यहां जानिये हेपेटाइटिस की 'ए, बी, सी'

हेपेटाइटिस वायरस से होने वाली बीमारी है, जो पांच तरह के वायरस (ए, बी, सी, डी और ई) से फैलता है। इस बीमारी मे लीवर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो सकता है, और अगर समय पर इलाज ना हुआ तो मरीज़ की जान भी जा सकती है।

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यहां जानिये हेपेटाइटिस की ए, बी, सी

कई दिनों से हो रहे बुखार को सुकृति के घर वालो ने अनदेखा करते हुए उसे बगल के ही मेडिकल स्टोर से कुछ दवाईया ला कर दी, पर जब कई दिनों बाद भी बुखार नहीं उतरा तो हॉस्पिटल ले जाने पर यह पता चला की उसे हेपेटाइटिस-बी है।

बीमारी का पता चलते ही लखनऊ के महानगर में रहने वाली सुकृति (37 वर्ष) के साथ गैरो जैसा बरताव किया जाने लगा, उसे अपने ही घर में एक अगल कमरे में रखा गया जहा पर लोगों का आना जाना कम होता था। बात बस यही तक नहीं थी, अब तो हर रोज घर में एक नए तांत्रिक या बाबा का आना जाना भी शुरू हो गया था।

''अगर समय रहते पापा ने मुझे डॉक्टर को नहीं दिखाया होता तो बाबा और तांत्रिक के चक्कर में आ कर मुझे अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ता'', आज पूरी तरह स्वस्थ, सुकृति बताती है।

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) के गैस्ट्रो विभाग के डॉ अमित गोयल बताते हैं, ''हेपेटाइटिस वायरस से होने वाली बीमारी है, जो पांच तरह के वायरस (ए, बी, सी, डी और ई) से फैलता है। इस बीमारी मे लीवर बुरी तरह से छतिग्रस्त हो सकता है, और अगर समय पर इलाज ना हुआ तो मरीज़ की जान भी जा सकती है।"

हेपेटाइटिस पर सरकार की नई गाइड-लाइन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार हेपेटाइटिस की नई गाइडलाइन के अनुसार, दुनिया भर में इस बीमारी से हर साल करीब 13 लाख लोग संक्रमित हो रहे हैं। भारत में हर वर्ष इसकी वजह से करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो रही है।

पूरी दुनिया में 36 करोड़ से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस से ग्रसित हैं।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 36 करोड़ से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस के गंभीर वायरस से संक्रमित हैं। भारत में 4 करोड़ लोग इस वायरस के संक्रमण से घिरे हुए हैं। ये सभी हेपेटाइटिस बी के वायरस से इंफेक्टेड हैं।

हेपेटाइटिस ए

हेपेटाइटिस ए एक विषाणु जनित रोग है। इसमें लीवर की सूजन होती है जो विषाणु के कारण होती है। इसमें रोगी को काफ़ी चिड़चिड़ापन होता है। इसे विषाणुजनित (वाइरल) यकृतशोथ भी कहते हैं। यह बीमारी दूषित भोजन ग्रहण करने, दूषित जल और इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। इसके लक्षण प्रकट होने से पहले और बीमारी के प्रथम सप्ताह में अंडाणु तैयार होने के पंद्रह से पैंतालीस दिन के बीच रोगी व्यक्ति के मल से हेपेटाइटिस ए विषाणु फैलता है।

लक्षण

इसके खास लक्षण पीलिया रोग जैसे ही होते हैं। इसके अलावा थकावट, भूख न लगना, मितली, हल्का ज्वर, पीला या स्लेटी रंग का मल, पीले रंग का पेशाब एवं सारे शरीर में खुजली हो सकती है।

हेपेटाइटिस बी

हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के काऱण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो मनुष्य के साथ बंदरों की प्रजाति के लीवर को भी संक्रमित करती है, जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। विश्व की जनसंख्या के एक तिहाई लोग, दो अरब से अधिक, हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 35करोड़ इस वायरस के दीर्घकालिक वाहक के रूप शामिल हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस का संचरण संक्रमित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में जाने से होता है।

लक्षण

लीवर में सूजन और जलन, उल्टी, जो अन्ततः पीलिया और कभी-कभी मौत का कारण हो सकता है। दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी के कारण अन्तत: लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर हो जाता है।

हेपेटाइटिस सी

हेपेटाइटिस सी एक संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस सी वायरस एचसीवी (एचसीवी) की वजह से होता है और लीवर को प्रभावित करता है। इसका संक्रमण अक्सर स्पर्शोन्मुख होता है लेकिन एक बार होने पर दीर्घकालिक संक्रमण तेजी से लीवर के नुकसान और अधिक क्षतिग्रस्तता (सिरोसिस) की ओर बढ़ सकता है जो आमतौर पर कई वर्षों के बाद प्रकट होता है। कुछ मामलों में सिरोसिस से पीड़ित रोगियों में से कुछ को यकृत कैंसर हो सकता है या सिरोसिस की अन्य जटिलताएं जैसे कि लीवर कैंसर और जान को जोखिम में डालने वाली एसोफेजेल वराइसेस तथा गैस्ट्रिक वराइसेस विकसित हो सकती हैं।

लक्षण

तीव्र हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) के साथ होने वाले पहले 6 महीनों के संक्रमण को संदर्भित करता है। 60% से70% संक्रमित लोगों में तीव्र चरण के दौरान कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। रोगियों की एक अल्प संख्या तीव्र चरण के लक्षणों को महसूस करती है, वे आमतौर पर हल्के और साधारण होते हैं तथा हेपेटाइटिस सी का निदान करने में कभी कभार ही मदद करते हैं। तीव्र हेपेटाइटिस सी के संक्रमण में कम भूख लगना, थकान, पेट दर्द,पीलिया, खुजली और फ्लू जैसे लक्षण शामिल हैं।

हेपेटाइटिस डी

हेपेटाइटिस डी का विषाणु तभी होता है जब रोगी बी या सी का संक्रमण हो चुका हो। हेपेटाइटिस डी वायरस बी पर सवार रह सकते हैं। इसलिए जो लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित हो चुके हों, वे हेपेटाइटिस डी से भी संक्रमित हो सकते हैं।

लक्षण

थकान, उल्टी, हल्का बुखार, दस्त, गहरे रंग का मूत्र।

हेपेटाइटिस ई

हेपेटाइटिस ई एक जलजनित रोग है और इसके व्यापक प्रकोप का कारण दूषित पानी या भोजन की आपूर्ति है। प्रदूषित पानी इस महामारी को बढ़ा देता है और स्थानीय क्षेत्रों में छिटपुट मामलों के स्त्रोत कच्चे या अधपके शेलफिश को खाना होता है। इससे वायरस के फैलने की संभावना अधिक होती है। हालाकि अन्य देशों की तुलना में भारत के लोगों में हेपेटाइटिस ई न के बराबर होता है। बंदर, सूअर, गाय, भेड़, बकरी और चूहे इस संक्रमण के प्रति संवेदनशील हैं।

लक्षण

बहुत ज्यादा थकान, बिना कोशिश के वजन में कमी, मतली और भूख में कमी, लीवर में वृद्धि, पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, पसली के नीचे दर्द (जहां आपका लीवर है), पीली त्वचा (पीलिया), डार्क यूरीन, और मिट्टी के रंग का मल, मांसपेशियां में दर्द और बुखार शामिल है।

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