयी थी। रेखा ने उम्मीद के साथ कहा, "हमें कुछ नहीं चाहिए बस गाँव से ये शराब का ठेका हट जाए हमारी सारी मुसीबत खत्म हो जायेगी।"

नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक किया गया

इस नशामुक्त कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक के जरिए ग्रामीणों को ये दिखाया गया कि कैसे बच्चे नशे की शुरुआत मीठी सुपाड़ी से करते हैं और फिर धीरे-धीरे दूसरे कई नशे करने लगते हैं। एक समय ऐसा आता है जब वो इन चीजों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाते हैं। एक समय ऐसा आता है जब उनकी इससे मौत हो जाती हैं। इस नाटक के कुछ दृश्यों में लोग मुस्कुरा रहे थे तो कुछ में खामोश थे। नाटक के समापन के दौरान पैंसठ वर्षीय राधिका कहती हैं, "मेरा बेटा बहुत शराब पीता है, जब नशे में होता है तो बहु को मारता-पीटता है। उसकी गाली गलौज से नाती पढ़ नहीं पाता है। हम लोग तो ठेका बंद करवाने के धरने पर भी बैठे थे पर कुछ हुआ नहीं क्योंकि वो सरकारी ठेका है।"

कपासी गाँव से लगभग आधा किलोमीटर दूर शराब का ठेका है जिससे आस पास के 5-6 गांव प्रभावित हैं। पिछले सप्ताह इस गाँव की महिला ग्राम प्रधान समेत 60-70 महिलाओं ने इस शराब ठेके पर धरना रखकर इसको बंद कराने की मांग की थी लेकिन कुछ हुआ नहीं। धरने के बाद से इस ठेके के खुलने और बंद होने का समय जरुर फिक्स हो गया है।

ग्राम प्रधान सुमन राव शराब ठेका को बंद करने की मांग करते हुए

ग्राम प्रधान सुमन राव कहती हैं, "पहली बार हमारे गाँव में इस तरह का कोई प्रोग्राम हुआ है जिसमें नशे को लेकर बात हुई है। इससे नशा बंद तो नहीं होगा कमसेकम लोग बातचीत करना तो शुरू करेंगे। पिछले चार सालों में नशा करने से हमारे यहाँ 8-10 लोग मर गये हैं। अगर ये शराब ठेका बंद हो जाए तो हमें लगता है पीने वालों की संख्या कम हो सकती है।" उन्होंने कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से गुजारिश भी की कि वो लोग नशा करना बंद कर दें और अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें।

गाँव की आंगनबाड़ी कार्यकत्री रमा देवी कहती हैं, "ये शराब 20 साल से ज्यादा पुराना है इसकी वजह से हमारे गाँव के लोग सुबह सोकर उठते हैं और पीना शुरू कर देते हैं। नजदीक होने की वजह से छोटे बच्चों को लाने के लिए भेज देते हैं। आठवीं के बाद तो यहाँ छोटे-छोटे लड़के पीने लगते हैं। गाँव में 75 फीसदी लोग शराब पीकर मारपीट करते हैं।" वो कहती हैं, "इस कार्यक्रम से हम लोग बहुत खुश हैं कमसेकम गाँव के लोगों को पता तो चला कि नशा करना उनके लिए कितना घातक है। सारी मुसीबत की जड़ तो ये ठेका ही है अगर ये बंद हो जाए तो छोटे बच्चों का पीना बंद हो जाए।"

नशा मुक्ति का ये जागरूकता कार्यक्रम 10 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक यूपी के लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, उन्नाव, कन्नौज, अलीगढ़, एटा, हरदोई, कानपुर और रायबरेली जिलों में किये जाएंगे। जिसमें ग्रामीणों को नशामुक्त होने के लिए नशा मुक्ति सलाहकार, नुक्कड़ नाटक, जादूगर और वीडियो के माध्यम से जागरूक किया जाएगा।

  

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