गाँधी जयंती विशेष: अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध में आप भी शामिल हो जाइए

प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री डॉ सुभाष पालेकर गाँधी जयंती के मौके पर उस अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध के बारे में बता रहे हैं, जिसकी शुरुआत महात्मा गाँधी ने बरसों पहले कर दी थी।

Dr Subhash PalekarDr Subhash Palekar   2 Oct 2023 9:37 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गाँधी जयंती विशेष: अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध में आप भी शामिल हो जाइए

आज दुनिया के एकमात्र अद्वितीय अलौकिक महान रचनात्मक सृजनात्मक व्यक्तित्व महात्मा गांधी जी का स्मरण करते हुए विषय की शुरुआत करते हैं।‌

अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध? कैसे संभव है? आप स्वयं से पूछने लगे होंगे कि अस्त्र शस्त्र के बिना अहिंसक महायुद्ध कैसे लड़ा जा सकता है? केवल असंभव!

मेरे विषय का शीर्षक पढ़कर आपके सदा चंचल मन में हिमालय से भी ऊँचा सवाल अपने हाथ में आशंका की बंदूक लेकर खड़ा होगा। तुरंत आपकी सदा हिंसा के निरर्थक विश्लेषण में लगी रहने वाली आतंकी बुद्धि इस विषय के निरर्थक समीक्षा में लग जाएगी और मन बुद्धि के इस निरर्थक कसरत रुपी बौद्धिक आतंकवाद को देखते देखते आपकी अंतरात्मा आप से और दूर जाती हुई दिखाई देगी।

लेकिन, मैंने विषय को सोच-समझकर लिखा है, क्योंकि मैं मेरा मन बुद्धि का गुलाम नहीं है। हाँ, अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध। इसके साक्षात प्रमाण हैं महात्मा गांधी, जिन्होंने मानवी सभ्यता और इतिहास में पहली बार जिसके साम्राज्य पर सूरज ढलता नहीं था उस ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरोध में वे अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक सत्याग्रह रुपी महायुद्ध लड़े और अपने व्यक्तिगत रूप में जीत गए।

लेकिन पाश्चात्य आर्थिक साम्राज्यवाद के विरोध में लड़ रहे गांधी वाद , महात्मा कार्ल मार्क्स का मार्क्सवाद और महान वैज्ञानिक डॉ अल्बर्ट आइंस्टीन का सापेक्षता वाद उस मानव-निर्मित शोषणकारी अवैज्ञानिक नास्तिक पाश्चात्य आर्थिक साम्राज्यवाद को हराने में अभी तक असफल रहा है, इस वास्तविकता को हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा।

ऐसा क्यों हुआ? क्यों कि इन तीनों महात्माओं का लड़ा गया युद्ध बाहरी गलत अदृश्य शत्रु के विरोध में था। असली युद्ध अन्दर का है, बाहरी नहीं है।


साथियों और बहनों, वास्तव में यह हमारा अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध किसी सरकार के, किसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के, किसी गैर सरकारी संगठन,सामाजिक संगठन,आध्यात्मिक संगठन,किसानों के संगठन, जाति पंथ धर्म के संगठन, राजनीतिक दल,विशेष विचारधारा के खिलाफ या किसी व्यक्ति विशेष के विरोध में नहीं है।

असल में हमारा यह महायुद्ध अज्ञान के, अविज्ञान के, असत्य के, अधर्म के, हिंसा के विरोध में है। ये हमारे मुख्य वास्तविक शत्रु हैं। लेकिन, मजे की बात है कि इन अज्ञान अविज्ञान, असत्य, हिंसा और अधर्म रुपी शत्रुओं को स्वयं का अस्तित्व ही नहीं है। वे अस्तित्व विहीन है।

