महिलाओं में बांझपन बढ़ा रहा टीबी

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   24 March 2019 5:15 AM GMT

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लखनऊ। " क्षय रोग एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित करता है। टीबी किसी को भी हो सकती है, लेकिन सही इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है। टीबी आनुवंशिक रोग नहीं, इसका इलाज संभव है।" यह कहना है पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. राजेंद्र प्रसाद का।

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टीबी बैक्टीरिया से होनेवाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।


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प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने बताया, टीबी फेफड़े की बीमारी है और इसके शुरूआती लक्षण है खांसी आना। दो हफ्तों या उससे ज्यादा समय तक खांसी लगातार आना तपेदिक का लक्षण है। शुरूआत में सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के दौरान बलगम में खून भी आने लगता है। दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आने पर स्वास्‍थ्‍य केंद्र जाकर बलगम की जांच करानी चाहिए। लगातार खांसी आने से पुरूषों को सांस संबंधित अन्य बीमारियां भी होने लगती है। "

उन्होंने आगे बताया, " टीबी को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम होते हैं। कुछ लोगों का मानना होता है कि टीबी आनुवांशिक बीमारी है। सही समय पर अगर पता चल जाए तो इसका इलाज शतप्रतिशत संवभ है और रोगी निरोग हो सकता है। टीबी को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है। सही इलाज से यह बिल्कुल ठीक हो सकती है।"


टीबी मुक्त भारत अभियान टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (एनएसपी) की गतिविधियों को मिशन मोड में आगे बढ़ाएगा। अगले तीन वर्षों में तपेदिक रोग के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना को 12 हजार करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक मरीज को गुणवत्ता संपन्न रोग निदान, उपचार और समर्थन मिल सके।

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भारत में वर्ष 2015 में टीबी (तपेदिक) से मरनेवालों की संख्या 4,80,000 थी, जो वर्ष 2014 में इस रोग से हुई 2,20,000 मौतों के दोगुनी से भी ज्यादा थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यह सबसे घातक और संक्रामक रोग है। वर्ष 2015 में देश में टीबी के 28 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 2014 में नए मामलों की संख्या 22 लाख थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत में पाए जाते हैं। वर्ष 2016 में 17 लाख लोगों की मौत की वजह टीबी थी। यह सम्मेलन सितंबर 2018 में टीबी विषय पर होने वाली संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय बैठक के लिए मंच तैयार कर देगा। वर्ष 1997 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत दो करोड़ से अधिक टीबी रोगियों का इलाज किया गया है।


   

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