विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया के ये हैं लक्षण, जानें बचाव और उपचार का तरीका

यूपी के सरकारी अस्पतालों में खुलेगा फीवर हेल्थ डेस्क, सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनाए जाएंगे नोडल अधिकारी

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   25 April 2019 6:07 AM GMT

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विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया के ये हैं लक्षण, जानें बचाव और उपचार का तरीका

लखनऊ। देश में हर साल मलेरिया से करीब दो लाख बच्चों की मौत हो जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार मलेरिया पर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है। प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में फीवर हेल्प डेस्क और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाए जाने की योजना है। इन लोगों पर मच्छर जनित बीमारियों से बचने की जानकारी देने की जिम्मेदारी होगी।

राज्य मलेरिया अफसर डॉ. एके यादव ने बताया, " बच्चों को मलेरिया और मच्छर जनित रोग जैसे फाइलेरिया, एईएस, डेंगू, डेंगी समेत कई और बीमारियों से बचाने और जागरूक करने के लिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। प्रदेश के जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में फीवर हेल्प डेस्क का गठन कर मलेरिया के संदिग्ध मरीजों की पहचान की जाएगी। इसके लिए प्रदेश भर में तैयारी चल रही है।"

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वर्ष 2030 तक मलेरिया को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है। इसी क्रम में सरकारी स्कूलों शिक्षकों की मदद से बच्चों को जागरूक किया जाएगा। किसी बच्चे को बुखार होने पर अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही मलेरिया की पहचान के लिए आशा, एनएनएम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।" डॉक्टर यादव ने आगे बताया।

जिला मलेरिया अधिकारी, लखनऊ डीएन शुक्ला ने बताया," जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर रैपिड रिसपांस टीम गठित की गईं हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों में जाकर आवश्यकतानुसार कार्यवाही करती हैं। सभी आशाओं, एएनएम, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, प्रयोगशाला प्राविधिज्ञ एवं सहायकों को प्रशिक्षण दिया गया है। सभी चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य केंद्र में फीवर हेल्प डेस्क कार्यरत हैं जहां पर बुखार पीड़ितों का पंजीकरण कर उनकी जांच व उपचार में मदद की जाती है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर साभार:इंटरनेट

क्या होता है मलेरिया

मलेरिया एक ऐसी बीमारी होती है जो एक परजीवी बैक्टीरिया प्लास्मोडियम द्वारा मादा एनाफिलीस मच्छर के काटने से होती है। यह बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें आंखों से नहीं देख सकते हैं। इन बैक्टीरिया के व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में फैलने से मलेरिया बुखार आता है। ये मच्छर पानी इकट्ठा करने वाले बर्तनों/टंकियों, छत पर पानी की टंकियों, साफ पानी, नालियों में पैदा होता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

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मलेरिया के लक्षण

मलेरिया में जाड़ा व कंपन देकर 1-2 दिन छोड़कर तेज बुखार आता है और यह पसीने के साथ उतरता है। यह बुखार प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक रहता है। इसके अतिरिक्त रोगी को एनारोक्सिया ( खाना देखकर जी मिचलाना) व भूख कम लगती है और सिर तथा बदन में दर्द रहता है व उल्टियां होती हैं। बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजोरी होती है।


कैसे करें बचाव

मलेरिया से बचने के लिए हमें घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम का पानी साप्ताहिक अंतराल पर बदलते रहना चाहिए। घर के आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखें। पानी एकत्र न होने दें। पानी एकत्रित होने वाले स्थानों को मिट्टी से भर दें, यदि संभव हो तो कुछ बूंद मिट्टी के तेल/ जले हुये मोबिल आयल को अवश्य डाल दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों/ नीम तथा सरसों के तेल को खुले भागों पर लगाएं। नीम की पत्ती का धुआं करें और पूरी आस्तीन के कपड़ें पहनें।

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