स्कूली वाहन के चलते बढ़ा पढ़ाई का खर्चा

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स्कूली वाहन के चलते बढ़ा पढ़ाई का खर्चागाँव कनेक्शन

लखनऊ। स्कूल प्रशासन की मनमानियों से पस्त हो चुके अभिभावकों की जेब पर डाका डालने वालों में वैन चालकों का नाम भी शामिल हैं। अधिकतर स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने के लिए यातायात सुविधा स्कूल की ओर से मुहैया नहीं करवाई जा रही है लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों की संख्या में वैन स्कूलों के आसपास दिखती हैं। स्कूल प्रबंधन इन वैन को अपना कहने से इंकार करते हैं लेकिन इसके बावजूद इन वैन पर नामी स्कूलों के नाम छपे हुए हैं।

सेंट क्लेअर्स स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की माँ ने बताया कि हम पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करने जाते हैं। इसलिए संभव नहीं है कि बच्चों को स्कूल छोड़ने या लेने के लिए जाया जा सके। स्कूल काफी दूर है, इसलिए वैन लगवाना मजबूरी है। मेरी बच्ची कक्षा 9 में पढ़ती है जिसके लिए प्रति महीने वैन के लिए मुझे 1000 रुपए देने होते हैं।

ड्राइवर गर्मी की छुट्टी का भी किराया लेता है जबकि छुट्टी में कोई स्कूल नहीं जाता।

वैन ड्राइवर्स नियमों को ताख पर रख कर दस और इससे भी अधिक बच्चों को एक वैन में बैठाते हैं।

स्कूल खुलने से कई घंटे पहले और बंद होने के कई घंटे बाद बच्चों को घर पहुंचाते हैं। सेंट फ्रांसिस में कक्षा 7 में पढ़ने वाली बच्ची के पिता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वैन ड्राइवर अपने मन के मुताबिक 15 बच्चों को एक साथ वैन में बैठाता है। दोनों सीटों के बीच में भी एक बेंच डाल रखी है, उस पर भी बच्चे बिठाता है। यदि एतराज करो तो कहता है कि दूसरी वैन लगवा लो, जो कि हमारे लिए आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि हर वर्ष किराये में बढ़ोतरी भी मनमर्जी के हिसाब से करते हैं।

रिपोर्टर - मीनल टिंगल

 

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