एमजीके मेनन: अपने पीछे शून्यता छोड़ने वाले एक असाधारण वैज्ञानिक 

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एमजीके मेनन: अपने पीछे शून्यता छोड़ने वाले एक असाधारण वैज्ञानिक मेनन को उच्च उर्जा भौतिकी, विशेषकर कॉस्मिक किरणों, म्यूऑन और वायुमंडलीय न्यूट्रिनोज पर उनके कार्यों के लिए जाना जाता है।

पल्लव बाग्ला

नई दिल्ली (भाषा)। भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष, पर्यावरण और बायोटेक्नोलॉजी जैसे विविध क्षेत्रों में लगभग समान रुप से वृहद् योगदान देने वाले प्रोफेसर ममबिलीकलातिल गोविंद कुमार मेनन उर्फ एमजीके मेनन एक दुर्लभ शख्सियत थे और उनके जैसे वैज्ञानिक बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। 88 की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले मेनन ने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है, जिन्हें हमेशा याद किया जाएगा।

मेनन को उच्च उर्जा भौतिकी, विशेषकर कॉस्मिक किरणों, म्यूऑन और वायुमंडलीय न्यूट्रिनोज पर उनके कार्यों के लिए जाना जाता है। अंग्रेजी भाषा पर जबरदस्त पकड़ और सीधी बात कहने की प्रवृत्ति उन्हें एक स्नेही और सख्तमिजाज दोनों तरह की शख्सियत बनाती थी। बतौर विज्ञान पत्रकार मैं उन्हें व्यक्तिगत रुप से 25 वर्षों से जानता हूं और वह हमेशा विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधी नीति पर बात करने के लिए मौजूद रहते और कभी भी तीक्ष्ण विचार रखने में संकोच नहीं करते थे।

अपने लंबे कॅरियर में मेनन की मध्यमार्ग नीति ने केरल में ‘साइलेंट वैली' के उष्णकटिबंधीय वर्षावन को बचाया जो राज्य सरकार की एक पनबिजली बांध परियोजना निर्माण के हठ के चलते विलुप्त होने के कगार पर था। इस कदम ने उन्हें पर्यावरणविदों का चहेता बना दिया।

इस अनूठे पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने वाले एमजी के मेनन को श्रद्धांजलि देने के लिए जाने माने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन और अन्य ने ‘साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान' का नाम उनके नाम पर ‘एमजी के मेनन राष्ट्रीय उद्यान' रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है।

यह बहुत कम ही ज्ञात है कि एक प्रतिभावान वैज्ञानिक के अलावा मेनन को भारतीय विज्ञान में इलोक्ट्रॉनिक्स के विकास के प्रणेता के तौर पर माना जाता है। 1971 में जब इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग एक वृहद् मार्ग की ओर अभी अग्रसर ही हुआ था, उस वक्त मेनन इलेक्ट्रोनिक्स आयोग के अध्यक्ष थे।

1971-1978 तक उन्होंने इलेक्ट्रोनिक्स विभाग (डीओपी) के सचिव के तौर पर सेवा दी। भारत की गणना इलेक्ट्रोनिक्स उद्योग में हो इसी कोशिश में और ऐसा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने उस वक्त आईबीएम जैसी बडी वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विरोध भी किया। आज जिसे सूचना प्रौद्योगिकी कहा जाता है, कुछ लोग उन्हें इस दिशा में पहला बीज रोपण करने वाला भी मानते हैं।

बहरहाल, मेनन के अधिकतर मित्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के निदेशक के तौर पर 1966 से 11 वर्ष के उनके कार्यकाल को याद करते हैं। इस दौरान भारतीय विज्ञान के तथाकथित उद्गम स्थल टीआईएफआर को उन्होंने पोषित किया और वैश्विक मान्यता दिलाई। संस्थान की स्थापना करने वाले महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के असामयिक निधन के बाद मेनन ने सिर्फ 38 साल की उम्र में भारतीय विज्ञान के इस प्रभावशाली संस्थान की बागडोर संभाली।

मंगलुरु में 28 अगस्त 1928 को जन्मे मेनन के पिता जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे। पिता की नौकरी की स्थानांतरण की प्रवृत्ति की बदौलत उन्हें कई शहर देखने का मौका मिला। ‘करेंट साइंस' नामक उनकी जीवनी के अनुसार, ‘‘गोकू की प्रारंभिक शिक्षा कुर्नूल और कुड्डलोर में हुई थी। इसके बाद उनका परिवार जोधपुर चला गया और फिर 1942 में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा ली।''

इसके अनुसार, ‘‘1946 में आगरा विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की शिक्षा के बाद जोधपुर के जसवंत कॉलेज से उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में कॅरियर बनाने का विचार किया। उन्हें विज्ञान से बहुत प्रेम था और मौलिक अनुसंधान में गहरी प्रतिबद्धता की चिंगारी भरने वाले कोई और नहीं बल्कि नोबल पुरस्कार विजेता सी वी रमन थे।''

मेनन खुद उन्हें याद करते हुए कहते हैं, ‘‘मैं उनसे (रमन से) जोधपुर में तब मिला था जब मेरे पिता ने उन्हें भोजन पर आमंत्रित किया था, किशोर उम्र में उनके जैसे व्यक्ति से मुलाकात का अनुभव बेहद खास था। वह बेहद प्रसन्नचित्त और पूर्णत: केंद्रित थे। उन्होंने मेज को थपथपाते हुए कहा जीवन में मेरे लिए जो सबसे बडी चीज करने वाली होगी, वह विज्ञान है।'' रमन ने ही जोर दिया कि मेनन को भौतिकी में अनुसंधान करना चाहिए।

मेनन इसके बाद मेनन नोबल पुरस्कार विजेता सेसिल एफ पॉवेल के मार्गदर्शन में एलिमेंटरी पार्टिकल फिजिक्स में अपनी पीएचडी की पढ़ाई के लिए यूनीवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल चले गए। 1955 में भारत लौटने के बाद निश्चित तौर पर भाभा के कारण वह टीआईएफआर से जुड़े, जहां उन्होंने विशिष्ट ‘हाई अल्टीट्यूड बैलून' सुविधा का इस्तेमाल कर कॉस्मिक किरण कणों पर प्रयोग किया। प्राथमिक कणों की भौतिकी समझने की कोशिश में मेनन इसमें और गहरे तक रमते गए।

         

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