अज्ञान यानी ज्ञान को भगाकर निर्माण हुई अदृश्य अवस्था, अविज्ञान यानी विज्ञान को जबरन भगाकर निर्माण होने वाली अदृश्य अवस्था, असत्य यानी सत्य को भगाकर निर्माण होने वाली अदृश्य अवस्था, हिंसा यानी अहिंसा को भगाकर निर्माण होने वाली अदृश्य अवस्था, और अधर्म यानी ईश्वर निर्मित कायदे कानून को नकारते हुए असली ईश्वर निर्मित धर्म को भगाकर निर्माण होने वाली ईश्वर विरोधी कर्म कांड रुपी अदृश्य अवस्था, अंधेरा यानी प्रकाश को भगाकर निर्माण होने वाली अदृश्य अवस्था।

अर्थात, अगर हमारे सत असत विवेक मन-मस्तिष्क बुद्धि को गुलाम बनाकर हमें ईश्वर से दूर ले जाने वाले अज्ञान, अविज्ञान, असत्य, हिंसा और अधर्म को भगाना है तो हमें सिर्फ एक ही काम करना है, दोबारा ज्ञान, विज्ञान, सत्य, अहिंसा, धर्म एवं प्रकाश और जैवविविधता को पुनर्स्थापित करना है।

यह करने के लिए किसी देशी विदेशी फंडिंग एजेंसी के या किसी सरकार के या किसी उद्योग समूह के सामाजिक दायित्व निधि के रूप में मिलने वाली आर्थिक मदद की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है। क्योंकि हमारा यह महायुद्ध किसी भी बाहरी दृश्यमान शत्रु के विरोध में नहीं है, हमारा यह महायुद्ध हमारे मन में छुपकर बैठे हमारे खरे सही शत्रु होने वाले काम, मोह, लोभ, मद, मत्सर और तृष्णा के विरोध में है, यानी हमारा यह महायुद्ध अन्दर का है,बाहर का नहीं। बाहर का महायुद्ध अस्त्र शस्त्र से जीता जा सकता है, या हारा जा सकता है। लेकिन मन बुद्धि में चल रहे इस अंदर के अदृश्य महायुद्ध को किसी बाहरी मानव द्वारा निर्मित अस्त्र, शस्त्र से नहीं लड़ सकते।

यह सर्वथा असम्भव है। इस अदृश्य, अहिंसक, संवैधानिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक महायुद्ध को जीतने के लिए एक अमोघ महा अस्त्र हमारे पास है,जिसका नाम है आत्मनिर्भरता,आध्यात्म, आध्यात्मिक अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक शोषण मुक्त जीवन शैली और आध्यात्मिक कृषि।

सुभाष पालेकर कृषि जन आंदोलन की तरफ से इसका हम लोगों में जाकर शिविरों में, मेरी लिखी सभी भाषाओं की किताबों के द्वारा प्रचार करते हैं। उन्हें समझाते हैं और हमारे सिद्ध प्रारुप यानी मॉडल भी प्रत्यक्ष में दिखाते हैं।

यह अहिंसक, संवैधानिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक, महायुद्ध के विरोध में कोई भी आम आदमी घर बैठे अपनी नौकरी या व्यवसाय या कार्य आगे जारी रखते हुए अहिंसक लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं, इसके लिए उनकी नौकरी छोड़ने की यां अपना व्यवसाय बंद करने की या अपना चल रहा कार्य बंद करने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है।‌

हमारे द्वारा चलाए जा रहे इस अहिंसक, संवैधानिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक महायुद्ध के विरोध में कैसे अहिंसक लड़े और जीत हासिल करें इस को सुनने का, जानने का और प्रत्यक्ष देखने का सुअवसर आपको मेरे आगामी जनवरी या फरवरी 2024 में श्री क्षेत्र शिरडी साईं बाबा में होने वाले प्रस्तावित आठ दिन के शिविर और शिवार फेरी में मिलने वाला है।

तीन दिवसीय शिवार फेरी यानी सुभाष पालेकर कृषि करने वाले आदर्श किसानों के खेत में जाकर उन अद्भुत प्रारुप (मॉडल) को अपनी आँखों से प्रत्यक्ष देखने परखने का मौका मिलेगा। इस कृषि पर्यटन में आपको हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, भाषाओं में जानकारी देने का प्रबंध हम करेंगे।‌

#SubhashPalekar #Mahatma Gandhi 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.