सिर्फ अस्थमा ही नहीं डायबिटीज भी दे रहा है वायु प्रदूषण: रिसर्च

वायु प्रदूषण महज फेफड़ों को नहीं बल्कि पूरी सेहत को चौपट कर रहा है। ये नतीजे अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुई एक रिसर्च के हैं।

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   1 July 2018 4:28 AM GMT

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सिर्फ अस्थमा ही नहीं डायबिटीज भी दे रहा है वायु प्रदूषण: रिसर्च

2016 में वायु प्रदूषण की वजह से दुनिया भर में डायबिटीज के 32 लाख नए मामले सामने आए। यह संख्या उस साल दुनिया में भर पाए गए डायबिटीज के नए मरीजों का 14 फीसदी थी। इसका मतलब है कि वायु प्रदूषण महज फेफड़ों को नहीं बल्कि पूरी सेहत को चौपट कर रहा है। ये नतीजे अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुई एक रिसर्च के हैं।

इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के जिस स्तर को सेफ माना उससे भी कम वायु प्रदूषण के माहौल में डायबिटीज का जोखिम पाया गया। स्टडी में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. जियाद अल अली का कहना है, "सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण और डायबिटीज में सीधा संबंध है। वायु प्रदूषण को जो सुरक्षित स्तर तय किया था, तमाम उद्योगों के प्रतिनिधि शिकायत करते थे कि ये बहुत सख्त हैंऔर इनमें ढिलाई की जाए। लेकिन हमारे पास सबूत हैं कि जिस स्तर के वायु प्रदूषण को निरापद कहा गया था उससे बहुत कम वायु प्रदूषण भी सेहत के लिए खतरनाक है।"



क्या होता है सूक्ष्मकण वायु प्रदूषण

धूल, धुएं, मिट्टी और गर्द के बहुत सूक्ष्म कण जब नमी के साथ मिल जाते हैं तो यह स्थिति सूक्ष्मकण वायु प्रदूषण कहलाती है। इनमें सबसे छोटा कण 2.5 माइक्रोमीटर का होता है। तुलना करें तो इंसान के बाल की मोटाई 70 माइक्रोमीटर होती है, मतलब यह बाल भी इन सूक्ष्म कणों से 30 गुना बड़ा होता है।

क्यों है खतरनाक

मेडिकल की भाषा में बात करें तो 10 माइक्रोमीटर से छोटी कोई भी चीज हमारे फेफड़ों में घुस सकती है, हमारे खून में मिलकर उसके साथ बह सकती है। इससे साफ है कि 2.5 माइक्रोमीटर आकार वाले सूक्ष्मकण हमारे तमाम अंगों में पहुंच चुके होंगे। इन्हीं की वजह से इन अंगों में सूजन आती है और इस तरह ये तमाम रोगों की वजह बनते हैं।

न्यू यॉर्क के माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. फिलिप लैंडरिगन का कहना है, "दस से पंद्रह साल पहले हम सोचते थे कि वायु प्रदूषण से निमोनिया, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस वगैरह होती हैँ लेकिन आज हम जानते हैं कि यह बहुत खतरनाक है और दिल के रोगों, फेफड़ों के कैंसर, किडनी के कैंसर वगैरह के लिए भी जिम्मेदार है।"

यह भी देखें: शहरों में बढ़ते अपराधों के पीछे कहीं वायु प्रदूषण तो जिम्मेदार नहीं है

डायबिटीज से क्या है रिश्ता

मोटापा, कसरत न करना और आनुवांशिकी को आमतौर पर डायबिटीज की मुख्य वजह माना जाता है। लेकिन इस स्टडी ने जाहिर कर दिया है कि डायबिटीज और वायु प्रदूषण का भी कनेक्शन है। इसमें पता चला है कि ये कण हमारे अग्नाशय में सूजन की वजह बनते हैं और इंसुलिन बनाने और उसके प्रबंधन को प्रभावित करते हैं।

इस स्टडी में अमेरिका के 17 लाख पूर्व सैनिकों को शामिल किया गया था। इसमें पाया गया कि अमेरिका की एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी या ईपीए द्वारा घोषित सुरक्षित सीमा से भी कम मात्रा में प्रदूषकों की मौजूदगी से 21 पर्सेंट पूर्व सैनिकों में डायबिटीज रोग हो गया।

ईपीए के हिसाब से प्रति घन मीटर हवा में 12 माइक्रोग्राम से कम प्रदूषकों की मौजूदगी सुरक्षित है लेकिन महज 5 से 10 माइक्रोग्राम प्रदूषकों के होने से डायबिटीज को बढ़ावा मिला।

इस रिपोर्ट के ये नतीजे बताते हैं कि भारत, अफगानिस्तान, पापुआ न्यू गिनी जैसे विकासशील और गरीब देशों में डायबिटीज के मामले बढ़ने का जोखिम ज्यादा है। फ्रांस और फिनलैंड जैसे समृद्ध देशों में इसकी आशंका काफी कम है, जबकि अमेरिका में इससे सीमित खतरा है।

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