कृषि विशेषज्ञों ने बजट को बताया निराशाजनक

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लखनऊ। कृषि विशेषज्ञों और किसान नेताओं ने बजट को किसानों के लिए निराशाजनक बताया है। इन्होंने इस बजट को ना सिर्फ किसानें के लिए निराशाजनक बल्कि परेशानी भरा बताया है। इन किसान नेताओं का कहना है कि इस बजट में सूखे के लिए कोई बात नहीं की गई है जबकि पूरा देश सूखे से जूझ रहा है।

ना खाता ना बही, जो वित्त मंत्री ने कहा वही सही: योगेंद्र यादव

स्वराज पार्टी के अध्यक्ष और किसान नेता योगेंद्र यादव ने दिलचस्प करार दिया। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा बजट है जिसमें इस बात को कोई भी जिक्र नहीं कि किस मद में कितना खर्च हुआ। उन्होंने आगे कहा कि इस बजट में जीरो बजट फार्मिंग की बात की गई है लेकिन यह जीरो बजट स्पीच है क्योंकि इसमें ना कहीं सूखे का जिक्र है और ना ही किसानों की आय दोगुना करने की बात है।

किसानों को कोई राहत नहीं चाहिए, उन्हें सिर्फ फसलों के सही दाम चाहिएः बीएम सिंह, किसान नेता

किसान नेता बीएम सिंह ने कहा है कि किसानों को कोई लोन से राहत नहीं चाहिए बल्कि उन्हें फसलों के सिर्फ वाजिब दाम चाहिए। इस बजट में किसानों के लिए लोनिंग को रिस्ट्रक्चर करने की बात की गई है ना कि फसलों का सही दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलने की बात। इसके अलावा पूरा देश सूखे से जूझ रहा है लेकिन इस बजट में सूखे से राहत की भी कहीं बात नहीं की गई है। जीरो बजट खेती को जुमला बताते हुए बीएम सिंह ने कहा कि सरकार हमें समझा दे कि ये जीरो बजट में खेती कैसे की जाती है।

किसानों को बजट से उम्मीदें थी लेकिन हुए निराशः भारतीय किसान यूनियन

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि किसानों को उम्मीद थी कि बजट में किसानों की आत्म हत्याओं, फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद, मंडियों व भण्डारण की क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकार कदम उठाएगी, लेकिन बजट में इन मुद्दों को छुआ तक नहीं गया।

भाकियू ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि बजट से किसानों को काफी उम्मीदें थीं। किसानों को उम्मीद थी कि निर्मला सीतारमण द्वारा कृषि को आसान बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

"लेकिन यह बजट किसानों की आशाओं के विपरीत है। बजट में किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है। देश में किसानों को उम्मीद थी कि बजट में किसानों की आत्महत्याओं, फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद, मंडियों और भण्डारण की क्षमता को बढ़ाना, कृषि ऋण को दीर्घकालिक और ब्याज मुक्त किए जाने के लिए सरकार कदम उठाएगी। सरकार ने बजट में इन मुद्दों को छुआ तक नहीं। यह बजट देश को गुमराह करने वाला है। ऐसे बजट से कृषि और किसानों का कल्याण सम्भव नहीं है। यह बजट गांव और किसान के हितों के विरूद्ध है। बजट से किसानों में हताशा व निराशा है।", भाकियू ने प्रेस नोट में कहा।

बजट ने किया निराश-

वहीं मध्य प्रदेश के किसान नेता केदार सिरोही ने कहा कि इस बजट से देश के गांव, गरीब और किसान को बहुत ज्यदा उम्मीद थी। पहले बजट भाषण में आंकड़ो पर आधारित घोषणाएं की जाती थी। लेकिन मोदी सरकार की कृषि के प्रति सकारात्मक सोच नहीं होने के कारण इस बार गांव-किसान को वैसी तवज्जो नहीं मिली।

"किसानों की आमदनी बढ़ाने, उपज का उचित दाम दिलाने, खेती को फायदे का सौदा बनाने, फसल बीमा, ग्रामीण निवेश, बेरोजगारी, कृषि आदान की गुणवत्ता, सिंचाई, किसान आत्महत्या रूकने, ग्रामीण उद्योग बढाने, पलायन रोकने, वेयरहाउस प्रबंधन, MSP पर खरीदी और सूखे के मंडराते संकट से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कोई कारगर उपाय या सोच इस बजट में नहीं दिखाई दी है", केदार सिरोही आगे कहते हैं।


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